लोकसभा चुनाव में भाजपा की शानदार सफलता पर संडे गार्डियन में एक विशेष रिपोर्ट छपी है। रिपोर्ट के अनुसार चुनाव में भारी सफलता के पीछे जो मुख्य कारण है, वह है मतदाता का मन समझने में नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की कुशलता। अखबार के अनुसार दोनों नेता मतदाता के मन में क्या है, यह बात समझने में पूरी तरह सफल रहे और उन्होंने उसी के हिसाब से चुनाव अभियान चलाया। नतीजे में लोगों ने उन्हें भारी सफलता प्रदान की। नरेन्द्र मोदी की हाल ही में 8 जून को हुई सभा में उन्होंने इसका जिक्र भी किया है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में 2009 से 2013 तक कार्य करने वाली सामंथा विनोगार्ड का मानना है कि दुनिया में नया ध्रुवीकरण हो रहा है। इस ध्रुवीकरण के कारण अमेरिका के खिलाफ तमाम देश लामबंद हो रहे है। जो देश अमेरिका के करीबी थे, वे भी दूर छिटक रहे हैं और जो दूर थे, वे और भी ज्यादा दूर जा रहे हैं। इन सबके चलते भविष्य में अमेरिका अलग-थलग पड़ सकता है। इसका एक मुख्य कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का व्यवहार बताया जाता है। यह अमेरिका के हित में नहीं है और न ही अमेरिका के सहयोगी मूल के हित में।
पिछले हफ्ते अमेरिका के वाशिंगटन पोस्ट ने नरेन्द्र मोदी के बारे में एक बेहद आपत्तिजनक लेख प्रकाशित किया था, जिसमें मोदी की तुलना किसी तानाशाह से की गई थी, लेकिन देखते ही देखते अमेरिकी मीडिया के स्वर बदले हुए नजर आ रहे हैं। अब अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने ओपिनियन पृष्ठ पर स्टीवन रेटनर का एक लेख छापा है, जिसका शीर्षक है - वाय इंडिया नीड्स मोदी। स्टीवन रेटनर ओबामा प्रशासन में ट्रेजरी सेक्रेटरी थे और उन्हें लगता है कि नरेन्द्र मोदी की जीत न केवल उनके या उनकी पार्टी के लिए, बल्कि भारत के लिए भी अच्छी है।
न्यूयॉर्क टाइम्स के कार्यकारी संपादक डीन बाक्वट ने इंटरनेशनल न्यूज मीडिया एसोसिएशन वर्ल्ड कांग्रेस में यह बात कही है कि अमेरिका में अखबारों की उम्र 5 साल बची है। दूसरे देशों में यह अवधि 10 से 15 साल तक हो सकती है, लेकिन यह तय है कि अखबार बंद होते जा रहे है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में प्रिंट मीडिया के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती है। उनका इकॉनामिक मॉडल फ्लाॅप हो चुका है और वे किसी तरह जिंदा बचे हुए हैं। 5 साल बाद भी वे अखबार बचे रहेंगे, जिनके पीछे बड़े-बड़े कार्पोरेट घराने हैं। वरना स्वतंत्र मीडिया की उम्र ज्यादा बची नहीं है।
दिल्ली के इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फर्मेशन टेक्नोलॉजी ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के आधार पर यह शोध की है कि सोशल मीडिया की गतिविधियों के द्वारा किसी भी शख्स के व्यक्तित्व, सामाजिक व्यवहार और रुचियों का पता लगाया जा सकता है। इस प्रणाली में मशीन लर्निंग और भाषा को लेकर अध्ययन किए गए। सोशल मीडिया पर किए गए सैकड़ों लोगों के पोस्ट को 70 कैटेगरी में विभाजित करके इस शोध ने दिलचस्प नतीजे निकाले है।
सन 2013 से राजेश जैन भारतीय जनता पार्टी के इन्फर्मेशन टेक्नोलॉजी रणनीतिज्ञ हैं। उन्होंने ही सबसे पहले फेसबुक और वाट्सएप का उपयोग भाजपा के प्रचार में करना शुरू किया। यह भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं का काम रहा कि उन्होंने सोशल मीडिया पर पार्टी की छवि बनाने के लिए लंबा-चौड़ा काम किया। फेसबुक इंडिया के अधिकारियों की मदद भाजपा ने ली और भाजपा के आईटी सेल के अनेक कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दी गई। भाजपा की छवि चमकाने के लिए विज्ञापन जगत के कई विशेषज्ञों की राय ली गई, जिनमें प्रहलाद कक्कड़, सजन राजगुरू और अनुपम खेर प्रमुख हैं। इन्हीं लोगों ने सलाह दी थी कि सोशल मीडिया पर नरेन्द्र मोदी की छवि ऐसी बनाई जाए, जिसे लार्जर देन लाइफ कहा जाता है। 2014 आते-आते नरेन्द्र मोदी की छवि बनकर तैयार हो गई थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के खासमखास डॉ. हिरेन जोशी ने मोदी की छवि चमकाने का कामकाज संभाल लिया। आजकल यह काम प्रधानमंत्री कार्यालय के ओएसडी कर रहे हैं। उनके साथ तकनीकी क्षेत्र के दो विशेषज्ञ भी हैं। नीरव शाह और यश राजीव गांधी। डॉ. हिरेन जोशी का फेसबुक से पुराना संपर्क रहा है। माय जीओवी इंडिया वेबसाइट के डायरेक्टर अखिलेश मिश्रा भी नरेन्द्र मोदी की छवि बनाने में लगे है। बीजेपी आईटी सेल के पूर्व प्रमुख अरविन्द गुप्ता को पिछले दिनों माय जीओवी इंडिया का प्रमुख बनाया गया है।
केरल में एक नया पर्यटन स्थल विकसित हुआ है, जो विश्व में तीर्थ स्थल की जगह ले सकता है। यह है जटायु अर्थ्स सेंटर। हिन्दी में इसे जटायु पर्वत कहना ज्यादा सही लगता है। इस स्थान पर एक विशाल पहाड़ी की चोटी पर जटायु का शिल्प बनाया गया है। यह शिल्प 200 फीट लंबा, 150 फीट चौड़ा और 70 फीट ऊंचा है। 65 एकड़ के इस जटायु पर्वत की चोटी पर चट्टानों को तराश कर जटायु के पंख बनाए गए है। उसी जटायु के जिसने सीता के अपहरण करने वाले रावण के साथ आकाश में युद्ध किया था और रावण को अपहरण करने से रोका था। बदले में रावण ने जटायु के पंख काट दिए थे, जिससे वह जमीन पर आ गिरा था।
आमतौर पर माता-पिता बच्चों को शिक्षा देते रहते है और कई बार सजा भी देते है, लेकिन सोशल मीडिया के जमाने में अब बच्चे अपने माता-पिता को सबक सीखा रहे है। वे सोशल मीडिया पर अपने माता-पिता के व्यवहार को लेकर तीखे कमेंट्स करते रहते हैं। इससे कई माता-पिता ने सबक भी सीखा है, लेकिन बहुतेरे हैं, जो सबक नहीं सीख पाए हैं।
लीग क्रिकेट में हो रहा है भारत-पाक संघर्ष
भारत और पाकिस्तान की सीमाओं पर ही तनाव नहीं है। तनाव क्रिकेट में ही है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद इस तरह की मांग हो रही है कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट न खेला जाएं। आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाड़ियों को पहले से ही प्रतिबंध किया जा चुका है। भारतीय कंपनी ने दुबई में होने वाली पाकिस्तान सुपर लीग के मैचों का प्रसारण रोक दिया था, जिसके विरोध में अब पाकिस्तान ने इंडियन प्रीमियर लीग के मैचों पर रोक लगा दी है। ये बातें ऊपर से जितनी साफ नजर आती है, उतनी साफ है नहीं। दरअसल इसके पीछे क्रिकेट में लगने वाला अपार धन है।
7 अगस्त, जन्मदिन के अवसर पर...
