नरेंद्र मोदी के सोशल मीडिया मैनेजर्स का जवाब नहीं।
रक्षाबंधन के दिन (26 अगस्त को) मोदीजी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर 55 विशिष्ट महिलाओं को फॉलो करना शुरू कर दिया। इनमें बैडमिंटन खिलाड़ी अश्विनी पोनप्पा, टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा, एथलीट पीटी ऊषा, बाल अधिकार कार्यकर्ता डॉ. स्वरूप सम्पत ( परेश रावल की लुगाई, मिस इंडिया 1979 और ये जो है जिंदगी सीरियल की कलाकार) पत्रकार पश्यन्ति मोहित शुक्ला, रोमाना इसार खान, श्वेता सिंह, पद्मजा जोशी, शीला भट्ट, शालिनी सिंह, बॉलीवुड अभिनेत्री कोएना मित्रा, वेटलिफ्टर कर्णम मल्लेश्वरी, फोटो पत्रकार रेणुका पुरी शामिल हैं।
फेसबुक पर राजनीतिक विज्ञापनों के लिए प्रोपब्लिका नाम की एक कंपनी ने नए-नए टुल्स ईजाद किए है। इसका उद्देश्य ही है, फेसबुक पर लोगों की रूचि के अनुसार राजनैतिक विज्ञापनों को पोस्ट करना। प्रोपब्लिका के इस प्रोजेक्ट में एबीसी न्यूज नेटवर्क भी हिस्सेदार है। इसे पोलिटिकल एड कलेक्टर प्रोजेक्ट नाम दिया गया है।
-- आज 23 अगस्त 2018 को अंतर्राष्ट्रीय हैशटैग डे है. #Hashtag11
-- दशमलव और शून्य के बाद शायद सबसे बड़ी गणितीय खोज।
-- आज से 11 साल पहले ही हैशटैग का जन्म हुआ था।
-- ट्विटर ने आज, 23 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय हैशटैग डे के रूप में मनाने का ऐलान किया है।
-- आठ साल पहले ऑक्सफ़ोर्ड शब्दकोष में यह शब्द शामिल किया गया था - #Hashtag .
--गूगल के एक डिजाइनर क्रिस मेसिना ने 23 अगस्त 2007 को सबसे पहले इसका उपयोग किया था।
#ट्रम्प_ट्रम्प कित्ते ट्वीट ?
मैं #ट्विटर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोनों अकाउंट (President Trump @POTUS और Donald J. Trump@realDonaldTrump ) फॉलो करता हूं। रविवार ट्रम्प के दोनों ट्विटर अकाउंट को समर्पित रहा। रविवार (19/8/2018) को उन्होंने बोस्टन ग्लोब और न्यू यॉर्क टाइम्स पर जमकर भड़ास निकाली है।
#न्यूयार्क_टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा था - "ट्रम्प लोकतंत्र की रगों में बहने वाले खून के लिए भी खतरनाक हैं."
