सोशल मीडिया के लिए 2015 बेहद महत्वपूर्ण रहा है। फेसबुक की पहुंच एक अरब ४९ करोड़ लोगों तक हो गई। इनमें से 131 करोड़ लोग मोबाइल पर फेसबुक देखने लगे। फेसबुक का वीडियो ट्रैफिक प्रतिदिन 4 अरब तक पहुंच गया और वह यू-ट्यूब को टक्कर देने लगा है। लाइव वीडियो दिखाने वाले एप पेरिस्कोप और मीरकाट शुरू हुए, इंस्टाग्राम की पहुंच 30 करोड़ लोगों तक हुई और उसने विश्व स्तर पर अपने विज्ञापन दिखाना शुरू कर दिए। यू-ट्यूब की पहुंच 1 अरब लोगों तक होने लगी।
सन् 2016 में सोशल मीडिया पर कुछ नए अभियान शुरू हो सकते हैं। लाइक, कमेंट्स और टैग के अलावा बाय इट जैसे बटन भी देखने को मिल सकते है। विज्ञापन एजेंसियां और उत्पाद अपना ध्यान अब सोशल मीडिया की ओर लगा रही है। इससे ई-कॉमर्स का एक नया बाजार खुलकर सामने आ सकेगा। ब्रांडिंग के लिए बड़ी-बड़ी कंपनियां सोशल मीडिया पर भरोसा बढ़ा सकती है और सोशल मीडिया ब्रांड इमेज तैयार करने के लिए एक शानदार जरिया हो सकता है।
फेसबुक अब अपने एक नए प्लेटफार्म की तलाश में है और इसका काम इंस्टेंट पब्लिशिंग का होगा। यहां आकर यूजर अपने या किसी और के कंटेंट को पब्लिश करा सकेगा। अभी इस बारे में प्रयास हो रहा है कि उसका रेवेन्यु मॉडल क्या होगा? इसके जरिये फेसबुक यूजर ज्यादा बड़े और गंभीर कंटेंट को भी पढ़ सकेगा।
फेसबुक अपने खुद के एक सर्च इंजन की तैयारी में है। इसी के साथ एक पर्सनल अस्टिटेंट एम नाम का एप भी परीक्षण के दौर में है। इस सर्च इंजन की क्षमता गूगल, बिंग और याहू के सर्च इंजन की तुलना में तेज होने की संभावना है। फेसबुक चाहता है कि लोग अब सर्च के लिए गूगल या किसी और सर्च इंजन पर जाना बंद कर दें और फेसबुक से ही उनकी जरूरत पूरी हो जाए। एक अध्ययन के अनुसार इंटरनेट पर लोग जितना समय खर्च करते है, उसका 28 प्रतिशत केवल फेसबुक के खाते में दर्ज है। फेसबुक की कोशिश है कि यह प्रतिशत और बढ़ जाए।
सोशल मीडिया पर सोशल वीडियो का बोलबाला भी होने वाला है। अभी लोग यू-ट्यूब, फेसबुक, वाइन, इंस्टाग्राम और स्नेपचैट जैसे वीडियो दिखाने वाली वेबसाइट पर जाते है। अब यह दायरा और बढ़ने वाला है। अब सोशल मीडिया में वीडियो की लहर आने वाली है, जिसमें लोग लिखने के बजाय वीडियो शेयर करना ज्यादा पसंद करेंगे। इन प्लेटफार्म पर वीडियो दिखाने के फ्रेम अलग-अलग हो सकते है। जैसे वाइड स्क्रीन, चोखट (स्कवेयर), वर्टिकल आदि।
2016 में लाइव स्क्रीमिंग का चलन भी बढ़ेगा। टीवी पर लाइव देखने की तरह ही मोबाइल या कम्प्युटर पर घटनाक्रम का लाइव प्रसारण देखना आसान होगा। सूचना जगत में यह एक और क्रांति की शुरूआत होगी, जब रेल या बस में बैठे-बैठे लोग देश और दुनिया की जानकारियां वीडियो के रूप में तो देख ही सकेंगे, अपने घर परिवार की घटनाओं को भी साक्षात जान सकेंगे।
2015 में मैसेंजर्स का चलन बढ़ा है। इस कारण कुछ प्रमुख सोशल मीडिया वेबसाइट्स की अपेक्षित ग्रोथ नहीं हो सकी। ऐसा माना जाता है कि मैसेंजर्स सोशल मीडिया का एक विकल्प बनकर उभर रहे है। छोटे ग्रुप में मैसेंजर्स का चलन ज्यादा होने लगा है। सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा पहुंच वीडियो की है। उसके बाद फोटो और सबके अंत में स्टेटस पर लोगों की पहुंच होती है। यह ट्रेंड आगे भी जाएगा और केवल लिखे हुए स्टेटस अपडेट को पढ़ने वालों का प्रतिशत कम होगा।
सोशल मीडिया पर, खासकर फेसबुक पर शेयर करने का महत्व सबसे ज्यादा देखा गया। जिस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोग शेयर करते है, उसके फायरल होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। लाइक और कमेंट्स का महत्व उतना ज्यादा शायद नहीं है। इसका कारण यह है कि लाइक और कमेंट्स एक खास मित्र वर्ग में ही देखे और पढ़े जाते है।
अध्ययन में यह बात सामने आई है कि ऑनलाइन शॉपिंग के एक तिहाई आर्डर मोबाइल पर उत्पाद देखकर किए जाते है। इसी को देखते हुए फेसबुक अपने पेज पर ऑनलाइन शॉप्स जैसे फीचर लाने जा रहा है। ट्विटर, इंस्टाग्राम, प्रिंटरेस्ट भी इसी तरह अपनी मार्केटिंग कर रहे है।