आजकल अखबारों का सम्पादकीय पन्ना ‘वेस्ट मटेरियल' बनता जा रहा है, जिस पन्ने पर लोग सबसे ज्यादा भरोसा करते थे और जिसे पढ़ने के लिए न केवल आतुर रहते थे, बल्कि जिसके एक-एक शब्द को पाठ्यपुस्तक की तरह पढ़ा जाता था, वह अब न्यूजपेपर नाम के प्रॉडक्ट का लगभग अवांछित हिस्सा बन गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का टि्वटर अकाउंट बैन कर दिया गया है। ऐसा अमेरिका के इतिहास में पहली बार हुआ कि राष्ट्रपति को टि्वटर अकाउंट ही डिलीट कर दिया गया। वह भी ऐसे राष्ट्रपति का, जिसने टि्वटर को अपना ऑफिशियल प्रवक्ता बना रखा था। टि्वटर के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि अब राष्ट्रपति ट्रम्प टि्वटर के जरिये अपने विचार लोगों तक नहीं पहुंचा पाएंगे। टि्वटर पर ट्रम्प के निजी अकाउंट के 5 करोड़ 95 लाख फॉलोअर्स और अमेरिकी राष्ट्रपति के अकाउंट के 2 करोड़ 55 लाख है। चर्चा है कि राष्ट्रपति की प्रेस प्रवक्ता इस बारे में हड़बड़ी में प्रेस कॉफ्रेंस बुला रही है।
साइंस डेली की एक रिपोर्ट के अनुसार जब भी कोई सोशल मीडिया पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी शेयर करता हैं, तब दूसरे लोग उस पोस्ट से संबंधित व्यक्ति की निजी जानकारियां खोजने लगते है। खासकर यह कि पोस्ट लिखने वाले की व्यक्तिगत जिंदगी कैसी है, उसका रोमांटिक रिश्ता किससे है और कौन-कौन उसके दोस्त हैं। कौन-कौन से रिश्तों को उसने तवज्जों दी हैं। क्या पोस्ट लिखने वाला या लिखने वाली शादीशुदा हैं, उसका किसी से दोस्ताना हैं, उसका कहां-कहां आना-जाना है। इन सब बातों में लोगों की दिलचस्पी होती है। अगर ऐसी पोस्ट शेयर करने वाला पुरूष न होकर महिला है और युवा है, तब तो लोगों की दिलचस्पी की सीमा ही नहीं रहती। उस निजी जानकारी का एक्स-रे हर कोई करना चाहता है। लोग खोजने लगते है कि पोस्ट लिखने वाले यूजर का आत्मीय रिश्ता किस-किससे है या किस-किससे हो सकता है। अगर आप अपनी निजी जिंदगी की एक-एक बात शेयर कर रहे हो, तो संभव है आपका जीवनसाथी (बेचारा) अपने आप को अकेला महसूस करें।
भारतीय सेना के अधिकारी सोशल मीडिया पर सक्रिय नहीं होते। यह मामूली बात भी कई लोगों को पता नहीं है। पाकिस्तान से लौटने के बाद भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के नाम पर सोशल मीडिया में कई अकाउंट खुल गए है। टि्वटर पर तो एक अकाउंट में सरकार की तारीफ के ट्वीट भी किए गए। यह अकाउंट इस चतुराई से बनाया गया है कि एक आम आदमी गफलत में पड़ जाएं और टि्वटर पर अभिनंदन के फॉलो करने लगे। जब अभिनंदन वर्धमान की मुलाकात रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण के हुई, तब उसकी तस्वीरें कई अखबारों और वेबसाइट में नजर आई। उसी में से तस्वीर चुराकर फर्जी अकाउंट पर डाल दी गई और लिखा कि आज मैंने रक्षा मंत्री से मुलाकात की। अभिनंदन का असली अकाउंट समझकर कई लोगों ने उन्हें फॉलो करना शुरू कर दिया। दो ही दिन में उनके हजारों से ज्यादा फॉलोअर भी बन गए। इस अकाउंट में सरकार की प्रशंसा के संदेश तो थे ही, भारतीय मीडिया के खिलाफ भी कुछ पोस्ट थे, जिसे कई लोगों ने रि-ट्वीट किया।
कानून विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों के लिए कुछ मोबाइल ऐप बहुत ही खतरनाक है। अगर आपके करीबी किसी बच्चे ने ये ऐप अपने मोबाइल में अपलोड कर रखे हो, तो कोशिश कीजिए कि उन्हें डिलीट कर दिया जाए। संभावित परेशानी से बचने का यह अच्छा तरीका है। पुलिस का तो यह भी कहना है कि अपने बच्चों के मोबाइल की पड़ताल करते रहे और देखते रहे कि वे कौन से ऐप डाउनलोड कर रहे है। बच्चों के मोबाइल की प्राइवेसी सेटिंग की भी जांच करते रहे और फोन तथा उसके ऐप के इस्तेमाल के बारे में उनसे चर्चा करते रहे। पुलिस का कहना है कि बच्चों के मोबाइल में ये ऐप खतरनाक हो सकते है :
सैफ अली खान और करीना कपूर खान का बेटा तैमूर अली खान अकेला नहीं है, जो सोशल मीडिया पर बेहद लोकप्रिय हैं। सोशल मीडिया पर तैमूर के फोटो और वीडियो अक्सर वायरल होते रहते है, लेकिन इंस्टाग्राम पर एक ऐसा सुपरस्टार परिवार भी है, जिसके बच्चे से लेकर बड़े तक इंस्टाग्राम पर लोकप्रिय है। कुल मिलाकर 40 लाख से अधिक फॉलोअर्स हैं। यह है अरिजोना का स्टॉफर परिवार। केटी, उनके पति चार्ल्स और उनके बच्चे 5 बच्चे कैटलीन, चार्लेस, फिन, मिला और ऐमा। ये सातों ही सोशल मीडिया के सुपरस्टार है और ये अपनी लोकप्रियता को भुनाना भी अच्छी तरह जानते है। अकेले इंस्टाग्राम पर ही इस परिवार के 40 लाख फॉलोअर्स है और यू-ट्यूब तथा फेसबुक पर भी अच्छे खासे फॉलोअर्स है।
अल सल्वाडोर में सोशल मीडिया के स्टार की जीत राष्ट्रपति चुनाव में होना सोशल मीडिया के बढ़ते महत्व को बताता है। हाल ही हुए राष्ट्रपति चुनाव में 37 वर्ष के नायिब बुकेले को बहुमत मिला है। बुकेले इसके पहले अल सल्वाडोर की राजधानी सेन अल्वाडोर के मेयर रह चुके है। चुनाव के पहले राउंड से ही बुकेले आगे चल रहे थे।
अमेरिका के इंडियाना में 13 साल के एक किशोर को पुलिस ने गिरफ्तार किया। माध्यमिक शाला के उस विद्यार्थी ने ऐपल के सिरि ऐप में सर्च किया कि मैं एक स्कूल में गोलीबारी करने जा रहा हूं। उसके जवाब में ऐप ने उसके घर के करीब 32 किलोमीटर के इलाके के स्कूलों की सूची प्रस्तुत कर दी। साथ ही उन स्कूलों की लोकेशन भी उजागर कर दी। बच्चे ने ऐप का स्क्रीनशॉट लिया और सोशल मीडिया पर डाल दिया। इसकी भनक मिलते ही पुलिस सक्रिय हुई और उस बच्चे को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उसकी पहचान गुप्त रखी है।
क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का नमो ऐप खुद अफवाहें फैलाने का काम कर रहा है? ऐसे में फेक न्यूज से कैसे निपटा जा सकता है? वरिष्ठ पत्रकार समर्थ बंसल ने इस बारे में एक अध्ययन किया तो पाया कि नमो ऐप खुद ही अनेक ऐसी बातों को फैला रहा है, जिन्हें रोकने की जिम्मेदारी सरकार की होती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर बना नमो ऐप 10 करोड़ से भी ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है। आरोप लगते रहे हैं कि नमो ऐप को डाउनलोड करने वालों का पूरा डाटा उनकी अनुमति के बिना जमा किया जा रहा है। उसका उपयोग डाटा संग्रहकर्ता अपने हित के लिए कर सकता है।
सोशल मीडिया पर कुछ वर्षों से ताइवान की गिगि वू छाई हुई थी। वे सोलो ट्रेवलर और सोलो हाइकर थी। अनेक पर्वत शिखरों पर उन्होंने अपने झंडे गाड़े। अकेले ही ट्रेवल करती थी और पहाड़ पर भी अकेली ही चढ़ती थी। पहाड़ की चोटी पर पहुंचकर वे अक्सर अपने बिकिनी शॉट्स लेती और फिर सोशल मीडिया पर शेयर करती थी। उनकी खूबी यह थी कि वे अनुभवी और प्रशिक्षित पर्वतारोही थी। पहाड़ पर चढ़ने के सभी उपकरण साथ लेकर चलती थी और दिलचस्प अंदाज में अपनी तस्वीरें शेयर करती थी।