...और #द_गार्डियन ने लिखा था - "हम अमेरिका की जनता के दुश्मन नहीं हैं। हम उनकी बेहतरी चाहते हैं लेकिन खुद की बेहतरी चाहने के लिए अमेरिकियों को अब अपनी आवाज उठानी होगी। हम आपको ट्रंप से बचाने नहीं आए हैं। हमारी जो बात ट्रंप को जंग लगती है, हमारे लिए वो रोजमर्रा का काम है।
अटल बिहारी वाजपेयी केवल कवि और राजनेता ही नहीं थे। वे फिल्मों, अच्छे भोजन, अच्छी मित्रता में भी रूचि रखते थे। कई लोग उन्हें दिलचस्प और आशिक मिजाज भी मानते हैं। एक इंटरव्यू में अटलजी ने खुद कहा था कि मैं अविवाहित हूं, लेकिन कुंवारा नहीं। लोगों ने इस वाक्य के अपने हिसाब से अलग-अलग अर्थ निकाले। जो भी हो, अटलजी के लिए इन शब्दों के गंभीर मायने थे। वे प्रेम की सहजता और गंभीरता को भी समझते थे। वे न तो कभी किसी दूसरे के निजी मामलों में दखल देते और न ही अपने मामले में किसी दूसरे का दखल बर्दाश्त करते थे।
टेलीविजन चैनल और अखबारों में अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में जिस तरह के भावुक समाचार और संदेश की बाढ़ आई, उससे भी बड़ी बाढ़ सोशल मीडिया पर देखने को मिली। ट्विटर इंडिया ने अटलजी के निधन पर अपनी ओर से विशेष व्यवस्था की थी। अटलजी, अटलजी अमर रहे, अटल बिहारी वाजपेयी आदि हैशटैग सोशल मीडिया पर लगातार छाये हुए है। प्रिंट और टीवी से अलग सोशल मीडिया में ऐसे संदेश भी है, जिनमें अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन की उपलब्धियों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह की टिप्पणियां उपलब्ध है।
हरिवंश जी विज़नरी पत्रकार रहे हैं, वे अच्छे सांसद भी माने जाते हैं और अब वे राज्यसभा के सफल उपसभापति भी साबित होंगे, इसमें कोई शक नहीं है। धर्मयुग में मुझसे पहले की पीढ़ी के, मेरे वरिष्ठ रहे, आजीवन सक्रिय पत्रकारिता करने वाले हरिवंश जी के राज्यसभा का उपसभापति बनने पर वास्तव में खुशी का एहसास हो रहा है। उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धता के बारे में कुछ कहना नहीं चाहता, लेकिन एक पत्रकार के रूप में उन की प्रतिबद्धता हमेशा अपने पेशे के प्रति बनी रही। अपने जूनियर्स के साथ हमेशा मानवीय व्यवहार करने वाले और बेहद संवेदनशील पत्रकार हरिवंश ने प्रभात खबर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
फोटो शेयर करने की सोशल वेबसाइट इंस्टाग्राम की नीतियों में स्पष्ट है कि कोई भी वहां अश्लील फोटो अपलोड नहीं कर सकता। ऐसे लोगों को इंस्टाग्राम ब्लॉक कर देता है, लेकिन पिछले दिनों योगा करने वाली एक लड़की ने इंस्टाग्राम की नीतियों को धता बताते हुए योगा करते हुए अपने न्यूड फोटो अपलोड किए, जिसे इंस्टाग्राम भी ब्लॉक नहीं कर पाया, क्योंकि उन फोटो में न्यूड होने के बावजूद अश्लीलता नहीं थी और एक तरह की कलात्मकता थी। ये सभी फोटो उस युवती ने ब्लैक एंड व्हाइट में शेयर किए थे, जिन्होंने सबसे ज्यादा देखे जाने वाले फोटो का रिकॉर्ड कायम किया।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस तो 21 जून को है, लेकिन उसके दो दिन पहले 19 जून से ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजन शुरू हो रहे हैं। 19 जून को रविवार है और यह सुविधाजनक हैं कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस रविवार को मना लिया जाए। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की तैयारियां दुनियाभर में हो रही है और न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वेयर से लेकर चंडीगढ़ तक विशेष आयोजनों की धूम रहेगी। कछ संस्थाएं तो इसके बाद भी आयोजन जारी रखेंगी। गत वर्ष 31 जून को पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया था। तब दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ 35 हजार 985 लोगों ने दिल्ली में एक साथ योग करके रेकॉर्ड बनाया था। इस बार भारत का मुख्य आयोजन दिल्ली की जगह चंडीगढ़ में होने वाला है। प्रधानमंत्री चंडीगढ़ में ही योग करेंगे।
