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वे शुजालपुर के ज़मींदार परिवार के है. कभी 'कमिंग होम टु सियाराम' के लिए मॉडलिंग भी की, अब 'गृहस्थ संत' हैं. परिवार पुणे में रहता है और वे देश भर में घूमते रहते हैं. महाराष्ट्र के संतों की परंपरा को वे नए तरीके से बढ़ा रहे हैं. बेहद आकर्षक व्यक्तित्व के धनी हैं. कम बोलते हैं. पीएम-सीएम हों या प्यून, सब से समान बर्ताव करते हैं. रोज 16 से 18 घंटे काम करते हैं.

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वे क्या करते हैं? यह सवाल नहीं है, सवाल यह है कि वे क्या नहीं करते? वे स्कॉलरशिप बांटते हैं, कैदियों के बच्चों को पढ़ाते हैं, किसानों को खाद-बीज मुफ्त बांटते हैं, गांवों में तालाब खुदवाते हैं, पौधारोपण करवाते हैं, बीमारों के लिए इलाज का इंतजाम करते हैं, सामूहिक विवाहों की योजना बनाते हैं, भारत माता के प्रति लोगों में जागरुकता लाते हैं, प्रकृति की सेवा के लिए निसर्ग साधना केन्द्र खोलते हैं, संस्कृति के विस्तार के लिए भारतीय संस्कृति ज्ञान मंदिर और ऋषि संकुल खोलते हैं, गांव के बच्चों के लिए वंदे मातरम् नेशनल फाउंडेशन की स्थापना करते हैं, भारतीय संविधान के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए संविधान के सारांश की पुस्तिकाएं बंटवाते हैं; इसके अलावा वे प्रवचन देते हैं, लोगों को जागरुक करते हैं, लेख लिखते हैं, कविताएं लिखते हैं, गाने और भजन गाते हैं, लोगों को धार्मिक और सामाजिक मामलों में मार्गदर्शन देते हैं, बेचारे मंत्री और उद्योगपति आ जाएं, तो उनको भी सलाह दे देते हैं. कुल मिलाकर वे एक विलक्षण व्यक्ति हैं.

उनसे कहाँ मिला जा सकता है? पहले आप इंदौर, पुणे या खामगांव में मिल सकते थे, पर आजकल उनकी वेबसाइट, फेसबुक, ट्विटर, गूगल प्लस, लिंक्डइन, प्रिन्ट्रेस्ट, इंस्टाग्राम .... पर कहीं भी.

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लता मंगेशकर इंदौर में जन्मी, लेकिन इंदौर आर्इं, तो भय्यू महाराज से मिलने. प्रतिभा पाटिल राष्ट्रपति बनने के बाद इंदौर आर्इं, तब प्रोटोकॉल के कारण उनसे मिलने तो नहीं गर्इं, लेकिन उन्हें सपरिवार रेसीडेंसी कोठी के सरकारी ठिकाने पर बुला लिया. उद्योगपति उनकी नजदीकी चाहते हैं, नौकरशाह उनका आशीर्वाद चाहते हैं और नेता उनकी उपस्थिति से खुद को धन्य समझते हैं, फिल्मी हस्तियां उनके आशीर्वाद को तरसती हैं. सभी पार्टियों के नेताओं से उनकी नजदीकी है. कहा तो यह भी जाता है कि वे नरेन्द्र मोदी के लिए 'नेटवर्किंग' करते हैं!

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भय्यू महाराज 'मॉडर्न संत' हैं. 'उच्च जीवन, उच्च विचार' ! वे मर्सीडीज़ में घूमते हैं, रोलेक्स पहनते हैं, आलीशान भवन में रहते हैं, 'सादगीपूर्ण भव्य' आश्रम से गतिविधियां चलाते हैं. एक बेटी कुहू के पिता हैं.

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भय्यू महाराज का कहना है कि उन्होंने सेवा और ज्ञान का मार्ग चुना है. यहीं परंपरा महाराष्ट्र के संतों की रही है. उनके भक्तो की संख्या लाखों में बताई जाती है ...और आलोचकों की?

26 Octomber 2015

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