आमतौर पर फिल्मी कलाकार सोशल मीडिया पर अपनी फिल्मों के प्रचार का ही अभियान चलाते हैं, लेकिन अभय देओल उन कलाकारों में से नहीं है। उन्होंने गोरेपन के क्रीम बेचने वालों के खिलाफ फेसबुक पर एक अभियान चला रखा है। इस अभियान में उन्होंने फिल्म बिरादरी के शाहरुख खान, जॉन अब्राहम, दीपिका पादुकोण, विद्या बालन, सुशांत सिंह राजपूत, यामी गौतम, दिया मिर्जा, आसिन, करीना कपूर और शाहिद कपूर जैसे लोगों को भी नहीं बख्शा। ये सभी फिल्म कलाकार गोरेपन की क्रीम का विज्ञापन करते है। अभय देओल ऐसा कोई विज्ञापन नहीं करते। अभय देओल का कहना है कि इस तरह के विज्ञापन नस्लवाद को बढ़ावा दे रहे है और काले तथा गोरे लोगों के बीच भेदभाव बढ़ा रहे हैं। ये विज्ञापन कहते हैं कि अगर किसी का रंग गोरा है, तो वह सुंदर है, जबकि ऐसी कोई बात नहीं है। सुंदरता और गोरेपन का कोई ताल्लुक नहीं है। क्या अफ्रीकी लोग सुंदर नहीं होते?
अभय देओल का आरोप है कि गोरेपन की क्रीम बेचने वाले गोरेपन के साथ-साथ मर्दवाद भी बेच रहे है। शाहरुख खान एक विज्ञापन में कहते है कि तुम मर्द होकर लड़कियों वाली क्रीम लगा रहे हो। इसका मतलब यह कि यह विज्ञापन गोरेपन की क्रीम से आगे बढ़कर मर्दवाद फैला रहा है। इस विज्ञापन में गोरापन तो एक उपउत्पाद कहा जा सकता है। जॉन अब्राहम का एक विज्ञापन भी चर्चा में है, जिस पर अभय देओल ने आपत्ति की है, उन्होंने लिखा है कि जॉन अब्राहम एक फेयरनेस क्रीम के विज्ञापन में एक कार्ड दिखाते है, जिसमें गोरे से काले रंग तक के शेड्स है। अभय देओल का आरोप है कि इस विज्ञापन में जो कार्ड दिखाया गया है, उसमें गोरेपन से लेकर कालेपन तक तो विकल्प है, लेकिन कालेपन से गोरेपन तक के नहीं। एक और बात अभय देओल को अखरने वाली लगती है कि वह यह कि यह गोरेपन की क्रीम इस्तेमाल करने वाले लोग कड़ी मेहनत करने वाले दिखाए जाते है। कड़ी मेहनत करना और गोरेपन का क्रीम वापरना दो अलग-अलग बातें है और यहां क्रीम बेचने वालों ने भारतीयों को ठगने का काम किया है।
अभय देओल विभिन्न अखबारों और वेबसाइट्स में गोरेपन के इन भोंडे विज्ञापनों के बारे में अपने लेख भी लिखते रहते हैं। इसके साथ ही वे सोशल मीडिया पर उसे शेयर भी करते हैं। फेसबुक पर अभय देओल के निजी पेज को पसंद करने वालोंं की संख्या करीब साढ़े दस लाख तक पहुंच गई है। इसके अलावा अभय देओल अपनी वेबसाइट में भी अपने विचार खुलकर लिखते रहते है। इसी के साथ अभय देओल ने फिल्म उद्योग के उन लोगों की सराहना भी की है, जो इस तरह के विज्ञापनों को स्वीकार नहीं करते।
गोरेपन के क्रीम बेचने वाले भी अपना धंधा बढ़ाने के लिए कोई रास्ता छोड़ना नहीं चाहते। उन्होंने हाल ही में ऋतिक रोशन को एक विज्ञापन के लिए तैयार किया है, जिसमें ऋतिक रोशन पर्सनल ग्रुमिंग की बात करते हैं। हम भारतीय लोग धू्प में जाने से बचते है और यह मानते है कि धूप में जाने से त्वचा काली हो जाती है। इसी बात को लेकर तरह-तरह के क्रीम वाले विज्ञापन तैयार करते है। इसके विपरीत यूरोप के देशों में गोरी त्वचा वाले लोग ऐसे क्रीम लगाकर धूप स्नान करते है, जिससे उनकी त्वचा सांवली सी हो जाए। स्पष्ट है कि सौंदर्य का पैमाना त्वचा का रंग नहीं, बल्कि हमारी सोच है।
बिग बॉस 8 में भाग लेने वाले उपेन पटेल के सामने भी इसी तरह के विज्ञापन का प्रस्ताव गया था, लेकिन उन्होंने उसे मना कर दिया। रणबीर कपूर के पास भी त्वचा को गोरा बनाने वाले एक क्रीम के विज्ञापन का प्रस्ताव गया, तो उन्होंने उसे एक सिरे से खारिज कर दिया। रांझना और अनारकली ऑफ आरा की हीरोइन स्वरा भास्कर को भी ऐसे प्रस्ताव मिल चुके है, जो वे नकार चुकी है। अभिनेत्री नंदिता दास अपने ब्लॉग पर अक्सर ऐसी कंपनियों और उत्पादों के बारे में लिखती है, जो कहते है कि फेयर इज लवली। नंदिता दास ने तो एक ऐसे विज्ञापन की भी मंजूरी दी है, जिसका शीर्षक ही है - डार्क इज ब्यूटीफुल। जो लोग गोरेपन की क्रीम का विज्ञापन कर रहे है, वे कोई छोटे-मोटे कलाकार नहीं है। अगर वे इस तरह के विज्ञापनों में काम करने से इनकार कर दे, तो भी उनकी विलासिता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन अकूत धन कमाने की उनकी लालसा उनसे यह सब काम करवा रही है। अभय देओल वाकई हिम्मत का काम कर रहे है, जो अपनी ही बिरादरी के लोगों के बारे में यह सब कहने से नहीं हिचकिचा रहे हैं।