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सोशल मीडिया को मैनेज करने वाला विश्व का सबसे बड़ा प्लेटफार्म हूट-सूट और लिंक्ड-इन मिलकर वित्तीय सेवा क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं। लिंक्ड-इन प्रोफेशनल नेटवर्क के क्षेत्र में सबसे बड़ा संगठन माना जाता है। अब इनकी पहल ऑस्ट्रेलिया के वित्तीय सेवा क्षेत्र में प्रवेश करने की है। ये दोनों मिलकर वहां सोशल सेलिंग इंडेक्स (एसएसआई) पर शोध करेंगे और वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में सोशल मीडिया के उपयोग की अवधारणा को जमीन पर उतारेंगे।
विगत 2 अक्टूबर को रायपुर की सेंट्रल जेल में कैदियों ने अपनी मांगें सोशल मीडिया के माध्यम से रखी। अब जेल में सोशल मीडिया कैसे पहुंचा, यह अचरज की बात है। हो सकता है कि जेल के बाहर के किसी व्यक्ति ने, जो कैदियों का मित्र रहा हो; यह गतिविधि सोशल मीडिया पर डाली हो, लेकिन जो भी हो यह अपनी तरह का अजीब मामला है। कैदियों की मांगों में कोई भी मांग गैरसंवैधानिक नहीं कही जा सकती। लेकिन उनकी आवाज अब सोशल मीडिया के माध्यम से जेल के बाहर पहुंच गई है।
प्रिंट और टीवी मीडिया जिन प्रमुख बातों को लगभग भुला देता है, सोशल मीडिया उन्हें वापस जीवंत कर देता है। 28 सितंबर 1991 को श्रमिक नेता शंकर गुहा नियोगी की हत्या हुई थी। सोशल मीडिया पर अनेक लोगों ने उस हत्या को 25 साल पहले हुई शहादत करार देते हुए श्रद्धांजलि दी। इन 25 साल में श्रमिक आंदोलनों की दुनिया पूरी तरह बदल चुकी है और एक ऐसी पीढ़ी भी मौजूद है, जिसमें शंकर गुहा नियोगी का कभी नाम भी नहीं सुना होगा। इन 25 सालों में छत्तीसगढ़ का श्रमिक आंदोलन भी पूरी तरह बदल चुका है या यूं कहे कि लगभग तहस-नहस हो चुका है, तब भी कोई अजरज नहीं होगा।
सड़क परिवहन और हाइवे मंत्रालय ने बहुचर्चित डिजिलॉकर योजना अपना ली है। अब आपको अपना ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन का रजिस्ट्रेशन कार्ड भौतिक रूप से साथ लेकर चलने की जरूरत नहीं। आप उसे डिजिलॉकर में सेव कर सकते है और जहां भी जरूरत हो अपने स्मार्ट फोन से उसे दिखाकर काम चला सकते है। इससे वाहन चालकों की एक परेशानी कम हो जाएगी, क्योंकि भौतिक रूप से ड्राइविंग लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन कार्ड रखने पर उसकी सुरक्षा की चिंता रहती है। बाजार में डिजिलॉकर एप का आधिकारिक वर्जन आ चुका है, लेकिन उसकी नकल के दर्जनों एप भी उपलब्ध हैं। ये डुप्लीकेट एप काम तो लगभग वैसा ही करते है, जैसा कि डिजिलॉकर करता है, लेकिन नकली एप में सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है। ये नकली एप आपकी निजी और गोपनीय जानकारी को भी सार्वजनिक कर सकते हैं।
सोशल मीडिया पर करीब दो बरसों से एक नया सितारा हिन्दी की बातें कर रहा है। वह न केवल हिन्दी में लिखता है, बल्कि हिन्दी, भोजपुरी, मैथिली, नेपाली और संस्कृत में बात भी करता है। अंग्रेजी में तो वह बात करता ही है, क्योंकि वह ऑस्ट्रेलिया का रहने वाला है और वहीं के एक विश्वविद्यालय में हिन्दी पढ़ाता है। यह शख्स मैला आंचल के लेखक फणीश्वर नाथ रेणु पर पीएच-डी कर चुका है और रेणु पर ही किताब भी लिख रहा है। दिखने में वह अंग्रेजों जैसा है, लेकिन है पूरा भारतीय। गत हिन्दी दिवस पर इस शख्स को दिल्ली में सम्मानित भी किया जाना था, लेकिन वे यह सम्मान लेने उपस्थित नहीं हो सके।
कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उत्तरप्रदेश के चुनावों का प्रचार अभियान नरेन्द्र मोदी की स्टाइल में शुरू किया है। शायद इसलिए कि वहां उनके चुनाव सलाहकार प्रशांत किशोर है, जो पहले नरेन्द्र मोदी का काम संभाल चुके है। चाय पर चर्चा की तरह अब खटिया पर चर्चा हो रही है। चर्चा करने वाले और कोई नहीं कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी हैं। राहुल गांधी के कार्यक्रम में किसान चर्चा करने के लिए आए जरूर और चर्चा खत्म होने के बाद वहां आए करीब दो हजार खटियाएं अपने साथ ले गए, जिसके हाथ जो खटिया आई, उसे ले जाने में किसी ने भी कोताही नहीं बरती। कोई साइकिल पर, कोई मोटर साइकिल पर और कोई बैलगाड़ी पर खटिया ले गया, मानो खटिया चर्चा का प्रसाद हो। बीते कुछ समय से ऐसी ही राजनैतिक परिपाटी शुरू हो चुकी है। दिल्ली में राजपद पर योग दिवस मनाया गया, तो वहां योगाभ्यास में शामिल होने वाले सभी लोगों को योगा मैट ले जाने की छूट दे दी गई थी। इससे नेता भी खुश होते है और साझेदार भी। योगा मैट हो या खटिया इस बहाने लोग अपने नेता को याद तो कर ही लेते हैं, लेकिन इस पर लतीफे चल निकलते है।