(क्रिश्चियन योगा पर यह लेख 2 साल पहले लिखा था, पर आज भी मौजूं है )
अब फिर कई लोगों को तकलीफ हो रही है क्योंकि 21 जून को द्वितीय अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। 2015 को 21 जून के दिन जब पहला अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा था, तब दुनिया के कई हिस्सों में लोगों को कष्ट था। भारत में भी कुछ लोगों को तकलीफ थी। सूर्य नमस्कार को आसन के बजाए व्यायाम कहा गया और योग दिवस की गतिविधियों से उसे हटा दिया गया। इसके पीछे तर्क यह था कि इस्लाम में विश्वास रखने वाले लोग सूर्य को देवता नहीं मानते, इसलिए वे सूर्य को नमस्कार नहीं करना चाहते। मध्यप्रदेश में भी अनेक स्कूलों में योग की कक्षा में सूर्य नमस्कार नहीं कराया जाता।
पत्रकार और लेखक दीपक तिवारी 26 साल से पत्रकारिता कर रहे हैं। आकाशवाणी, समाचार एजेंसी, अखबार आदि के बाद वे अंग्रेजी समाचार साप्ताहिक द विक में 20 साल से मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ के राज्य संवाददाता हैं। मध्यप्रदेश की राजनीति पर उनकी अच्छी खासी पकड़ है। पिछले दिनों बहचर्चित किताब ‘राजनीतिनामा मध्यप्रदेश (2003 से 2018) भाजपा युग’ का लोकार्पण हुआ। इसके पहले वे ‘राजनीतिनामा मध्यप्रदेश (1956 से 2003) कांग्रेस युग’ लिख चुके हैं। इस तरह उन्होंने 1956 में मध्यप्रदेश बनने के बाद की राजनीति को कांग्रेस युग और भाजपा युग में लिपिबद्ध किया है।
वे शुजालपुर के ज़मींदार परिवार के है. कभी 'कमिंग होम टु सियाराम' के लिए मॉडलिंग भी की, अब 'गृहस्थ संत' हैं. परिवार पुणे में रहता है और वे देश भर में घूमते रहते हैं. महाराष्ट्र के संतों की परंपरा को वे नए तरीके से बढ़ा रहे हैं. बेहद आकर्षक व्यक्तित्व के धनी हैं. कम बोलते हैं. पीएम-सीएम हों या प्यून, सब से समान बर्ताव करते हैं. रोज 16 से 18 घंटे काम करते हैं.
(आपका स्वागत है, पर आप क्यों बार -बार पधारते हैं? पूरा प्रशासन ठप हो जाता है। इस गरीब और बीमारू राज्य पर दया करो प्रभु!)
माननीय,
नित्य प्रातः स्मरणीय,
महामहिम महोदय,
आप इस देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हैं, तीनों सेनाएं आप के अधीन हैं, पूरा देश आपके नेतृत्व का कायल है, आप हमारे लिए पूजनीय हैं। माननीय,
एक छोटी सी कहानी सुनाना चाहता हूं। एक दद्दाजी थे। उन्हें लगा कि अब उनके जीवन के सक्रिय 5/6 साल बचे हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 12 मीडिया घरानों पर 10-10 लाख रूपए का जुर्माना अदा करने के लिए कहा। हाईकोर्ट का मानना है कि इन मीडिया घरानों ने कठुआ में 8 साल की बच्ची के साथ जबरदस्ती और हत्या की खबर में पीड़िता का नाम उजागर किया, जो मीडिया के सिद्धांतों के खिलाफ है। इस तरह के मामलों में पीड़िता की पहचान छुपाए रखने संबंधी कानूनों की अवहेलना के कारण यह आदेश दिया गया।
वरिष्ठ पत्रकार एस. निहाल सिंह उन लोगों में से थे, जिन्होंने 1975 में इमरजेंसी लगाए जाने का घोर विरोध किया था। वे 1965 के भारत-पाक युद्ध के बाद पाकिस्तान जाने वाले किसी भी भारतीय अखबार के पहले पत्रकार थे। सुरेन्द्र निहाल सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस और खलीज टाइम्स के संपादक तथा स्टेट्समैन के प्रधान संपादक के रूप में काम किया। इंडियन पोस्ट अखबार की बुनियाद ही उन्होंने रखी। वे ब्रिटेन, रूस, यूएसए, इंडोनेशिया आदि कई देशों में विशेष संवाददाता के तौर पर काम कर चुके थे।
रविवार की सुबह करीब 11 बजे कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने ट्विटर अकाउंट @RahulGandhi से एक ट्वीट करके खलबली मचा दी। एक फ़्रांसिसी हैकर के ट्वीट पर आधारित समाचार उद्घृत करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसते हुए लिखा
-- "हेलो, मेरा नाम नरेंद्र मोदी है, मैं भारत का प्रधानमंत्री हूं। जब आप मेरे आधिकारिक ऍप को साइनअप करते हैं, तब मैं आपका सारा डाटा अमेरिकी कंपनियों के अपने दोस्तों को दे देता हूं."
राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि जो भी नागरिक नमो ऍप का इस्तेमाल करता है, उसकी तमाम जानकारियां उस ऍप को इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति की अनुमति के बिना अमेरिकी कंपनी से साझा की जा रही है।
15 मार्च 2016 को जब हम श्रीनगर पहुंचे, तब पता चला कि इस साल ट्यूलिप गार्डन करीब दो हफ्ते पहले ही खोल दिया गया है। इसका कारण यह बताया गया कि मौसम में थोड़े बहुत बदलाव हुए है और गर्मी करीब दो हफ्ते पहले शुरू हो गई है, इसलिए ट्यूलिप के फूल खिलने लगे है। इस बगीचे के प्रबंधकों को लगा कि पर्यटकों को लुभाने के लिए यह एक अच्छा मौका है और देखते ही देखते श्रीनगर के पर्यटकों की भारी भीड़ लग गई।
संसद में चल रहे वर्तमान बजट सत्र में राज्यसभा की खाली सीटों पर चुनाव भी होना है। भारतीय जनता पार्टी ने जिन लोगों के नाम राज्यसभा में भेजने के लिए उपयुक्त माने है, उनमें पत्रकार स्वप्न दासगुप्ता का नाम शामिल है। कांग्रेस ने महाराष्ट्र से जाने-माने पत्रकार कुमार केतकर को राज्यसभा में भेजने का फैसला किया है।
फिल्मफेयर अवार्ड का नाम पहले फिल्मफेयर अवार्ड नहीं था। 1954 में जब इसकी शुरुआत हुई थी, तब इसका नाम क्लेअर मेंडोसा अवार्ड फंक्शन था। क्लेअर मेंडोसा टाइम्स ऑफ इंडिया के फिल्म समीक्षक थे और उसी साल 1954 में उनकी मृत्यु हुई थी।
शुरूआत में आधार से जो अपेक्षाएं थी, वे पूरी नहीं हो पा रही हैं। इसका कारण यह है कि हर किसी को आधार पर आपत्ति है। आपत्ति का मुख्य कारण है, आधार से गोपनीयता भंग होने का खतरा। जिन लोगों को आधार से लाभ होना चाहिए, उनका बहाना बनाकर आधार का उपयोग सीमित करने की कवायदें की जा रही है। भारतीय न्याय प्रक्रिया तो है ही, इस तरह की रूकावटों के लिए प्रख्यात। भारत की एक तिहाई आबादी सोशल मीडिया पर हैं। जहां उनकी पूरी जन्मपत्री सार्वजनिक है। फेसबुक से जुड़ते ही 82 ऐप पीछे लग जाते है। लोकेशन से लेकर गर्लफ्रेंड की फोटो तक का हिसाब फेसबुक के सर्वर पर दर्ज रहता है, लेकिन भारत के लोगों को तकलीफ है आधार से। आधार से गोपनीयता भंग हो जाएगी साहब। आधार कार्ड में क्या दर्ज है? और जब आप भारत में पैदा हुए, भारत सरकार की तमाम सुविधाओं का फायदा उठा रहे हो, तो सरकार को आपके बारे में जानने का अधिकार भी होना चाहिए या नहीं? बाद में आप शिकायत करते है कि सरकार को यह काम करना चाहिए, वह काम करना चाहिए आदि-आदि।
डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी से बातचीत
सवाल - जीवन के 75 बसंत देखने पर कैसा महसूस करते हैं आप? 75 बसंत ही थे या कुछ पतझड़ भी थे?
