भारतीय थल सेना के लांस नायक हनुमंथप्पा को बचाया नहीं जा सका। पूरे देश ने उन्हें राष्ट्रनायक जैसी विदाई दी। उनके साथ 9 और सैनिक थे, जो सियाचिन की बर्फीली चट्टान के नीचे दबने से शहीद हुए थे। इन शहीदों की बिदाई पर पूरा भारत एक हो गया था। पहले कुछ आशा थी कि शायद हनुमंथप्पा बच जाएंगे, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
मौत से संघर्ष कर रहे हनुमंथप्पा के लिए लोगों ने हर तरह से दुआ मांगी। डॉक्टरों ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन बहादुर हनुमंथप्पा मौत की जंग नहीं जीत सके। हनुमंथप्पा की मृत्यु पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने फेसबुक पर एक संदेश लिखा, जिसमें उन्होंने हनुमंथप्पा को देश का हीरो करार दिया। हनुमंथप्पा की मां को भेजे संदेश में राष्ट्रपति ने जो बातें कही थी, उन्हें भी फेसबुक पर शेयर किया गया। राष्ट्रपति ने लिखा कि हनुमंथप्पा जैसे बहादुरों को पूरा देश हमेशा अपने नायक की तरह याद करेगा और उनकी बहादुरी और अदम्य, साहस की भावना हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।
हजारों लोगों ने हनुमंथप्पा और उनके साथियों की बहादुरी को याद किया और लिखा कि हम करोड़ों लोग रोज रात को चैन की नींद सो सकते हैं, क्योंकि हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं। इन बहादुरों के प्रति हम कितनी भी कृतज्ञता व्यक्त करें, वह कम ही होगी। लोगों ने अमर शहीद को हिम योद्धा और सुपर पॉवर जैसे शब्द दिए। प्रधानमंत्री सहित अनेक मंत्रियों ने भी हनुमंथप्पा को श्रद्धांजलि अर्पित की। सभी ने हनुमंथप्पा और भारतीय सेना के प्रति आभार माना।
लंबी दुआओं के दौर में जैसे ही लोगों को हनुमंथप्पा की शहादत की खबर मिली, करोड़ों लोग अवाक रह गए। लोगों ने लिखा कि अनुमंथप्पा भारतीय सेना और भारत की बहादुरी के प्रतीक है। वे प्रकृति के खिलाफ मानव के संघर्ष के भी प्रतीक बन गए। उन्होंने बताया कि कठिन से कठिन परिस्थिति में हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। दूसरे सैनिकों के लिए भी वे हमेशा प्रेरणा के स्त्रोत बने रहेंगे। सोशल मीडिया पर लोगों ने हनुमंथप्पा की डेढ़ वर्ष की बेटी नेत्रा को देश की बेटी कहा। लालू यादव ने अपने ट्वीट में हनुमंथप्पा को सेल्यूट करते हुए भारत का वीर सपूत कहा। हनुुमंथप्पा के उस कथन को भी कई लोगों ने सोशल मीडिया पर शेयर किया, जिसमें उन्होंने लिखा था कि अगर मैं भारत माता की सेवा करते हुए शहीद हो जाऊ, तो मेरी मां को बताना कि मैंने अपने देश के लिए श्रेष्ठतम कार्य किया है।
गायक अरिजीत सिंह ने हनुमंथप्पा को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि मुझे ईश्वर से कुछ चमत्कार की आशा थी। शायद ही कोई प्रमुख नेता, कलाकार, उद्योगपति, पत्रकार या सार्वजनिक जीवन से जुड़ा कोई व्यक्ति होगा, जिसने हनुमंथप्पा को श्रद्धांजलि नहीं दी हो। जब हनुमंथप्पा की सलामती की सूचना आई थी, तब माहौल इतना भावपूर्ण हो गया था कि सेना प्रमुख की आंखों से भी आंसू छलक गए थे।
हनुमंथप्पा की अंतिम यात्रा के वक्त भी सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि देने वालों की संख्या लाखों में थी। उनकी अंतिम यात्रा में भी हजारों लोग थे और कई ऐसे थे, जिनका कभी हनुमंथप्पा से संपर्क नहीं हुआ था। कई लोगों का मानना रहा कि जितनी लंबी लड़ाई हनुमंथप्पा ने लड़ी, वह ऐतिहासिक है और रोंगटे खड़े कर देने वाली है। हनुमंथप्पा को बर्फ की खाई से बचाने का वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। सोशल मीडिया पर किसी व्यक्ति ने उन्हें काव्यात्मक श्रद्धांजलि इस तरह से दी :-
‘‘तुम जिंदगी से जीते तो नहीं, पर लड़े तो थे,
ये बात कम नहीं कि तुम जिद पर अड़े तो थे।
ये गम रहेगा हमको, बचा न सके तुम्हें,
वरना हमें बचाने, वहां तुम खड़े तो थे।’’