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(प्रकाश हिन्दुस्तानी से कृष्णपाल सिंह जादौन की बातचीत)
वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश हिन्दुस्तानी इन दिनों नरेन्द्र मोदी पर लिखी एक किताब को लेकर चर्चा में है। यह किताब नरेन्द्र मोदी के चुनाव अभियान को लेकर लिखी गई है। दिलचस्प बात यह है कि इस किताब का विमोचन 25 मई 2014 को हो गया था, जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26 मई को शपथ ग्रहण की थी। यह किताब नरेन्द्र मोदी के चुनाव अभियान को लेकर तो है ही उनकी चुनावी रणनीति और राजनीतिक पैतरेबाजी को लेकर भी थी। नरेन्द्र मोदी की ब्रांडिंग, मार्वेâटिंग और चुनावी व्यूह रचना को लेकर तुरत-फुरत में प्रस्तुुत यह किताब हाथों-हाथ ली गई।
प्रस्तुत है प्रकाश हिन्दुस्तानी से कृष्णपाल सिंह जादौन की बातचीत:-
मुझे पत्रकारिता में लाने वाले श्री राजेन्द्र माथुर को समर्पित यह पर्सनल वेबसाइट पत्रकारिता पर चर्चा करने का निमित्त मात्र है। मैं कुछ भी कर लूं- पूरे जीवन में पत्रकार के रू में मेरा कद श्री माथुर के घुटनों तक भी नहीं पहुंच सकता।
श्री राजेन्द्र माथुर पारस समान थे और मैंने हमेशा उनके पास जाने की, उन्हें छूने की कोशिश की। गाली और दलाली में तब्दील होती जा रही पत्रकारिता के इस दौर में भी श्री राजेन्द्र माथुर कभी अप्रासंगिक नहीं होंगे। श्री राजेन्द्र माथुर के प्रशंसकों का बड़ा वर्ग रहा है। तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जेल सिंह से लेकर टाइम्स ऑ इंडिया के सम्पादक श्री गिरिलाल जैन तक उनके लेखन के कायल रहे।
पत्रकारिता में एक नई रुपक शैली, भाषा को एक नया मुहावरा देने वाले श्री राजेन्द्र माथुर के बारे में जितना भी कहा जाए, कम ही होगा।
23/07/1955 : जन्म बुरहानपुर, मध्यप्रदेश में। वहां से इंदौर जिले की महू तहसील के गांव नेऊ गुराड़िया (महू-पातालपानी के बीच) में बचपन। चौथी कक्षा में महू के माहेश्वरी विद्यालय में भर्ती। फिर शासकीय माध्यमिक और हायर सेकेण्डरी स्वूâल में। महू के शासकीय कॉलेज से बी.कॉम, फिर एम.कॉम। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल से टॉ रेंक पर मास्टर ऑफ जर्नलिज्म की डिग्री।
01/09/1975 : नौकरी की शुरुआत। पंचायत और समाज सेवा विभाग में धार में अप अंकेक्षक नियुक्त। १९७८ के आखिरी दिन तक नौकरी की। फिर श्री राजेन्द्र माथुर के मार्गदर्शन में नईदुनिया में प्रशिक्षु उपसंपादक।
14/09/1981 : याद है वह हिन्दी दिवस था और अनंत चतुर्दशी का दिन भी जब मैंने मुंबई का सफर शुुरू किया था। दि टाइम्स ऑफ इंडिया समूह की पत्रिका ‘धर्मयुग’ में उप संपादक के तौर पर। वहां से सालभर बाद ही नवभारत टाइम्स में स्थानांतरित।
हर खबर, पॉजिटिव खबर होती है:
न्यूज, केवल न्यूज होती है। नेगेटिव या पॉजिटिव नहीं। सभी खबरें पॉजिटिव न्यूज ही होती हैं। मेरा मानना है कि हत्या, चोरी और बलात्कार जैसी खबरें भी अगर मीडिया में आती हैं, तो यह बताने के लिए कि हमारे समाज में पॉजीटिव लोग कम हो रहे हैं। यह एक चेतावनी होती है समाज में। अगर ५० लाख लोगों के शहर में बहुत बड़ी वारदात हो तो उसका उद्देश्य समाज को, सत्ता को, प्रशासन को चेताने का रहता है।
प्रेस की आजादी का अर्थ, मीडिया संस्थान के मालिक की ही आबादी नहीं होती:
प्रेस के मालिक कोई भी हो सकते हैं- व्यक्ति, फर्म, कम्पनी, ट्रस्ट। कोई भी, लेकिन प्रेस की आजादी सभी लोगों की आजादी का प्रतीक है। कई लोग समझते हैं कि प्रेस की आजादी, मतलब मालिक की आजादी।
मैं हाई स्वूâल के अपने हिन्दी शिक्षक श्री श्रीराम ताम्रकर को याद करना चाहूंगा, जिन्होंने मुझे हिन्दी सिखाई। जिनके मार्गदर्शन में मेरा पहला लेख सिंडिकेट किया गया और मुझे ८ रुपए का पहला चेक प्राप्त हुआ।
आज मैं अपने कई पुराने दोस्तों, सहकर्मियों को याद करता हूं, जिसमें नईदुनिया के साथी स्वर्गीय शाहिद मिर्जा, श्री अमित प्रकाश सिंह, श्री सतीश जोशी, श्री राकेश त्रिवेदी, श्री राजेश बादल, श्री शिव अनुराग पटैरिया, श्री विभूति शर्मा हैं।