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एड गुरू एलिक पदमसी से मेरा आमना सामना तो कई बार हुआ, लेकिन लंबी और यादगार मुलाकात कभी नहीं हुई । वे तीन बातों के कारण जाने जाते हैं : वे भारत में आधुनिक एडवरटाइजिंग के पितामह थे, जिन्होंने सअउ से अधिक ब्रांड तैयार किए। दूसरी बात वे अंग्रेजी थिएटर की एक बड़ी हस्ती थे, जिन्होंने 100 से अधिक नाटक तैयार किए। तीसरा उन्होंने सोशल सर्विस का बहुत काम किया, खासकर मुंबई पुलिस फोर्स के साथ महिलाओं की छेड़छाड़ के विरुद्ध। उन्होंने लगातार अभियान चलाए। इसके बावज़ूद उन्हें हमेशा याद किया जाता है सर रिचर्ड एटनबरो की फिल्म गांधी में उनके जिन्ना के किरदार के लिए।
पूरी दुनिया में श्वेत लोगों की तुलना में अश्वेतों को कमतर आंका जाता है। अश्वेत लोग भी अपने आप को श्वेत दिखाने की कोशिश करते है और इसके लिए तरह-तरह के जतन भी करते है। महंगे मेकअप किट से लेकर सर्जरी तक कराने से नहीं चूकते, लेकिन स्वीडन की मॉडल एेमा हालबर्ग ने जिस तरह के मेकअप के बाद फोटो खिंचवाई और उसे इंस्टाग्राम पर शेयर किया, उससे यह बात साबित होती है कि दुनिया बदल रही है। अब अश्वेतों को हीन नहीं समझा जाता।
ब्रेक्सिट मामले के अलावा भी फेसबुक पर आरोप लगे हैं। आमतौर पर यह माना जाता था कि सोशल मीडिया में वही बात सामने आती है, जो लोग पोस्ट करते रहते हैं, लेकिन अब यह भी गलत साबित हो रहा है। आरोप लगे है कि फेसबुक पर राजनैतिक खबरों की ट्रेंडिंग लिस्ट से छेड़छाड़ की जाती है। यह आरोप भी लगा है कि फेसबुक के कर्मचारी अपने तरीके से ट्रेंडिंग लिस्ट में स्टोरी जोड़ते रहते है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि जो पोस्ट ट्रेंडिंग में आ रही है, वे निष्पक्ष नहीं है। फेसबुक ने इन आरोपों को गलत बताया है और कहा है कि हम अपने कर्मचारियों को ट्रेनिंग देते है कि वे अपनी राजनैतिक विचारधारा को अपने काम में शामिल न होने दें। फेसबुक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पत्रकारों के सामने खुलकर यह बात रखी कि फेसबुक किस तरह ट्रेंडिंग टॉपिक्स का चयन करता है। फेसबुक का कहना है कि हमारे पास निष्पक्ष व्यवहार करने के लिए एक पूरी व्यवस्था है, जो पब्लिक पोस्ट में संतुलन की भूमिका निभाती है। न्यूज फीड में जो भी स्टोरी पहुंचती है, उसे तय करने के लिए एक अल्गोरिदम होता है, जो तय करता है कि कौन-कौन सी स्टोरी को ट्रेंडिंग टॉपिक बनाया जाए। फिर एक टीम उपलब्ध स्टोरीज में से ट्रेंडिंग टॉपिक का चयन करती है।
रवीश कुमार ने हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा कि मैं न्यूज चैनल नहीं देखता और न ही अखबार पढ़ता हूं। हो सकता है कुछ दिन बाद वे यह भी कहने लगे कि मैं सोशल मीडिया पर भी नहीं जाता। जिस तरह से अखबार और टीवी मूल मुद्दों से हटकर संदर्भहीन समाचारों और कार्यक्रमों के कारण अपना अर्थ खोते जा रहे है। उसी तरह सोशल मीडिया भी लोगों के व्यक्तित्व का नाश करता जा रहा है।
अमेरिका (यूएसए) में नया राष्ट्रपति चुना जाना है। एक साल पहले से नए राष्ट्रपति के लिए गतिविधियां शुरू हो गई। डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी पूरा जोर लगा रही है कि राष्ट्रपति उन्हीं का हो। अमेरिका की नियति है कि वहां राष्ट्रपति चुने जाने के दो साल बाद ही अगले राष्ट्रपति के चुनाव की गतिविधियां शुरू हो जाती है। 2012 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में दोनों ही प्रमुख पार्टियों ने बड़ी मात्रा में धन खर्च किया था। एक अनुमान है कि डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियों का चुनाव खर्च 11 अरब 40 करोड़ डॉलर (भारतीय रुपए के वर्तमान मूल्य के अनुसार करीब 775 अरब)के बराबर था। उस समय रुपए की कीमत ज्यादा थी। अनुमान है कि इस बार राष्ट्रपति पद के चुनाव में विज्ञापन का खर्च इससे भी 20 प्रतिशत अधिक होगा। इस खर्च का 7 से 10 प्रतिशत तक डिजिटल मीडिया पर खर्च होने का अनुमान है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपनाया गया हैशटैग ‘सेल्फी विथ डॉटर’(#SelfieWithDaughter) साल 2015 के सबसे प्रभावी हैशटैग की श्रेणी में रखा गया है। मन की बात कार्यक्रम में नरेन्द्र मोदी ने हरियाणा के बीबीपुर गांव में सरपंच द्वारा किए गए सेल्फी विथ डॉटर अभियान के बारे में कहा था। फिर पूरी दुनिया में सेल्फी विथ डॉटर का हैशटैग चलन में आ गया था। खुद नरेन्द्र मोदी को भी शायद इसकी उम्मीद नहीं थी।