अब तक सस्टेनेबल यानी दीर्घकालिक या लंबे समय तक चल सकने वाली बातों में उर्जा या पानी के वितरण की ही चर्चा होती रही है, लेकिन अब लगता है कि पत्रकारिता में भी इसका जिक्र होना जरूरी है। आज पत्रकारिता की जो हालात है, उसे देखकर यह कहा जा सकता है कि पत्रकारिता को भी सस्टेनेबल बनाइए। ऐसा न हो कि क्षरण होते-होते पत्रकारिता का भी युग समाप्त हो जाए।
सोशल मीडिया के कई प्लेटफार्म उपलब्ध है, उनमें इंस्टाग्राम भी एक प्रमुख प्लेटफार्म है। जहां यूजर अपने फोटो और वीडियो किसी एक ग्रुप में या सभी के लिए खुलेआम शेयर कर सकता है। 9 साल पहले इंस्टाग्राम एक नि:शुल्क मोबाइल ऐप के रूप में शुरू किया गया था। दुनिया की तमाम हस्तियां अपनी तस्वीरें और वीडियो यहां शेयर करते है। इसमें लोकेशन भी शेयर की जा सकती है और हैशटैग भी जोड़े जा सकते है। इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा जिस कंपनी का अकाउंट शेयर किया जा रहा है, वह इंस्टाग्राम खुद है। इंस्टाग्राम पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले अकाउंट रोनाल्डो, सेलेना गोमेज, एरियाना ग्रैंड, ड्वैन जॉनसन, किम कार्देशियां, काइली जेनर आदि है। इनमें भी किसी एक पोस्ट को सबसे ज्यादा लाइक्स का रिकॉर्ड काइली जेनर के नाम है, लेकिन अब वह रिकॉर्ड टूट गया है।
15 जनवरी को अमेरिकी के ऐतिहासिक शटडाउन का 25वां दिन है। अमेरिकी इतिहास में इतना बड़ा शटडाउन कभी नहीं हुआ। यह एक तरह की ‘सरकारी हड़ताल’ ही है। दरअसल अमेरिका में एक एंटी डेफिशिएंसी कानून है। इसके अंतर्गत जब सरकार के पास बजट कम होता है, तब वह सरकारी कर्मचारियों को काम करने से रोक देती है। ऐसी हालात तब आती है, जब संसद में फंडिंग के किसी मामले पर आपसी सहमति न पाए। ऐसे शटडाउन में सरकार कर्मचारियों को दो भागों में बांट देती है। आवश्यक और कम आवश्यक। आवश्यक कर्मचारियों को काम पर तो आना पड़ता है, लेकिन उन्हें वेतन नहीं मिलता। दूसरी श्रेणी के कर्मचारियों को वेतन भी नहीं मिलता और काम पर भी नहीं आना पड़ता।
विकिलिक्स के जुलियन असांजे के पक्ष में कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए धन इकट्ठा करने का अभियान शुरू किया गया है। इसके लिए 5 लाख डाॅलर एकत्र करने का लक्ष्य है। इसमें अभी तक 801 डॉलर ही जमा हो पाए है। ब्रिटेन में जुलियन असांजे की गिरफ्तारी और फिर अमेरिका प्रत्यर्पण करने की तैयारी की जा रही है, उसी के खिलाफ यह अभियान चलाया गया है। अभियान का नाम है गो फंड मी। इसके लिए जुलियन असांजे की तरफ से अपील भी जारी हुई है। अमेरिका में असांजे को आजीवन कारावास भुगतनी पड़ सकती है। अभी जुलियन असांजे एक्वाडोर में निर्वासित जीवन जी रहे हैं और अमेरिका उस पर दबाव डाल रहा है कि असांजे को अमेरिका के हवाले कर दें। 2012 में असांजे को अमेरिकी न्यायालय में पेश होना था, लेकिन असांजे तभी से लापता हैं।
सोशल मीडिया के फायदे और नुकसान की बातें, तो अकसर होती ही रहती है। यह भी कहा जाता है कि सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग व्यक्ति को आत्मकेन्द्रित बना देता है। कुछ लोग सुबह उठते ही पहला काम सोशल मीडिया पर अपनी हाजिरी दर्ज़ कराने में लगाते है। आधी रात को उनकी नींद खुल जाए, तब भी और यहां तक कि गुसलखाने में भी वे सोशल मीडिया का उपयोग नहीं छोड़ते। कुछ लोगों के लिए ई-मेल देखते रहना जरूरत हो सकती है, लेकिन अधिकांश लोग केवल यहीं दिखाने के लिए सोशल मीडिया पर बने रहते हैं कि वे भी मैदान में हैं और सक्रिय हैं। ऐसे कई लोग हैं, जिनके पास अपने परिवार के लोगों से मिलने और बात करने का समय नहीं है, लेकिन वे सोशल मीडिया पर हर पल हाजिरी देने के लिए समय निकाल ही लेते हैं।
भारत में हम लोग कहते हैं कि हम, भारत के नागरिक। लेकिन चीन में लोग कहते हैं कि हम वर्कर हैं। हाल ही में चीन के एक कुंठित नागरिक ने इस तरह का बयान एक अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी को दिया। सब जानते हैं कि चीन में कर्मचारियों की दशा बहुत ही खराब है। 12-12 घंटे का काम और बिना साप्ताहिक अवकाश के लगातार काम में जुते रहना। कर्मचारियों का वेतन इतना कम है कि ओवरटाइम के लालच में वे कभी छुट्टी नहीं लेते। कुछ औद्योगिक क्षेत्रों को छोड़ दें, तो चीन के बाकी औद्योगिक क्षेत्र में कोई भी दूसरा व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता। वहां जाने के लिए चीन के लोगों को भी परमिट लेना पड़ता है।
नेटफ्लिक्स के आने से फिल्मों के प्रदर्शन का एक नया दौर शुरू हुआ है। लोग घर बैठे फिल्में देख रहे हैं और काफी कम कीमत पर। पूरी दुनिया में नेटफ्लिक्स के 15 करोड़ ग्राहक भी बन चुके हैं। इतनी बड़ी ग्राहक संख्या कारोबार की दुनिय में मायने रखती है। कुछ साल पहले जब लोग कहते थे कि एकल सिनेमा घर के दिन खत्म हो गए, अब मल्टीप्लेक्स आ गए हैं, वह बात सही निकली। अब कहा जा रहा है कि मल्टीप्लेक्स की दिन भी खत्म हुए, अब डायरेक्ट स्ट्रीमिंग का युग आ गया है। मल्टीप्लेक्स की कीमतों और वहां के महंगे पॉपकार्न से सिने दर्शकों का मोह भंग हो चला है, उन्हें लगता है कि मल्टीप्लेक्स में उन्हें ठगा जा रहा है। मल्टीप्लेक्स की एक ओर दिक्कत है कि पॉपकार्न बेचने वाले दर्शकों की सीट पर जाकर बार-बार उन्हें टोचते है कि कुछ लेंगे क्या? इसके अलावा भी तरह-तरह के ऑफर्स के जरिए दर्शकों को फांसा जाता है।
पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही पोस्ट में दावा किया गया था कि देश के 68 पत्रकारों, लेखकों और पूर्व नौकरशाहों को मोदी सरकार के खिलाफ लिखने के लिए दो से पांच लाख रुपए प्रतिमाह दिया जा रहा है। यह भी दावा किया जा रहा था कि यह भुगतान कैम्ब्रिज एनेलिटिका कंपनी के माध्यम से हो रहा था। एक प्रमुख वेबसाइट के अनुसार इन सभी 68 लोगों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा भाजपा को बदनाम करने के लिए ठेका दिया गया था और वे अपने काम को अंजाम दे रहे थे। वेबसाइट के अनुसार ये लोग इसीलिए मोदी और भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहे थे।
2018 मीडियाकर्मियों के लिए अच्छा नहीं रहा। खासकर रिपोटर्स के लिए। 2018 में जितनी संख्या में पत्रकारों की हत्या हुई, उतने पत्रकार तो युद्ध की रिपोर्टिंग करते हुए भी नहीं मारे गए। गत 3 साल से मीडिया पर हो रहे हमलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस तरह के हिंसक हमलों के साथ ही मीडिया पर लगने वाले आक्षेपों का स्तर भी लगातार गिरता जा रहा है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की रिपोर्ट के अनुसार प्राप्त सूचनाओं को सही माने, तो इस वर्ष 80 से अधिक पत्रकारों की हत्या की जा चुकी है। इसके अलावा 60 से अधिक पत्रकार बंधक बनाए जा चुके है और करीब 350 पत्रकारों को विभिन्न देशों में हिरासत में रखा गया है। इसके अलावा पत्रकारों के विरुद्ध घृणा फैलाई जा रही है, उनका अपमान भी किया जा रहा है और उन पर तरह-तरह के दबाव डाले जा रहे है। भारत में भी पत्रकारों की हत्या के मामले सामने आए है।
