सोनू निगम ट्विटर पर काफी लोकप्रिय हैं। वे नियमित रूप से ट्विटर पर अपने पोस्ट शेयर करते आ रहे थे, लेकिन अब उन्होंने ट्विटर को बाय-बाय बोल दिया है। इसी के साथ ट्विटर ने अपनी ओर से पहल करते हुए गायक अभिजीत का अकाउंट भी कुछ समय के लिए ब्लॉक कर दिया है। सोनू निगम जहां अपने ट्वीट में अपने निजी क्षणों के अलावा हल्के-फुल्के संदेश लिखते रहे हैं, वहीं अभिजीत के ट्वीट तीखे और जज्बाती होते हैं।
आज के दौर में अनेक सेलेब्रिटीज सोशल मीडिया पर ट्रोल की शिकार हैं। अनेक सेलेब्रिटीज इतनी चतुर और हाजिरजवाब हैं कि कोई उन्हें ट्रोल नहीं कर पाता। सोनू निगम और अभिजीत इतने स्मार्ट नहीं हैं। सोनू निगम पिछले दिनों अजान को लेकर किए गए अपने ट्वीट के कारण चर्चा में आए थे और सोशल मीडिया पर लोगों के गुस्से का शिकार बने। इसके बाद उन्होंने अपने तरीके से माफी भी मांग ली। दूसरे तरफ अभिजीत हैं, जो लगातार आक्रामक बने रहते हैं। अभिजीत शायद यह भूल गए कि सोशल मीडिया पर हर आक्रामक व्यक्ति को उससे भी ज्यादा आक्रामक व्यक्ति का मुकाबला करना पड़ता है और यह क्रम लगातार जारी रहता है।
सोनू निगम की लोकप्रियता अभिजीत से कहीं ज्यादा है। वे अपेक्षाकृत बड़े स्टार भी हैं, लेकिन बड़े स्टार होने का मतलब यह नहीं है कि लोग आपकी विचारधारा से सहमत हो ही। हेमा मालिनी, शत्रुघ्न सिन्हा, परेश रावल जैसे कई बॉलीवुड कलाकार हैं, जो भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में सक्रिय हैं। राजनीति में सक्रिय होते ही उनके प्रशंसकों का एक बड़ा वर्ग अपने आप जुड़ जाता है, लेकिन इसी के साथ उनके फैंस का एक बड़ा वर्ग उनसे दूर भी चला जाता है, जो उनकी राय से सहमत नहीं होते। फिल्मों से राजनीति में गए लोगों को इसके बीच तालमेल बैठाना पड़ता है। परेश रावल भी पिछले दिनों एक ट्वीट के विवाद में उलझे, जब उन्होंने मेजर गोगोई के समर्थन में ट्वीट करते हुए लिखा था कि मेजर गोगोई को श्रीनगर के नौजवान की जगह लेखिका अरुन्धती राय को जीप पर बांधना चाहिए था।
ट्विटर पर परेश रावल के विरोधियों को तो यह ट्वीट पसंद नहीं ही आया। परेश रावल के समर्थकों और बीजेपी के समर्थकों को भी यह ट्वीट गरिमामय नहीं लगा। परेश रावल पर काफी तीखे हमले हुए और इस तरह की बातें भी उठी कि परेश रावल का ट्विटर अकाउंट ब्लॉक किया जाना चाहिए। लेखकों का पूरा समुदाय परेश रावल के खिलाफ पिल पड़ा। ऐसे में इक्का-दुक्का लोग ही यह कहते हुए सामने आए कि परेश रावल के ट्वीट पर विवाद करने से पहले अरुन्धती राय के बयानों पर भी गौर किया जाना चाहिए। कई लोगों ने कहा कि अरुन्धती राय महिला हैं, इसी नाते उनका सम्मान होना चाहिए था।
सोशल मीडिया पर उपलब्ध लोगों में सभी आयु, जेन्डर, समुदाय और धर्म के लोग है। कोई सचिन तेंडुलकर से नहीं पूछता कि वे किस धर्म के हैं और न ही कोई दिलीप कुमार के बारे में पूछता है कि वे किस धर्म के हैं? ये दोनों अपनी विधा के कारण सुपरस्टार बनें। अगर कोई इनसे इनकी जाति या धर्म के बारे में पूछने बैठेगा, तो वह खुद ही हंसी का पात्र बन जाएगा। इसके विपरीत सोशल मीडिया पर कई लोग ऐसे है, जो केवल अपनी जाति या ग्रुप के कारण ही चर्चा में बने रहते है। उन लोगों से वहां कोई गंभीर बात की अपेक्षा नहीं की जाती।
सोशल मीडिया पर सक्रिय होने वाले सेलेब्रिटीज को चाहिए कि वे वहां लोकप्रियता की आशा लेकर तो आए, लेकिन विवादास्पद बयानों और पोस्ट से बचें। लोग उन्हें किसी खास कारण से पसंद करते हैं। एमएस धोनी को आप क्रिकेटर के रूप में पसंद कर सकते है, लेकिन एमएस धोनी राजनीति में आ जाएं और कहें कि फला पार्टी का समर्थक हूं और वे अपने पैंâस से कहें कि वे भी उसी पार्टी का समर्थन करें, जिसका समर्थन धोनी कर रहे हैं। ऐसे में धोनी के प्रशंसक उस पार्टी का समर्थन करेंगे या नहीं यह तो कहा नहीं जा सकता, लेकिन यह जरूर कहा जा सकता है कि धोनी के प्रशंसकों की संख्या में कमी आ जाएगी।
27 may 2017