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इंदौर में एक पुरानी संस्था है अभ्यास मंडल - जो कोई सरकारी मदद नहीं लेती, 57 साल में उसने कोई भी सम्पत्ति (दफ़्तर आदि) नहीं खरीदी, जिसका वास्तव में कोई अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष नहीं, ( होता है तो खानापूर्ति के लिए, नेतागीरी के लिए नहीं). इस संस्था ने इंदौर के मास्टर प्लान बनवाने में, मध्यप्रदेश के लिए केंद्रीय वित्त आयोग से लड़कर अरबों रुपयों (जी हाँ, 485 करोड़ ) रुपये की मदद दिलवाने, पर्यावरण - यातायात - सौहार्द की बेहतरी के अनेक काम किये हैं। कई अल्प ज्ञानी उसे भाषण-गोष्ठी के लिए 'थर्टी प्लस' लोगों का ग्रुप भी कहते हैं.

आम तौर पर लोग संस्थाएं बनाते हैं अपनी निजी महत्वाकांक्षाओं के लिए. शोहरत, धन या आभामंडल के लिए; लेकिन इंदौर के अभ्यास मंडल में किसी की दुकानदारी नहीं है. यह संस्था लोगों के लिए एक मंच हैं जहाँ वे अपने शहर, समाज या देश की बेहतरी के लिए चर्चा कर सकते हैं, पर्यावरण पर भाषण झाड़ने के लिए नहीं; कान्ह (खान) नदी की सफाई के लिए झाड़ू- टोकरी थाम सकते हैं, यातायात सुधार के लिए चौराहों-चौराहों पर खड़े होकर ट्रैफिक हवलदार की मदद कर सकते हैं और इसके 'ब्रेन स्टॉर्मिंग' कार्यक्रमों में आकर अपने सुझाव सही लोगों तक पहुंचा सकते हैं.

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सांसद, विधि विशेषज्ञ, पत्रकार, खिलाड़ी और खेल विशेषज्ञ, अर्थशास्त्री, कूटनीतिज्ञ, उद्योगपति, विचारक, नौकरशाह, बैंकर और विद्यार्थी अभ्यास मंडल से जुड़े हैं. इसकी वार्षिक व्याख्यानमाला में पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई, चंद्रशेखर, इंद्रकुमार गुजराल; चीफ जस्टिस आर सी लाहोटी, जस्टिस धर्माधिकारी, जस्टिस तारकुंडे, जस्टिस वर्मा, अनेक राजयपाल, मुख्यमंत्री, मंत्री आदि आते रहते हैं. मधु लिमये से लेकर इंद्रजीत गुप्ता तक, अतुल अनजान से लेकर सुभाषिनी अली तक, योगेन्द्र यादव से लेकर प्रशांत भूषण तक, जोगिन्दर सिंह से लेकर जी. पार्थसारथी तक सैकड़ों विशेषज्ञ आ चुके है... सुरजीत सिंह, बाबा आमटे, माँ योग साधना, जनरल दातार, एडमिरल विष्णु भागवत, सुन्दरलाल बहुगुणा, राजेश बादल, आशुतोष ... कमलेश्वर से लेकर शिवमंगल सिंह सुमन तक, विजय बहादुर सिंह से लेकर बालकवि बैरागी तक. भारत के किसी भी क्षेत्र का, कोई भी विशेषज्ञ कभी न कभी तो अभ्यास मंडल आया ही है! यह संस्था बच्चों और युवाओं के शिविर, संगीत कार्यक्रमों का आयोजन, धरना-प्रदर्शन, कार्यशालाओं का आयोजन भी कराती रही है.

यह संस्था कई काम नहीं भी करती है. जैसे सरकारी मदद, चंदे का धंधा, नेताओं की जमावट, धर्म विशेष का प्रचार आदि।

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कई लोग पूछेंगे कि इतनी महान संस्था के होते हुए भी इंदौर का यह हाल क्यों? जवाब है इंदौर कोई छोटा शहर नहीं है दुनिया के 50 से ज्यादा देश ऐसे हैं, जिनकी आबादी इंदौर से कम है. इंदौर भले ही मध्यप्रदेश की राजधानी न हो, वह यूएसए की राजधानी वाशिंगटन से चार गुना , फ्रांस की राजधानी पेरिस दो गुना और कनाडा की राजधानी ओटावा से ज्यादा आबादी का बड़ा शहर है. अगर अभ्यास मंडल के होते हुए भी शहर ऐसा है, सोचिये अगर अभ्यास मंडल न होता तो?

और ज्यादा जानना हो तो अभ्यास मंडल की वेबसाइट है : http://www.abhyasmandal.com

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