केन्द्र सरकार चाहती है कि प्रिंट और टेलीविजन की तरह सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर भी गैरकानूनी बातें लिखने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकें। सरकार ने इसके लिए पहल शुरू की है। गैरकानूनी कंटेंट के बारे में सरकार ने मसौदा तैयार किया है कि क्या-क्या कानून बनाए जा सकते है। इसी के साथ सोशल मीडिया के प्लेटफार्म से कहा गया है कि वे इस बारे में सरकार की मदद करें कि गैरकानूनी कंटेंट की शुरुआत कहा से हो रही है और उसे पहचानने के तरीके क्या-क्या हो सकते है। सरकार यह भी चाहती है कि सोशल मीडिया के प्लेटफार्म सरकार की इच्छा के अनुसार मदद करने के लिए आगे आए और ड्रॉफ्ट के मसौदे पर अपनी राय दें। इसके लिए सरकार ने 15 जनवरी 2019 तक सलाह मांगी है।
एक दौर था जब शहरों और कस्बों में अलग-अलग तरीके के मार्केट हुआ करते थे। कपड़े, किताबें, खिलौने, जूते आदि के बाजार अलग-अलग लगते थे। फिर उसकी जगह माॅल्स ने ले ली। ये मॉल्स साल में एक बार लगने वाले मेलों की तरह हो गए, जो 365 दिन खुले रहते है। यहां मनोरंजन के अलावा खानपान और खरीदारी के लिए भी बहुत कुछ है। अब लोगों को साल में एक बार लगने वाले मेले का इंतजार नहीं करना पड़ता। मॉल में गए और सारी खरीदारी कर ली। सब्जी खरीदने से लेकर व्हॉइट गुड्स तक, सिनेमा देखने से लेकर ब्यूटी पार्लर में जाने तक सब चीजें एक ही जगह उपलब्ध हैं।
आनंद मंत्रालय (4)
हम दोनों पति-पत्नी इंदौर से मुंबई ट्रेन से जा रहे थे। सेकंड एसी के डिब्बे में हमारे सामने दो महिलाएं बैठी हुई थी। एक स्टेशन पर चाय बेचने वाला आया। मैंने दो चाय ऑर्डर की और सामने बैठी महिला से पूछा कि क्या आप चाय लेंगी? उसने न तो मेरी बात सुनी, न मेरी ओर देखा, न कोई प्रतिक्रिया व्यक्त की। मुझे बड़ा अटपटा लगा, थोड़ी बेइज्जती भी लगी, थोड़ी देर बाद उस महिला के साथ बैठी सहयात्री ने कहा - ये लो चाय। उस महिला ने खट से हाथ बढ़ाया और चाय ले ली। मैं बुदबुदाया कि क्या मैं चाय में जहर मिलाने वाला था? बहरहाल मैंने अनदेखा करना बेहतर समझा। करीब दो घंटे बाद अगले स्टेशन पर काफी सारे नए यात्री आने लगे। हमारी बर्थ आरक्षित थी, लेकिन डिब्बे का शुरुआती हिस्सा होने से लोग हमारी तरफ से गुजर रहे थे। ट्रेन में एक वृद्धा चढ़ी, उसने टिकिट निकाला और महिला की ओर बढ़ाकर पूछा - 39 नंबर बर्थ कहां होगी? महिला ने कोई जवाब नहीं दिया। वैसी ही अनजान बनी रही। कुछ घंटे बाद नागदा स्टेशन आया। तब उस महिला की सहयात्री ने कहा जयश्री नागदा आ गया है, खाना खा लें। उस महिला ने खट से टिफिन निकाला और टिफिन खोलने लगी।
प्यू रिसर्च सेंटर ने हाल ही में अमेरिका में एक रिसर्च किया, तो पाया कि अमेरिका की दो तिहाई से भी अधिक वयस्क आबादी के लिए सोशल मीडिया समाचारों का पहला स्रोत बन गया है। दुनिया में कोई खबर हो, लोग सोशल मीडिया पर उसे शेयर कर लेते है और यही सोशल मीडिया के लिए महत्वपूर्ण बात है। रिसर्च के मुताबिक 68 प्रतिशत लोग सबसे पहले सोशल मीडिया से कोई भी समाचार प्राप्त करते है, इसमें वे लोग भी है, जो टेलीविजन भी देखते है और अखबार भी पढ़ते है, लेकिन उन तक सबसे पहले समाचार पहुंचाने का काम सोशल मीडिया करता है।
आनंद मंत्रालय (3)
कई ऐसे लोग आपको वक्त आने पर पहचानते नहीं, जिनके जीवन में आपने कभी बहुत सकारात्मक भूमिका निभाई होगी और कई ऐसे लोग भी मिलते है, जिनसे आप दो मिनट भी नहीं मिलते, लेकिन वे आपको पहचानते है।
कोला कोला कंपनी ने अपने एक नए एनर्जी ड्रिंक विटामिनवॉटर को प्रचारित करने का अनूठा तरीका खोजा है। इसके लिए कोका कोला ने एक प्रतियोगिता रखी है कि जो भी व्यक्ति पूरे एक साल तक स्मार्टफोन उपयोग में नहीं लाएगा, वह एक लाख डॉलर का इनाम जीत सकता है। प्रतियोगिता सभी के लिए खुली है और इसमें भाग लेने की अंतिम तिथि 8 जनवरी 2019 है। कितने लोग इसमें भाग लेते है, यह तो देखने वाली बात होगी, लेकिन विश्व की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक कोला कोला ने अपने एनर्जी ड्रिंक को युवकों में प्रचारित करने के लिए यह एक अनूठी प्रतियोगिता रखी है।
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा के उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली शिकस्त के बाद सोशल मीडिया पर संबित पात्रा को सबसे अधिक ट्रोल किया जा रहा है। संबित पात्रा को पहले भोपाल में चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए एमपी नगर इलाके में प्रेस कांफ्रेंस करने पर ट्रोल किया गया था। विधानसभा चुनाव के दौरान संबित पात्रा टीवी चैनलों पर डिबेट में कांग्रेस के नेताओं पर तीखे प्रहार करते रहे। यहां तक कि उन्होंने नेहरू-गांधी परिवार को ठग्स ऑफ हिन्दुस्तान भी करार दे दिया था। राहुल गांधी बार-बार उनके निशाने पर आते रहे।
प्रधानमंत्री मोदी का विधवा वाला बयान लोगों को पसंद नहीं आ रहा है। पिछले सप्ताह एक चुनावी रैली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बयान दिया था कि कांग्रेस की कौन-सी विधवा के खाते में पैसा जाता था? हमारी सरकार ने तो सैकड़ों जनहित कार्य योजनाएं बनाई। कांग्रेस ने सिवाए स्कैम के क्या किया? मोदी का निशाना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की विधवा सोनिया गांधी पर था। इस पर सोशल मीडिया में बहुत तीखी प्रतिक्रियाएं हुई। पिछले सप्ताह ही सोनिया गांधी का जन्मदिन था और लोगों ने लिखा कि एक नेता के बारे में इस तरह के बयान देना प्रधानमंत्री को शोभा नहीं देता। युवा कांग्रेस के अध्यक्ष केशवचन्द यादन ने तो साफ-साफ लिखा कि प्रधानमंत्री चर्चा और विचार के बहुत निचले स्तर पर पहुंच गए है। उनसे ऐसी आशा नहीं की जाती थी। दिलचस्प बात यह है कि इसके बाद 9 दिसंबर को नरेन्द्र मोदी ने सोनिया गांधी के जन्मदिन पर शुभकामनाएं दी और उनके सुदीर्घ जीवन और बेहतर स्वास्थ्य की कामना भी की।
हिंसक वीडियो के खिलाफ अभियान चलाते हुए यू-ट्यूब की अभिभावक कंपनी गूगल ने लंदन के महापौर को 6 लाख पाउंड का अनुदान दिया है। गूगल ने कहा है कि इस पैसे से सोशल मीडिया पर हिंसात्मक वीडियो के प्रचार को रोकने का कार्य किया जाएगा। यह धनराशि यू-ट्यूब पर हिंसा के महिमामंडन को खोजने और रोकने पर खर्च की जाएगी।
बात पुरानी है। सिंहस्थ के प्रभारी मंत्री ने कहा कि उज्जैन में व्यवस्था का जायजा लेने साथ-साथ चलेंगे। मुझे लगा कि अच्छा मौका है, सो चला गया। सोचा हींग-फिटकरी नहीं लग रही है, चलो ! अस्थायी सिंहस्थ नगरी देख लेंगे !
