सोशल मीडिया पर कोच्चि का एक विद्यार्थी अमाल ऑगस्टीन के खूब चर्चे हो रहे है। साइबर स्क्वेटिंग करके इस छात्र ने फेसबुक के जनक मार्क जकरबर्ग के साथ एक डील पक्की की है। डील वैसे तो छोटी है, केवल 700 डॉलर की, लेकिन यहां पैसे से ज्यादा महत्व मार्क जकरबर्ग के साथ डील करने का है।
साइबर स्क्वेटिंग का अर्थ यह है कि बेचने के इरादे से ही कोई डोमेन नेम रजिस्टर कराना और उसे महंगे दामों पर सही व्यक्ति को बेच देना। कई लोग इसे अवैध भी मानते हैं। उपभोक्ता संरक्षण कानून के अनुसार भारत में यह गैरकानूनी नहीं है। अमेरिका में हाल ही इसके बारे में कानून बना है, जिसके अनुसार अगर आप किसी कंपनी से सम्बद्ध न होते हुए भी अगर उस कंपनी का नाम रजिस्टर कराते है और उसी कंपनी को महंगे दाम पर बेचने की पेशकश करते है, तो यह अवैध वसूली मानी जाएगी और इसके लिए तीन लाख डॉलर तक का जुर्माना भी किया जा सकता है। डब्ल्यूआईपीओ (वल्र्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन) ने साइबर स्क्वेटिंग के खिलाफ नियम भी बनाए है। सबसे मजेदार बात यह है कि डब्ल्यूआईपीओ के नाम पर ही किसी ने डब्ल्यूआईपीओ.कॉम रजिस्टर करा ली और उसे इस संगठन को कई हजार डॉलर में बेचा। पेनासोनिक, हर्ट्स, एवान आदि कंपनियों के नाम पर इस तरह के डोमेन रजिस्टर किए गए थे और इन कंपनियों को महंगे दाम पर ये डोमेन खरीदने पड़े। कई लोग तो डोमेन नेम रजिस्टर करा कर वेबसाइट पर लिख देते है- अंडर कंस्ट्रक्शन और फिर दूसरी वेबसाइट पर जाकर यह डोमेन नेम बेचने के विज्ञापन डाल देते है।
कोई भी व्यक्ति किसी भी नाम से डोमेन रजिस्टर करा सकता है। भारत में इसके पहले अमिताभबच्चन.कॉम और सलमानखान.कॉम जैसे डोमेन तकनीकी विशेषज्ञों ने रजिस्टर करा लिए थे और फिर उन्हें अच्छे खासे पैसे लेकर बेच दिया। डोमेन नेम रजिस्ट्रेशन के नियम अब थोड़े बदले हैं, जिसके मुताबिक आप किसी भी कंपनी का नाम रजिस्टर्ड नहीं करा सकते, लेकिन साइबर स्क्वेटिंग के कारण ही कई लोगों ने प्रचलित अखबारों और टीवी चैनलों के नाम पर डोमेन नेम कई साल पहले ही रजिस्टर्ड करा रखे है और उन नामों का उपयोग अपने फायदे के लिए कर रहे है।
अमाल कोच्चि के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ रहा है। बीई फाइनल ईयर का विद्यार्थी है। शुरू से ही उसकी रूचि सोशल मीडिया में है। वह अपनी पढ़ाई और शौक के जरिये व्यवसाय करना चाहता हैं। अमाल ने इसके लिए साइबर स्क्वेटिंग को चुना। अमाल ने दर्जनों वेबसाइट्स के डोमेन नेम अपने नाम पर रजिस्टर करा रखे हैं। इसी में उसकी पहली डील जकरबर्ग के साथ सम्पन्न हुई।
जब मार्क जकरबर्ग की पत्नी ने बेटी को जन्म दिया और उस बेटी का नाम मैक्सिमा चान जकरबर्ग घोषित हुआ, तभी अमान ने जकरबर्ग की बेटी के नाम पर एक डोमेन सुरक्षित करवा दिया। मैक्सचानजकरबर्ग.ओआरजी नाम का यह डोमेन जकरबर्ग की बेटी के संक्षिप्त नाम पर आधारित है। पिछले दिनों अमाल को एक वेबसाइट के जरिये ई-मेल मिला कि क्या मैक्सचानजकरबर्ग.ओआरजी बिक्री के लिए उपलब्ध है? अमाल ने उसके जवाब में अपनी स्वीकृति दी और कीमत लगा दी 700 डॉलर।
कुछ ही दिनों में अमाल की डील फाइनल हो गई और डील पक्की होने का ई-मेल भी उसे मिला। उस ई-मेल से अमाल को पता चला कि जो डोमेन उसने रजिस्टर किया था, उसे आइकॉनिक केपिटल नाम की कंपनी खरीदना चाहती है। आइकॉनिक केपिटल वह कंपनी है, जो मार्क जकरबर्ग के वित्तीय मामलों को संभालती हैं। रजिस्ट्रेशन में नाम बदलने के बाद जब अंतिम चिट्ठी मिली, तब पता चला कि यह डोमेन खरीदने वाली कंपनी का लेटरहेड तो फेसबुक का है। कानून के मुताबिक अगर डोमेन नेम बेचने और कीमत पर सहमति बन जाए, तो बाद में मोल-भाव नहीं किया जा सकता। अमाल की यह डील एक हफ्ते में ही फाइनल हो गई।
अमाल को अभी भी अफसोस होता है कि उसने डोमेन नेम सस्ते में बेच दिया, लेकिन उसे खुशी इस बात की है कि उसकी डील किसी छोटे-मोटे व्यक्ति से नहीं, बल्कि मार्क जकरबर्ग की कंपनी से हुई है। अमाल ने इस डील की जानकारी जकरबर्ग की ही वेबसाइट यानि फेसबुक पर अपने मित्रों को दी और लिखा कि मैं इस डील को करते हुए बेहद रोमांचित हूं।