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अधिकांश मध्यमवर्गीय भारतीय घरों में बच्चे देर रात तक पढ़ते हैं। किताबों से भरी टेबल पर वे कम्प्यूटर के सामने बैठे रहते हैं और माता-पिता समझते हैं कि उनके बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। कुछ स्मार्ट अभिभावक अपने बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट पर निगरानी रखते हैं और समझते है कि उनका दायित्व पूरा हो गया। हजारों माता-पिता को तो यह मालूम ही नहीं कि उनका बेटा या बेटी कम्प्यूटर और स्मार्ट फोन का उपयोग किस तरह कर रहे हैं।
जब वेबदुनिया शुरू हुआ तब गूगल महज एक साल का था और फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन, कोरा आदि का अस्तित्व भी नहीं था। वेबदुनिया के साथ सबसे विशिष्ट बात यह थी कि यह हिन्दी में शुरू होने वाला पहला पोर्टल था। वेबदुनिया के पहले कोई इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकता था कि इंटरनेट पर हिन्दी या अन्य भारतीय भाषाओं का उपयोग किया जा सकेगा। वेबदुनिया के प्रयासों को कई लोग अजीब सी निगाहों से देखते थे। वेबदुनिया! वह भी हिन्दी में! ऊपर से मध्यप्रदेश के इंदौर से, जहां न तो सही कनेक्टिविटी उपलब्ध है और न ही बिजली ठीक से मिल पाती है। इंटरनेट के तमाम बड़े-बड़े दिग्गज सिलीकॉन वैली में डेरा जमाए थे। उन दिग्गजों के पास निवेश की कोई चुनौती नहीं थी। वेबदुनिया के पास संसाधन सीमित थे, लेकिन इरादे बुलंद और मजबूत। 18 साल में वेबदुनिया हिन्दी इंटरनेट ही नहीं, भारतीय भाषाओं के पोर्टल का पर्याय बन चुका है। हिन्दी को स्थापित करने में वेबदुनिया का महत्व बेमिसाल है और उसकी क्षमताओं का लोहा सभी मान चुके है।
अमेरिकी आप्रवासी विभाग ने घोषणा की थी कि वह विदेश से आकर अमेरिका में बसने वाले और अमेरिका में बसे विदेशी मूल के लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट्स की पूरी पड़ताल करेगा। आगामी 18 अक्टूबर से यह जांच शुरू हो जाएगी। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सेक्युरिटी ने स्पष्ट किया है कि नई नीति के तहत यह जांच उन सभी लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट्स और सर्च रिजल्ट्स की की जाएगी, जो ग्रीन कार्डधारक है अथवा जिन्हें अमेरिका की नागरिकता मिली हुई है।
एकाकी जीवन जी रहे लोगों को सोशल मीडिया के लाइक्स बहुत ज्यादा प्रभावित करते हैं। ज्यादा लाइक्स का अर्थ है उनके लिए खुशी। लाइक्स का कम होना उनमें नैराश्य का भाव ला देता है। जन्मदिन पर मिले लाइक्स की संख्या तय करती है कि बर्थ-डे मना रहा व्यक्ति उस दिन कितना खुश रहता है। फेसबुक जैसे प्लेटफार्म लोगों के बर्थ-डे को खास बना देते है। उन लोगों को भी याद दिला दी जाती है कि जिसे आप भूल रहे हो, आज उसका बर्थ-डे है। इस सूचना से ऐसे भी कई लोग बधाई संदेश प्रेषित कर देते है, जिनकी याददाश्त कमजोर है और जो बधाई संदेश देने के लिए बहुत मेहनत नहीं करना चाहते। एक इमोजी भेजकर बधाई दी जा सकती है या फिर पूरा हैप्पी बर्थ-डे लिखने की बजाय केवल तीन अक्षर एचबीडी से काम चल जाता है।
सोशल मीडिया का पूरी दुनिया में ‘अस्त्रीकरण’ कर दिया गया है। विपदा की घड़ी में सोशल मीडिया के गलत उपयोग को रोकना और अफवाहों पर अंकुश लगाना गंभीर चुनौती बन गई है। विपदा की घड़ी में सोशल मीडिया एक हथियार की तरह काम करता है। लास वेगास में हुए गोलीकांड के बाद यह बात एक बार फिर स्पष्ट हो गई है।
ब्रिटेन की एक कोर्ट में अनूठा मामला आया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि वहां की खुफिया एजेंसियां सोशल मीडिया के डाटा का उपयोग कर रही है। प्राइवेसी इंटरनेशनल नामक संस्था यह मामला कोर्ट ले गई है और उसका कहना है कि लोगों की निजी जानकारियों को इकट्ठा करके उसका उपयोग करना उचित नहीं है। लोगों ने अपनी निजी जानकारी किसी खास उद्देश्य से शेयर की है और वह व्यक्तिगत जानकारी है। इस संस्था की मुख्य आपत्ति यह है कि खुफिया एजेंसियां इस सम्पूर्ण जानकारी को किसी विदेशी एजेंसी को दे सकती है। इससे वहां के लोगों की सुरक्षा पर भी खतरा हो सकता है।