सबसे पहले हम एक आश्रम में गए। महामण्डलेश्वर अभी पधारे नहीं थे, लेकिन उनके स्टॉफ के लोग मौजूद थे। दो हाथी बंधे थे, जिन्हें संभालने के लिए वन विभाग के कर्मचारी तैनात थे। घोड़े भी थे। सेवक ने महामण्डलेश्वर के लिए बनी एसी ‘कुटिया’ बनाई गई थी, चमाचम। जिसमें आधुनिक शौचालय था, बाथटब भी लगा था। कार्पेट बिछा था। मंत्रीजी से महामण्डलेश्वर के ‘पीए’ ने शिकायत की - आश्रम के लिए जो प्लॉट मिला है, वह मुख्य सड़क से दो सौ मीटर अंदर है। यह ठीक नहीं। यह अपमान है।
विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान विभिन्न दलों के प्रवक्ता और शीर्ष नेताओं की भाषा स्तरीय नहीं कही जा सकती। इस बार लोगों ने जिस तरह की भाषा सुनी, उस तरह की भाषा राष्ट्र नायकों के मुंह से शोभा नहीं देती। आम सभाओं और टीवी की डिबेट के दौरान इस तरह की भाषा आम हो चली थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कभी खुद को देश का चौकीदार कहा था, तो उन्हें इशारा करके कहा गया कि चौकीदार चोर है। स्पष्ट है कि यह बहुत आक्रामक भाषा है। दूसरे तरफ प्रवक्ता कहते है कि क्रिश्चियन मिशेल क्या राहुल गांधी के मामा है? यह क्या भाषा हुई? कोई कहे कि मेहुल मोदी और नीरव मोदी चौकीदार के भाई है, तो। प्रधानमंत्री अम्बानी से गले मिले और यह चित्र अखबारों में छपा, अब कोई कहे कि यह मौसेरे भाइयों का मिलन है, कितनी घटिया भाषा। क्रिश्चियन मिशेल के वकील को देशद्रोही कहने वाले कभी सोचेंगे कि भोपाल गैस कांड के आरोपी वारेन एंडरसन का वकील कौन था? और इंदिरा गांधी के हत्यारों के वकील कौन थे? इसके अलावा सुन मोदी, विधवा, लोहा चोरी, गहना चोरी, नाजायज रिश्ते, बीवी छोड़कर भागना आदि किस तरह की भाषा और किस तरह के मुहावरे है। आजादी के बाद के चुनावों में तो वक्ता अपने विरोधी नेता को भी जी लगाकर संबोधित करते थे। अब न तो कोई जी लगाता है और न ही श्री। सीधे-सीधे वन लाइनर पर आ जाते है। मानो किसी फिल्म के लिए डॉयलाग लिख रहे हो। इसके अलावा जाहिलों, डकैतों, झूठन खाने वालों, मक्खी के बराबर, सभ्यता के दायरे में रहना सीखो, बलात्कार के आरोपी, कान से पीप बहेगा, नेहरू जी की चप्पल सुंघकर ही होश आता था, एजेंट, दलाल, डबल बाप वाले जैसे शब्दों का इस्तेमाल तो गली-मोहल्ले के गुंडे भी नहीं करते, लेकिन इस तरह की शब्दावली अब राष्ट्रीय पार्टियों के नेता टेलीविजन पर करते है और इतने जोश में करते है, मानो वह कोई शास्त्रार्थ कर रहे हो।
कांग्रेस के नेताओं द्वारा पिछले कुछ समय से चौकीदार पर आरोप लगाने और राफेल सौदे को लेकर सवाल खड़े करने के जवाब में सरकार जो कार्रवाई कर रही है, उससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती है। इटली की कंपनी फिनमैकेनिका की ब्रिटिश सहयोगी कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से वीवीआईपी हेलीकॉप्टर खरीद मामले की जांच आगे बढ़ रही है। इस मामले में आरोपित ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन मिशेल को प्रत्यर्पित कर भारत ले आया गया और कोर्ट में पेश किया जा चुका है। मिशेल की तलाश 3600 करोड़ रुपए के हेलीकॉप्टर सौदे के मामले की जांच कर रही एजेंसियों को थी। यह प्रत्यर्पण की यह प्रक्रिया इंटरपोल और सीआईडी के सहयोग से हुई। इसके लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने यूएई के विदेश मंत्री से कई बार बातचीत की थी।
पूरी दुनिया में पत्रकारों पर हमले और हत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। हाल ही में माल्टा में एक पत्रकार की कार में बम छुपाकर रखा गया और विस्फोट के जरिये पत्रकार की हत्या कर दी गई। एक्वाडोर में संगठित अपराधियों ने दो पत्रकारों का अपहरण किया और उनकी हत्या कर दी। भारत में भी रेत माफिया द्वारा पत्रकार संदीप शर्मा की हत्या की खबर सुर्खियों में आ चुकी है। इस वर्ष अब तक 31 पत्रकारों की हत्या दुनियाभर में हो चुकी है। कई पत्रकार लापता है और कुछ के बारे में पता भी नहीं चल पाया है। पत्रकारों की संस्था रिपोटर्स विदाउट बार्डर्स ने हाल ही में जारी रिपोर्ट में यह बात कही है।
बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी ब्रांडिंग को लेकर तरह-तरह के जतन करती रहती है, लेकिन कभी-कभी ये जतन महंगे पड़ जाते है, जब सोशल मीडिया पर ऐसे ब्रांड का मजाक उड़ाया जाता है। ऐसी ही गलती पिछले दिनों सैमसंग के सोशल मीडिया एक्जीक्यूटिव ने की, जब उसने गैलेक्सी नोट 9 के प्रचार का ट्वीट अपने निजी आई-फोन से कर दिया और यह बात उजागर हुई।
आनंद मंत्रालय (1)
प्रसिद्ध गणेश मंदिर के बरामदे में बैठकर बड़ा सुकून मिलता है। उस दिन पता नहीं क्या सूझा कि सुबह-सुबह मंदिर चला गया। दर्शन के बाद बरामदे की सीढ़ियों पर टिककर बैठ गया और आने-जाने वाले लोगों का मुआयना करने लगा। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी अपनी पत्नी के साथ आए थे और बात कर रहे थे। गणेशजी की कृपा हुई, तो मनचाही पोस्टिंग मिल ही जाएगी। यहां न तो कमाई हो रही है और न ही शांति है। हे गणेशजी, मेरी प्रार्थना सुनना। चेहरे पर उदासी का भाव था।
एड गुरू एलिक पदमसी से मेरा आमना सामना तो कई बार हुआ, लेकिन लंबी और यादगार मुलाकात कभी नहीं हुई । वे तीन बातों के कारण जाने जाते हैं : वे भारत में आधुनिक एडवरटाइजिंग के पितामह थे, जिन्होंने सअउ से अधिक ब्रांड तैयार किए। दूसरी बात वे अंग्रेजी थिएटर की एक बड़ी हस्ती थे, जिन्होंने 100 से अधिक नाटक तैयार किए। तीसरा उन्होंने सोशल सर्विस का बहुत काम किया, खासकर मुंबई पुलिस फोर्स के साथ महिलाओं की छेड़छाड़ के विरुद्ध। उन्होंने लगातार अभियान चलाए। इसके बावज़ूद उन्हें हमेशा याद किया जाता है सर रिचर्ड एटनबरो की फिल्म गांधी में उनके जिन्ना के किरदार के लिए।
पूरी दुनिया में श्वेत लोगों की तुलना में अश्वेतों को कमतर आंका जाता है। अश्वेत लोग भी अपने आप को श्वेत दिखाने की कोशिश करते है और इसके लिए तरह-तरह के जतन भी करते है। महंगे मेकअप किट से लेकर सर्जरी तक कराने से नहीं चूकते, लेकिन स्वीडन की मॉडल एेमा हालबर्ग ने जिस तरह के मेकअप के बाद फोटो खिंचवाई और उसे इंस्टाग्राम पर शेयर किया, उससे यह बात साबित होती है कि दुनिया बदल रही है। अब अश्वेतों को हीन नहीं समझा जाता।
आज सुबह इंदौर रेडिसन ब्लू होटल में राहुल गांधी से मिलकर लगा कि वे कुटिल भले ही नहीं हो, लेकिन परिपक्व तो हो ही गए हैं। आक्रामक! बेबाक और बेलौस स्वीकारोक्तियां!! जुबान से डंक मारने की कला सीखने के विद्यार्थी लेकिन संवेदनशील !!! चुनिंदा सम्पादकों और पत्रकारों से उन्होंने खुलकर बात की। राहुल गाँधी अब तंज़ करते हैं, सफाई देते हैं, समझाते हैं और अपने बारे में कहते हैं कि मैं स्वभाव से आक्रामक नहीं हूँ, लेकिन राजनीति के इन हालात ने आक्रामक बना दिया है। वे हिन्दू होने को स्वीकारते हैं और खुद को राष्ट्रवादी कहने में शरमाते नहीं। भाजपा को उसी शैली में जवाब देना सीख गए हैं!
