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सभी पूजा स्थल सभी लोगों के लिए खुले होने चाहिए, चाहे वे किसी भी जाति, वर्ग या समुदाय के हों। पुरूष और महिला मेंं भेदभाव नहीं होना चाहिए। यह एक शाश्वत सत्य है कि यदि भगवान हैं, तो बिना किसी भेदभाव के सभी के लिए हैं। अगर आराधना स्थल पर ही भेदभाव होगा, तो न्याय कहां मिल सकता है? ...मीडिया में सक्रिय रहनेवाले बुद्धिजीवियों को पूरे सप्ताह शनि शिंगणापुर मंदिर ने व्यस्त रखा। ऐसा लगा मानो शनि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का मुद्दा भारत की सबसे बड़ी चिंता है। पक्ष और विपक्ष मेंं लोगों ने तर्क दिए और गाली-गलौज तक उतर आए। बात शनि मंदिर से शुरू हुई थी, जो हाजी अली दरगाह और सबरीमाला मंदिर तक पहुंच गई। पुरूष अधिकारों के लिए लड़ने वाली दीपिका भारद्वाज तो और आगे जाकर नवरात्र पर होने वाली कन्या पूजा तक जा पहुंची। उन्होंने तर्क दिया कि केवल कन्या पूजा क्यों?

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कार्टूनिस्टों ने भी इस मुद्दे पर सक्रियता दिखाई। एक मुस्लिम नेत्री ने सुझाव दिया कि धर्म में टकराव की जरूरत नहीं है। शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के लिए अलग से इंतजाम कर देना चाहिए। शनि शिंगणापुर के ही एक भक्त ने तर्क दिया कि शनि प्रतिमा पर तेल चढ़ाने के लिए नौ सीढ़ियां चढ़कर ऊपर जाने की अनुमति मंदिर के पुजारियों के अलावा और किसी को नहीं है। जब पुरूष भी वहां नहीं जा सकते, तब महिलाओं के लिए आंदोलन चलाना ठीक नहीं।

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एक भक्त ने शशि थरूर का एक पुराना फोटो शेयर किया, जिसमें लिखा था कि शशि थरूर अपनी पत्नी के साथ शनि मंदिर में पूजा करने नियमित आते रहे हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी अपनी पत्नी साधना सिंह के साथ मंदिर में पूजा और आराधना करते आए हैं।

आंदोलनकारियों के इरादे को लेकर अनेक लोगों ने सोशल मीडिया पर तर्क रखे। टीवी चैनलों पर होने वाली बहस के अलावा सोशल मीडिया पर जो बातें कहीं गई, वो ज्यादा तीखी थीं। लोगों ने इस पर बहुत तीखे तंज किए कि जिस तरीके से यह आंदोलन किया जा रहा है, वह तरीका केवल हिन्दू धर्म को नीचे दिखाने के लिए है। जो महिलाएं कभी मंदिर नहीं जाती होगी, जो कभी भी किसी पूजा स्थल पर नहीं गई होंगी, वे शनि मंदिर में घुसने की बात पर बवंडर खड़ा कर रही हैं। अगर उन्हें कहा जाए कि हर शनिवार को आकर शनि मंदिर में तेल चढ़ाओ, तो वे जीवन में कभी मंदिर ही ना आए। आंदोलनकारी महिलाओं को मायावती और सोनिया गांधी का दलाल तक कहा गया।

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कई लोगों ने लिखा- आंदोलन करने वाली कई महिलाएं तो हिन्दू भी नहीं है और वे अपने धर्म में महिलाओं पर होने वाली गैर बराबरी के मामले में कभी कुछ नहीं बोलती। उनका सारा ज्ञान केवल शनि मंदिर को लेकर है। जब शनि मंदिर में पुरूष और महिलाएं दोनों ही आकर पूजा कर सकती है, तब केवल तेल चढ़ाने की बात को लेकर इतना हल्ला करना ठीक नहीं। इसी के साथ लोगों ने शनि मंदिर में पूूजा करते स्त्री-पुरूषों के अनेक चित्र शेयर किए। कई लोगों ने आंदोलनकारियों पर आरोप लगाए है कि वे विदेशी चंदे से चलने वाले एनजीओ की तरफ से यह आंदोलन चला रही है। उनके पास चंदे का इतना पैसा है कि कई तो हेलीकॉप्टर बुक करके शिंगणापुर पहुंची।

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शनि शिंगणापुर मंदिर जहां स्थित है उस इलाके में लोग अपने घरों में ताले नहीं लगाते। ऐसा भी कहा जाता है कि वहां चोरी की कभी कोई घटना नहीं हुई। यहां तक कि एक राष्ट्रीयकृत बैंक की शाखा में भी दरवाजे पर ताला नहीं लगाया जाता। ऐसे में शनि मंदिर की ख्याति नष्ट करने के लिए आंदोलन करने का आरोप है। कई लोगों ने इस तरह के संदेश भी जारी किए है कि मैं और मेरी पत्नी दोनों शनि मंदिर जाकर पूजा कर चुके है और हमें कोई समस्या कभी नहीं आई।

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान मंत्री बाबूलाल गौर के उस बयान को भी तोड़-मरोड़कर पेश किया गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि महिलाएं चाहे, तो घर में भी पूजा कर सकती है और चाहे तो मंदिर जाकर भी। इस बयान का दूसरा वाक्य कई मीडिया वाले खा गए। मीडिया से लोगों ने सवाल किया कि जो महिलाएं शनि मंदिर में जाना चाहती है, वे क्या वास्तव में पूजा के लिए ही जाना चाहती है या उनका कोई और उद्देश्य है।

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इस सबसे बढ़कर एक और क्रांतिकारी महिला नेता आगे आई और उन्होंने मंशा जाहिर की कि वे सबरीमाला मंदिर में अपने प्रेमी के साथ भगवान और सभी भक्तों की उपस्थिति में सेक्स करना चाहती हैं। सोशल मीडिया पर लोगों ने इस बात का स्वागत किया और लिखा कि मंदिर के पहले वे अपने परिवार वालों, मुहल्ले वालों, सहकर्मियों आदि को प्राथमिकता दे। बेशर्मी की ऐसी हद सोशल मीडिया पर ही संभव है।

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अनेक हिन्दू मत मानने वालों का विचार है कि हिन्दू धर्म ने तो अनेक देवियां भी हुई है और धर्मगुरू के पद पर भी महिलाएं विराजी है, लेकिन 2000 साल में 266 पोप बने, तो कोई पोपनी क्यों नहीं बनी़? हजारों इमाम हुए, कोई इमामनी क्यों नहीं हुई? हिन्दू धर्म में महिलाओं को भगवान के बराबर स्थान दिया गया है, फिर भी सारा ज्ञान हिन्दुओं पर ही क्यों थोपा जाता है?

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01 Feb. 2016

07.11 AM

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