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डा. कन्हैयालाल नंदन उन सम्पादकों में से हैं, जिन्हें उनकी योग्यता और मेहनत के काम से वह मान-सम्मान नहीं मिला है, वे जिसके हकदार है। उत्तरप्रदेश के फतेहपुर जिले के तिवारी परिवार में जन्मे कन्हैयालाल नंदन ने कानपुर से बी।ए।, इलाहाबाद से एम।ए। और भावनगर यूनिवर्सिटी से पीएच.डी. की उपधियाँ ली। १ जुलाई १९३३ में जन्मे श्री नंदन ने मुम्बई विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कॉलेजों में चार सल तक अध्यापन कार्य किया। १९६१ से १९७२ तक वे धर्मयुग में सहायक सम्पादक रहे। फिर १९७२ से दिल्ली से क्रमशः पराग, सारिका और दिनमान में संपादक रहे।

फिर तीन वर्ष तक नवभारत टाइम्स में फीचर संपादक भी रहे। बाद में वे ६ साल तक 'संडे मेल' में सम्पादक रहे और फिर टीवी की दुनिया में इंडसंइड मीडिया के डायरेक्टर बने। पद्मश्री, नेहरू फैलोशिप आदि से सम्मानित श्री नंदन की पत्रकारिता, साहित्य, कला, फिल्म आदि क्षेत्रों में गहरी समझ और पहचान है। कई नामी कलाकारों से उनका घरोपा रहा है। उनकी खूबी है कि बडे से बडे और छोटे से छोटे आदमी को मिनटों में अपना बना लेते हैं।

नंदनजी की प्रमुख किताबों में जरिया-नजरिया, गीत संचानन, अमृता शेरगिल, आग के रंग, घाट-घाट का पानी, त्रुकुआ का शाहनामा आदि प्रमुख है। अच्छे कवि, अच्छे पीआरओ, बेहतरीन वक्ता और मधुरभाषी नंदनजी अपने दोस्त जल्दी बना लेते हैं और दोस्ती की कोई भी कीमत चुकाने को तैयार रहते हैं।

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