गूगल के लिए रूस एक दुखती रग की तरह है। 2016 के अमेरिकी चुनाव में गूगल पर कई आरोप लगे थे और वे आरोप रूस से की गई कथित गतिविधियों के लिए लगे थे। रूस में गूगल के उतना बोलबाला नहीं है, जितना कि भारत में है। अब ताजा खबर यह है कि रूस की सबसे बड़ी आईटी कंपनी यांडेक्स ने रूस में एंड्रायड वाले मोबाइल फोन पर अपनी बढ़त बना ली है। यांडेक्स न केवल रूस का लोकप्रिय सर्च इंजन है, बल्कि वह कई मोर्चों पर गूगल को टक्कर भी दे रहा है।
'बत्ती गुल मीटर चालू' फिल्म एक ऐसी कार की तरह है,जिसके हॉर्न को छोड़कर सबकुछ बजता है। कुछ अच्छे संवाद, गाने, लोकेशन और शाहिद कपूर का डांस के स्टेप्स अच्छे हैं, लेकिन टॉयलेट वाली प्रेम कहानी के नारायण सिंह की यह पूरी फिल्म सरकार के विकास के बजाते ढोल की बैंड बजा देती है। भाषण पर भाषण, भाषण पर भाषण; मोदी जी कहते कि देश के हर गाँव में बत्ती लगा दी गई है, फिल्म कुछ और कहानी कहती है। पूरे देश में बिजली उपभोक्ता किस तरह परेशान हैं, इसमें उसकी झलक है।
विश्व प्रसिद्ध आर्थिक पत्रिका फॉर्ब्स सोशल मीडिया के नए-नए ट्रेंड्स के बारे में रिसर्च करती रहती है। हाल ही में उसने अध्ययन किया कि 2019 में सोशल मीडिया के ट्रेंड्स क्या रहेंगे ? और उनका असर विज्ञापन की दुनिया पर, खासकर डिजिटल एडवरटाइजिंग पर क्या रहेगा? अध्ययन के अनुसार सोशल मीडिया विज्ञापन की दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण जरिया हो गया है। टेलीविजन के विज्ञापनों से भी ज्यादा महत्वपूर्ण ! इसके बिना कहीं भी विज्ञापन की कल्पना नहीं की जा सकती।
अमेरिका में इन दिनों हवा चल रही है कि फेसबुक ऐप को अपने मोबाइल से डिलीट कर दिया जाए। 44 प्रतिशत युवाओं ने अपने मोबाइल फोन से फेसबुक ऐप हटा दिया है। वे फेसबुक पर जुड़े तो है, लेकिन अपने कम्प्यूटर के जरिये, उन्हें लगता है कि फेसबुक ऐप मोबाइल के जरिये जासूसी कर रहा है। कैम्ब्रिज एनेलिटिका कांड के बाद अमेरिकी युवाओं में फेसबुक के प्रति अविश्वास बढ़ता जा रहा है। इसी के साथ 18 से 49 साल की उम्र के अधिकांश अमेरिकी फेसबुक यूजर्स ने अपने मोबाइल की प्राइवेट सेटिंग में जाकर अपनी निजता को बचाने की कोशिश की है। यह आंकड़ा एक वर्ष का है।
सोशल मीडिया के कुछ नए प्रभावशाली प्लेटफार्म भी उभर रहे है। अगर आप फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप आदि से ऊब गए हो, तो इन नए प्लेटफार्म का उपयोग कर सकते है। सोशल मीडिया पर आए दिन महत्वपूर्ण गतिविधियां होती रहती है और नए-नए खिलाड़ी मैदान में आते रहते है।
नरेंद्र मोदी के सोशल मीडिया मैनेजर्स का जवाब नहीं।
रक्षाबंधन के दिन (26 अगस्त को) मोदीजी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर 55 विशिष्ट महिलाओं को फॉलो करना शुरू कर दिया। इनमें बैडमिंटन खिलाड़ी अश्विनी पोनप्पा, टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा, एथलीट पीटी ऊषा, बाल अधिकार कार्यकर्ता डॉ. स्वरूप सम्पत ( परेश रावल की लुगाई, मिस इंडिया 1979 और ये जो है जिंदगी सीरियल की कलाकार) पत्रकार पश्यन्ति मोहित शुक्ला, रोमाना इसार खान, श्वेता सिंह, पद्मजा जोशी, शीला भट्ट, शालिनी सिंह, बॉलीवुड अभिनेत्री कोएना मित्रा, वेटलिफ्टर कर्णम मल्लेश्वरी, फोटो पत्रकार रेणुका पुरी शामिल हैं।
फेसबुक पर राजनीतिक विज्ञापनों के लिए प्रोपब्लिका नाम की एक कंपनी ने नए-नए टुल्स ईजाद किए है। इसका उद्देश्य ही है, फेसबुक पर लोगों की रूचि के अनुसार राजनैतिक विज्ञापनों को पोस्ट करना। प्रोपब्लिका के इस प्रोजेक्ट में एबीसी न्यूज नेटवर्क भी हिस्सेदार है। इसे पोलिटिकल एड कलेक्टर प्रोजेक्ट नाम दिया गया है।
-- आज 23 अगस्त 2018 को अंतर्राष्ट्रीय हैशटैग डे है. #Hashtag11
-- दशमलव और शून्य के बाद शायद सबसे बड़ी गणितीय खोज।
-- आज से 11 साल पहले ही हैशटैग का जन्म हुआ था।
-- ट्विटर ने आज, 23 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय हैशटैग डे के रूप में मनाने का ऐलान किया है।
-- आठ साल पहले ऑक्सफ़ोर्ड शब्दकोष में यह शब्द शामिल किया गया था - #Hashtag .
--गूगल के एक डिजाइनर क्रिस मेसिना ने 23 अगस्त 2007 को सबसे पहले इसका उपयोग किया था।
#ट्रम्प_ट्रम्प कित्ते ट्वीट ?
मैं #ट्विटर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोनों अकाउंट (President Trump @POTUS और Donald J. Trump@realDonaldTrump ) फॉलो करता हूं। रविवार ट्रम्प के दोनों ट्विटर अकाउंट को समर्पित रहा। रविवार (19/8/2018) को उन्होंने बोस्टन ग्लोब और न्यू यॉर्क टाइम्स पर जमकर भड़ास निकाली है।
#न्यूयार्क_टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा था - "ट्रम्प लोकतंत्र की रगों में बहने वाले खून के लिए भी खतरनाक हैं."
...और #द_गार्डियन ने लिखा था - "हम अमेरिका की जनता के दुश्मन नहीं हैं। हम उनकी बेहतरी चाहते हैं लेकिन खुद की बेहतरी चाहने के लिए अमेरिकियों को अब अपनी आवाज उठानी होगी। हम आपको ट्रंप से बचाने नहीं आए हैं। हमारी जो बात ट्रंप को जंग लगती है, हमारे लिए वो रोजमर्रा का काम है।
अटल बिहारी वाजपेयी केवल कवि और राजनेता ही नहीं थे। वे फिल्मों, अच्छे भोजन, अच्छी मित्रता में भी रूचि रखते थे। कई लोग उन्हें दिलचस्प और आशिक मिजाज भी मानते हैं। एक इंटरव्यू में अटलजी ने खुद कहा था कि मैं अविवाहित हूं, लेकिन कुंवारा नहीं। लोगों ने इस वाक्य के अपने हिसाब से अलग-अलग अर्थ निकाले। जो भी हो, अटलजी के लिए इन शब्दों के गंभीर मायने थे। वे प्रेम की सहजता और गंभीरता को भी समझते थे। वे न तो कभी किसी दूसरे के निजी मामलों में दखल देते और न ही अपने मामले में किसी दूसरे का दखल बर्दाश्त करते थे।
टेलीविजन चैनल और अखबारों में अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में जिस तरह के भावुक समाचार और संदेश की बाढ़ आई, उससे भी बड़ी बाढ़ सोशल मीडिया पर देखने को मिली। ट्विटर इंडिया ने अटलजी के निधन पर अपनी ओर से विशेष व्यवस्था की थी। अटलजी, अटलजी अमर रहे, अटल बिहारी वाजपेयी आदि हैशटैग सोशल मीडिया पर लगातार छाये हुए है। प्रिंट और टीवी से अलग सोशल मीडिया में ऐसे संदेश भी है, जिनमें अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन की उपलब्धियों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह की टिप्पणियां उपलब्ध है।
हरिवंश जी विज़नरी पत्रकार रहे हैं, वे अच्छे सांसद भी माने जाते हैं और अब वे राज्यसभा के सफल उपसभापति भी साबित होंगे, इसमें कोई शक नहीं है। धर्मयुग में मुझसे पहले की पीढ़ी के, मेरे वरिष्ठ रहे, आजीवन सक्रिय पत्रकारिता करने वाले हरिवंश जी के राज्यसभा का उपसभापति बनने पर वास्तव में खुशी का एहसास हो रहा है। उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धता के बारे में कुछ कहना नहीं चाहता, लेकिन एक पत्रकार के रूप में उन की प्रतिबद्धता हमेशा अपने पेशे के प्रति बनी रही। अपने जूनियर्स के साथ हमेशा मानवीय व्यवहार करने वाले और बेहद संवेदनशील पत्रकार हरिवंश ने प्रभात खबर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
