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इंदौर में कई जगह अड्डेबाज़ी होती है उसमें से एक अड्डा है प्रेस क्लब के सामने कमिश्नर ऑफिस परिसर में इंडियन कॉफ़ी हाउस के 'इराक' का. 'इराक' कहते हैं 'इंदौर राइटर्स क्लब' को. करीब दो साल से हर रविवार 11 बजे से यहाँ जमावड़ा हो जाता है लेखकों, पत्रकारों, रंगकर्मियों, चित्रकारों, बुद्धिजीवियों का. 'सदस्य' यहाँ अपनी रचनाएँ सुना सकते हैं, उपलब्धियों की बात कर सकते हैं, अखबारों के संपादकीय पर बेबाक़ी से 'अपनी पाठकीय' में संपादकों की ऐसी-तैसी कर सकते हैं, ट्रम्प से लेकर दादा दयालु तक और 'पेलवान' से लेकर 'मामा' तक के बारे में 'बेसेंसर' बेख़ौफ़ राय रख सकते हैं, बात कर सकते हैं नामवर सिंह की 'आलोचना की आलोचना' और अशोक वाजपेयी की अफसरी-कविता, धर्मवीर भारती के सैडिस्ट स्वभाव से लेकर गगन गिल की युवावस्था तक ! ढाई-तीन घंटे तक यहाँ एक से बढ़कर एक मौलिक विचारों, प्रतिक्रियाओं, समीक्षाओं, गालियों, लतीफ़ों की गंगोत्री बहती रहती है. कॉफी हाउस खाली करने के बाद भी जब पेट नहीं भरता, तब सामने के पेड़ (क्षमा करें, वह सामान्य पेड़ नहीं, महाबोधि वृक्ष है) के चबूतरे पर ज्ञान-गंगोत्री बहाई जाती है!
ब्रेस्ट कैंसर पर 'विजय' पानेवाली !
उनके हौसले को सलाम। बुलंद इरादे, जिंदादिल इंसान, हमेशा जीत का जज़्बा रखनेवाली हैं महिमा। शानदार टीम लीडर, सफलतम मैनेजर !
गूगल की ड्राइवरलेस कार की चर्चा सब जगह है, लेकिन बंगलूरु के रहने वाले डॉ. रोशी जॉन की चर्चा उतनी नहीं हो रही। रोशी जॉन ने अपनी नौकरी के बाद अतिरिक्त समय निकालकर अपने सहयोगियों की मदद से एक नेनो कार को बिना ड्राइवर के चलाकर दिखा दिया। रोशी टीसीएस कोच्चि में कार्य करते हैं और रोबोटिक्स विभाग में चीफ हैं। गूगल के ड्राइवरलेस कार के अभियान के बाद भारत में ऐसे किसी के निजी प्रयासों से ऐसे प्रयोग में कामयाबी उल्लेखनीय कहीं जाएगी।
आज आसिफ शाह की बात, जिन्हें बीते दिन फैशन आइकॉन सम्मान मिला। (दिल्ली और हरियाणा के आगे भी भारत है !) आसिफ शाह आंत्रप्रेन्योर, मॉडल और डिज़ाइनर तो हैं ही, बेहतरीन मित्र भी हैं. सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और हिन्दू धर्मगुरु भी उनके निवास पर आशीष देने जाते हैं. पेज थ्री टाइप सेलेब्रिटी हैं, कई अवार्ड / सम्मान प्राप्त कर चुके हैं; फैशन और इतर भी. उनके फैशन स्टूडियो में मित्रों का जमघट लगा रहता है जिनमें मॉडल्स के अलावा नेता और ब्यूरोक्रेट भी होते हैं. उनके फैशन शो मुंबई, दिल्ली, दुबई, कोलम्बो आदि शहरों में होते रहते हैं. दूसरे कई मशहूर डिज़ाइनरों की तरह वे नकचढ़ेपन और सनक से दूर शांत प्रवृत्ति के जीव हैं. उनका मानना है कि फैशन की दुनिया में मुंबई और दिल्ली जैसे महानगर अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच चुके हैं, इसलिए अब वहां संभावनाएं सीमित हैं.
मिलिन्द काम्बले दलित चेंबर ऑफ़ कॉमर्स (डिक्की) के फाउंडर-चेयरमैन हैं. जिसका ध्येय वाक्य है : Be Job Givers, NOT Job Seekers. उनके बारे में मैंने सबसे पहले जाना मेरे मित्र मिलिन्द खांडेकर की किताब 'दलित करोड़पति' से. फिर जब शेखर गुप्ता के वॉक द टॉक में उनकी बातचीत देखी तो उनके बारे में पढ़ा और पढता चला गया. उन्होंने यह धारणा तोड़ी कि कारोबार में किसी जाति या समुदाय विशेष की महारथ होती है.
आज आसिफ शाह की बात, जिन्हें बीते दिन फैशन आइकॉन सम्मान मिला। (दिल्ली और हरियाणा के आगे भी भारत है !) आसिफ शाह आंत्रप्रेन्योर, मॉडल और डिज़ाइनर तो हैं ही, बेहतरीन मित्र भी हैं. सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और हिन्दू धर्मगुरु भी उनके निवास पर आशीष देने जाते हैं. पेज थ्री टाइप सेलेब्रिटी हैं, कई अवार्ड / सम्मान प् चुके हैं; फैशन और इतर भी. उनके फैशन स्टूडियो में मित्रों का जमघट लगा रहता है जिनमें मॉडल्स के अलावा नेता और ब्यूरोक्रेट भी होते हैं. उनके फैशन शो मुंबई, दिल्ली, दुबई, कोलम्बो आदि शहरों में होते रहते हैं. दूसरे कई मशहूर डिज़ाइनरों की तरह वे नकचढ़ेपन और सनक से दूर शांत प्रवृत्ति के जीव हैं. उनका मानना है कि फैशन की दुनिया में मुंबई और दिल्ली जैसे महानगर अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच हुके हैं, इसलिए अब वहां संभावनाएं सीमित हैं.