फोटो शेयर करने की सोशल वेबसाइट इंस्टाग्राम की नीतियों में स्पष्ट है कि कोई भी वहां अश्लील फोटो अपलोड नहीं कर सकता। ऐसे लोगों को इंस्टाग्राम ब्लॉक कर देता है, लेकिन पिछले दिनों योगा करने वाली एक लड़की ने इंस्टाग्राम की नीतियों को धता बताते हुए योगा करते हुए अपने न्यूड फोटो अपलोड किए, जिसे इंस्टाग्राम भी ब्लॉक नहीं कर पाया, क्योंकि उन फोटो में न्यूड होने के बावजूद अश्लीलता नहीं थी और एक तरह की कलात्मकता थी। ये सभी फोटो उस युवती ने ब्लैक एंड व्हाइट में शेयर किए थे, जिन्होंने सबसे ज्यादा देखे जाने वाले फोटो का रिकॉर्ड कायम किया।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस तो 21 जून को है, लेकिन उसके दो दिन पहले 19 जून से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजन शुरू हो रहे हैं। 19 जून को रविवार है और यह सुविधाजनक हैं कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस रविवार को मना लिया जाए। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारियां दुनियाभर में हो रही है और न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वेयर से लेकर चंडीगढ़ तक विशेष आयोजनों की धूम रहेगी। कछ संस्थाएं तो इसके बाद भी आयोजन जारी रखेंगी। गत वर्ष 31 जून को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया था। तब दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ 35 हजार 985 लोगों ने दिल्ली में एक साथ योग करके रेकॉर्ड बनाया था। इस बार भारत का मुख्य आयोजन दिल्ली की जगह चंडीगढ़ में होने वाला है। प्रधानमंत्री चंडीगढ़ में ही योग करेंगे।
(क्रिश्चियन योगा पर यह लेख 2 साल पहले लिखा था, पर आज भी मौजूं है )
अब फिर कई लोगों को तकलीफ हो रही है क्योंकि 21 जून को द्वितीय अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। 2015 को 21 जून के दिन जब पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा था, तब दुनिया के कई हिस्सों में लोगों को कष्ट था। भारत में भी कुछ लोगों को तकलीफ थी। सूर्य नमस्कार को आसन के बजाए व्यायाम कहा गया और योग दिवस की गतिविधियों से उसे हटा दिया गया। इसके पीछे तर्क यह था कि इस्लाम में विश्वास रखने वाले लोग सूर्य को देवता नहीं मानते, इसलिए वे सूर्य को नमस्कार नहीं करना चाहते। मध्यप्रदेश में भी अनेक स्कूलों में योग की कक्षा में सूर्य नमस्कार नहीं कराया जाता।
पत्रकार और लेखक दीपक तिवारी 26 साल से पत्रकारिता कर रहे हैं। आकाशवाणी, समाचार एजेंसी, अखबार आदि के बाद वे अंग्रेजी समाचार साप्ताहिक द विक में 20 साल से मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के राज्य संवाददाता हैं। मध्यप्रदेश की राजनीति पर उनकी अच्छी खासी पकड़ है। पिछले दिनों बहचर्चित किताब ‘राजनीतिनामा मध्यप्रदेश (2003 से 2018) भाजपा युग’ का लोकार्पण हुआ। इसके पहले वे ‘राजनीतिनामा मध्यप्रदेश (1956 से 2003) कांग्रेस युग’ लिख चुके हैं। इस तरह उन्होंने 1956 में मध्यप्रदेश बनने के बाद की राजनीति को कांग्रेस युग और भाजपा युग में लिपिबद्ध किया है।
वे शुजालपुर के ज़मींदार परिवार के है. कभी 'कमिंग होम टु सियाराम' के लिए मॉडलिंग भी की, अब 'गृहस्थ संत' हैं. परिवार पुणे में रहता है और वे देश भर में घूमते रहते हैं. महाराष्ट्र के संतों की परंपरा को वे नए तरीके से बढ़ा रहे हैं. बेहद आकर्षक व्यक्तित्व के धनी हैं. कम बोलते हैं. पीएम-सीएम हों या प्यून, सब से समान बर्ताव करते हैं. रोज 16 से 18 घंटे काम करते हैं.
(आपका स्वागत है, पर आप क्यों बार -बार पधारते हैं? पूरा प्रशासन ठप हो जाता है। इस गरीब और बीमारू राज्य पर दया करो प्रभु!)
माननीय,
नित्य प्रातः स्मरणीय,
महामहिम महोदय,
आप इस देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हैं, तीनों सेनाएं आप के अधीन हैं, पूरा देश आपके नेतृत्व का कायल है, आप हमारे लिए पूजनीय हैं। माननीय,
एक छोटी सी कहानी सुनाना चाहता हूं। एक दद्दाजी थे। उन्हें लगा कि अब उनके जीवन के सक्रिय 5/6 साल बचे हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 12 मीडिया घरानों पर 10-10 लाख रूपए का जुर्माना अदा करने के लिए कहा। हाईकोर्ट का मानना है कि इन मीडिया घरानों ने कठुआ में 8 साल की बच्ची के साथ जबरदस्ती और हत्या की खबर में पीड़िता का नाम उजागर किया, जो मीडिया के सिद्धांतों के खिलाफ है। इस तरह के मामलों में पीड़िता की पहचान छुपाए रखने संबंधी कानूनों की अवहेलना के कारण यह आदेश दिया गया।
वरिष्ठ पत्रकार एस. निहाल सिंह उन लोगों में से थे, जिन्होंने 1975 में इमरजेंसी लगाए जाने का घोर विरोध किया था। वे 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद पाकिस्तान जाने वाले किसी भी भारतीय अखबार के पहले पत्रकार थे। सुरेन्द्र निहाल सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस और खलीज टाइम्स के संपादक तथा स्टेट्समैन के प्रधान संपादक के रूप में काम किया। इंडियन पोस्ट अखबार की बुनियाद ही उन्होंने रखी। वे ब्रिटेन, रूस, यूएसए, इंडोनेशिया आदि कई देशों में विशेष संवाददाता के तौर पर काम कर चुके थे।
रविवार की सुबह करीब 11 बजे कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने ट्विटर अकाउंट @RahulGandhi से एक ट्वीट करके खलबली मचा दी। एक फ़्रांसिसी हैकर के ट्वीट पर आधारित समाचार उद्घृत करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए लिखा
-- "हेलो, मेरा नाम नरेंद्र मोदी है, मैं भारत का प्रधानमंत्री हूं। जब आप मेरे आधिकारिक ऍप को साइनअप करते हैं, तब मैं आपका सारा डाटा अमेरिकी कंपनियों के अपने दोस्तों को दे देता हूं."
राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि जो भी नागरिक नमो ऍप का इस्तेमाल करता है, उसकी तमाम जानकारियां उस ऍप को इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति की अनुमति के बिना अमेरिकी कंपनी से साझा की जा रही है।
15 मार्च 2016 को जब हम श्रीनगर पहुंचे, तब पता चला कि इस साल ट्यूलिप गार्डन करीब दो हफ्ते पहले ही खोल दिया गया है। इसका कारण यह बताया गया कि मौसम में थोड़े बहुत बदलाव हुए है और गर्मी करीब दो हफ्ते पहले शुरू हो गई है, इसलिए ट्यूलिप के फूल खिलने लगे है। इस बगीचे के प्रबंधकों को लगा कि पर्यटकों को लुभाने के लिए यह एक अच्छा मौका है और देखते ही देखते श्रीनगर के पर्यटकों की भारी भीड़ लग गई।
संसद में चल रहे वर्तमान बजट सत्र में राज्यसभा की खाली सीटों पर चुनाव भी होना है। भारतीय जनता पार्टी ने जिन लोगों के नाम राज्यसभा में भेजने के लिए उपयुक्त माने है, उनमें पत्रकार स्वप्न दासगुप्ता का नाम शामिल है। कांग्रेस ने महाराष्ट्र से जाने-माने पत्रकार कुमार केतकर को राज्यसभा में भेजने का फैसला किया है।
फिल्मफेयर अवार्ड का नाम पहले फिल्मफेयर अवार्ड नहीं था। 1954 में जब इसकी शुरुआत हुई थी, तब इसका नाम क्लेअर मेंडोसा अवार्ड फंक्शन था। क्लेअर मेंडोसा टाइम्स ऑफ इंडिया के फिल्म समीक्षक थे और उसी साल 1954 में उनकी मृत्यु हुई थी।
शुरूआत में आधार से जो अपेक्षाएं थी, वे पूरी नहीं हो पा रही हैं। इसका कारण यह है कि हर किसी को आधार पर आपत्ति है। आपत्ति का मुख्य कारण है, आधार से गोपनीयता भंग होने का खतरा। जिन लोगों को आधार से लाभ होना चाहिए, उनका बहाना बनाकर आधार का उपयोग सीमित करने की कवायदें की जा रही है। भारतीय न्याय प्रक्रिया तो है ही, इस तरह की रूकावटों के लिए प्रख्यात। भारत की एक तिहाई आबादी सोशल मीडिया पर हैं। जहां उनकी पूरी जन्मपत्री सार्वजनिक है। फेसबुक से जुड़ते ही 82 ऐप पीछे लग जाते है। लोकेशन से लेकर गर्लफ्रेंड की फोटो तक का हिसाब फेसबुक के सर्वर पर दर्ज रहता है, लेकिन भारत के लोगों को तकलीफ है आधार से। आधार से गोपनीयता भंग हो जाएगी साहब। आधार कार्ड में क्या दर्ज है? और जब आप भारत में पैदा हुए, भारत सरकार की तमाम सुविधाओं का फायदा उठा रहे हो, तो सरकार को आपके बारे में जानने का अधिकार भी होना चाहिए या नहीं? बाद में आप शिकायत करते है कि सरकार को यह काम करना चाहिए, वह काम करना चाहिए आदि-आदि।
डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी से बातचीत
सवाल - जीवन के 75 बसंत देखने पर कैसा महसूस करते हैं आप? 75 बसंत ही थे या कुछ पतझड़ भी थे?
जवाब - मुझे लग रहा है, जो मुझे आज तक नहीं लगा, आज तक मुझे कहीं रेखांकित किया गया होगा, तो मेरी किसी उपलब्धि के लिए किया गया होगा, लेकिन आज लग रहा है कि मैंने कुछ भी नहीं किया और लोग मुझको बधाई दे रहे है। क्योंकि अगर मेरी उम्र बढ़ी है, तो इसमें मेरा तो कोई योगदान नहीं है कि अतिरिक्त मैं जीवित बना रहा और वो भी मेरे हाथ में नहीं था। इसलिए बिना कुछ किए मुझे बधाई मिल रही है। मुझे लग रहा है कि ये तो बिल्कुल फ्री की बधाइयां है।
विलफुल डिफाल्टर्स के बारे में भले ही आरबीआई कुछ न कहे, भले ही वित्त मंत्री कुछ न कहे, लेकिन एआईबीईए (ऑल इंडिया बैंक इम्पलाइज एसोसिएशन) ने ऐसे विलफुल डिफाल्टर की सूची जारी कर दी है। सूची भी ऐसी-वैसी नहीं, सभी प्रमुख बैंकों के डिफाल्टर्स की सूची। इसमें सरकारी क्षेत्र के बैंक तो है ही, निजी क्षेत्र के भी प्रमुख बैंक जैसे आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, एक्सिस, कोटक महिन्द्रा आदि शामिल है। सबसे ज्यादा और बड़े-बड़े डिफाल्टर सरकारी क्षेत्र की सबसे बड़ी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के है।
'वीकेंड पोस्ट' में मेरा कॉलम (11 अक्टूबर 2014)
वैसे तो उनके हिन्दी में एक से बढ़कर एक शब्द हैं-चोर, चोट्टा, अमानत में खयानत करने वाला, गबनकर्ता, जेबकतरा, लुंठन, डाकू आदि-आदि। अंग्रेजी में भी इसके लिए एक से बढ़कर शब्द हैं, लेकिन जो मजा 'विलफुल डिफाल्टर' में है, वह कहीं नहीं ! विलफुल डिफाल्टर भी क्या गजब के 2 शब्द हैं। बेहद इज्जतदार! विलफुल डिफाल्टर शब्दों में गरिमा है। विलफुल डिफाल्टर बोलो तो लगता है कि टॉम क्रूज टाइप किसी महान इनसान की चर्चा हो रही है! भारत में विलफुल डिफाल्टर का जिक्र आते ही विजय माल्याजी का खयाल मन में आता है।
पूर्वोत्तर में 3 राज्यों के चुनाव नतीजे आने पर अब त्रिपुरा में बीजेपी पूर्ण बहुमत से और नागालैंड में सहयोगी दल (एनडीपीपी) की मदद से सरकार बनाने जा रही है। इस तरह भारत के 29 राज्यों में से 21 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी और सहयोगी दलों की सरकार होगी। मेघालय में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा, लेकिन बीजेपी ने वहां भी अच्छा खाता खोला है।
आगामी 6 जुलाई को जाह्नवी कपूर की फिल्म धड़क रिलीज होगी। यह फिल्म ही मराठी की सुपरहिट फिल्म सैराट का हिन्दी संस्करण होगी। धड़क फिल्म को करण जौहर प्रोड्यूस कर रहे हैं और निर्देशन कर रहे हैं शशांक खेतान । धर्मा प्रोडक्शंस की इस साल आनेवाली यह महत्वपूर्ण फिल्म होगी।
जिन लोगों को यह लगता है कि घोटाले होते रहते है और अपराधी को सजा नहीं होती, उन्हें याद दिलाना चाहूंगा कि ऐसा नहीं है। आजाद भारत में घोटालों की शुरूआत तो जीप घोटाले से 1948 में ही हो गई थी, लेकिन वह घोटाला उतना बड़ा नहीं था, जितना हरिदास मूंदड़ा घोटाला था। जीप घोटाले में 1500 जीप खरीदने का ऑर्डर दिया गया था और जीप 9 महीने बाद भी डिलीवर नहीं हुई थी। रकम भी मामूली ही थी। प्रति जीप 300 ब्रिटिश पाउंड, लेकिन मूंदड़ा घोटाले में रकम 1 करोड़ 20 लाख थी, जो वर्तमान कीमतों के हिसाब से 360 करोड़ रुपए से ज्यादा की बैठती है। जब यह घोटाला हुआ, तब 1957 में सोने का दाम 95 रूपए प्रति 10 ग्राम था। आज सोना 30 हजार रूपए से अधिक प्रति 10 ग्राम है।
पीएनबी घोटाले में आरोपी नीरव मोदी ने प्रियंका चोपड़ा के साथ भी चूना लगाया था। नीरव मोदी की कंपनी ने प्रियंका चोपड़ा से करार किया था कि प्रियंका नीरव मोदी ब्रांड की जूलरी की ग्लोबल ब्रांड एम्बेसेडर होंगी। प्रियंका ने नीरव मोदी की कंपनी के लिए विज्ञापन फिल्म, प्रिंट विज्ञापन और होर्डिंग के लिए विज्ञापन शूट भी किये थे, लेकिन नीरव मोदी ने प्रियंका को उनकी फ़ीस ही नहीं दी, जो करोड़ों रुपये में थी। अब प्रियंका चोपड़ा की माँ ने इस बात की पुष्टि की है कि वे इस बारे में कानूनी सलाह ले रही हैं।
पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान ने तीसरी शादी कर ली। रविवार 18 जनवरी की सुबह 9 बजे निकाह की रस्में पूरी हुई। इमरान खान की पार्टी ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर इसकी जानकारी दी है। इमरान खान ने इस बार बुशरा मानेका से निकाह किया है। इमरान की यह तीसरी शादी है और बुशरा मानेका की दूसरी। 2015 में लोधरन में हुए उपचुनाव के दौरान इन दोनों की मेल-मुलाकातें हुई थी। इसके पहले इमरान की शादी ब्रिटेन की जेमिमा खान से हुई थी, जो 9 साल चली। 8 जनवरी 2015 को इमरान ने टीवी प्रजेंटर रेहन खान से शादी की थी, जो 10 महीने चली।
इमरान की नई बीवी की तस्वीरें पीटीआई ने जारी की है। यह खास तस्वीरें मेरे मित्रों के लिए :
कोई भी शहर केवल उसके इतिहास के कारण नहीं होता। कोई भी शहर उसकी सड़कों, मॉल, बाजार, भवन और वहां के कारोबार के कारण नहीं होता। कोई भी शहर बनता है वहां के लोगों से। अगर आप समझते हैं कि इंदौर केवल पोहा-जलेबी का शहर है, इंदौर केवल कचोरी और मालपुए का शहर है, पेटिस और हॉट डॉग का शहर है तो शायद आप गलत हैं। इंदौर शहर है यहां के करीब 31 लाख लोगों से और इंदौर है उन लोगों के जैसा। इस किताब की भूमिका में रमण रावल ने लिखा है :
इंदौर के सितारे भाग 3 में थोड़ी देर हुई। इंदौर के जनजीवन में जिन महानुभावों ने अपने कर्म, ज्ञान ,गुण, सेवा से उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज कराई हो, उनके बारे में उनकी रचनाधर्मिता के बारे में, उनके संघर्ष और पराक्रम के बारे में, वह मुद्दे सामने लाए जाएं जो आमतौर पर नजर नहीं आते। यह समाज का सामान्य नियम है कि जो लोग कुछ बेहतर कर सकते हैं दूसरे दिन से काफी कुछ सीख समझ सकते हैं, जो अपने अपने क्षेत्र में सफल स्थापित हैं। उनके जीवन दर्शन को उनके तौर-तरीकों को विशेष समाज भी जानें। इसका सीधा फायदा यह है कि दूसरों को भी वैसा ही करने की प्रेरणा मिलती है।