जवाब - मुझे लग रहा है, जो मुझे आज तक नहीं लगा, आज तक मुझे कहीं रेखांकित किया गया होगा, तो मेरी किसी उपलब्धि के लिए किया गया होगा, लेकिन आज लग रहा है कि मैंने कुछ भी नहीं किया और लोग मुझको बधाई दे रहे है। क्योंकि अगर मेरी उम्र बढ़ी है, तो इसमें मेरा तो कोई योगदान नहीं है कि अतिरिक्त मैं जीवित बना रहा और वो भी मेरे हाथ में नहीं था। इसलिए बिना कुछ किए मुझे बधाई मिल रही है। मुझे लग रहा है कि ये तो बिल्कुल फ्री की बधाइयां है।
विलफुल डिफाल्टर्स के बारे में भले ही आरबीआई कुछ न कहे, भले ही वित्त मंत्री कुछ न कहे, लेकिन एआईबीईए (ऑल इंडिया बैंक इम्पलाइज एसोसिएशन) ने ऐसे विलफुल डिफाल्टर की सूची जारी कर दी है। सूची भी ऐसी-वैसी नहीं, सभी प्रमुख बैंकों के डिफाल्टर्स की सूची। इसमें सरकारी क्षेत्र के बैंक तो है ही, निजी क्षेत्र के भी प्रमुख बैंक जैसे आईसीआईसीआई, एचडीएफसी, एक्सिस, कोटक महिन्द्रा आदि शामिल है। सबसे ज्यादा और बड़े-बड़े डिफाल्टर सरकारी क्षेत्र की सबसे बड़ी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के है।
'वीकेंड पोस्ट' में मेरा कॉलम (11 अक्टूबर 2014)
वैसे तो उनके हिन्दी में एक से बढ़कर एक शब्द हैं-चोर, चोट्टा, अमानत में खयानत करने वाला, गबनकर्ता, जेबकतरा, लुंठन, डाकू आदि-आदि। अंग्रेजी में भी इसके लिए एक से बढ़कर शब्द हैं, लेकिन जो मजा 'विलफुल डिफाल्टर' में है, वह कहीं नहीं ! विलफुल डिफाल्टर भी क्या गजब के 2 शब्द हैं। बेहद इज्जतदार! विलफुल डिफाल्टर शब्दों में गरिमा है। विलफुल डिफाल्टर बोलो तो लगता है कि टॉम क्रूज टाइप किसी महान इनसान की चर्चा हो रही है! भारत में विलफुल डिफाल्टर का जिक्र आते ही विजय माल्याजी का खयाल मन में आता है।
पूर्वोत्तर में 3 राज्यों के चुनाव नतीजे आने पर अब त्रिपुरा में बीजेपी पूर्ण बहुमत से और नागालैंड में सहयोगी दल (एनडीपीपी) की मदद से सरकार बनाने जा रही है। इस तरह भारत के 29 राज्यों में से 21 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी और सहयोगी दलों की सरकार होगी। मेघालय में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा, लेकिन बीजेपी ने वहां भी अच्छा खाता खोला है।
आगामी 6 जुलाई को जाह्नवी कपूर की फिल्म धड़क रिलीज होगी। यह फिल्म ही मराठी की सुपरहिट फिल्म सैराट का हिन्दी संस्करण होगी। धड़क फिल्म को करण जौहर प्रोड्यूस कर रहे हैं और निर्देशन कर रहे हैं शशांक खेतान । धर्मा प्रोडक्शंस की इस साल आनेवाली यह महत्वपूर्ण फिल्म होगी।
जिन लोगों को यह लगता है कि घोटाले होते रहते है और अपराधी को सजा नहीं होती, उन्हें याद दिलाना चाहूंगा कि ऐसा नहीं है। आजाद भारत में घोटालों की शुरूआत तो जीप घोटाले से 1948 में ही हो गई थी, लेकिन वह घोटाला उतना बड़ा नहीं था, जितना हरिदास मूंदड़ा घोटाला था। जीप घोटाले में 1500 जीप खरीदने का ऑर्डर दिया गया था और जीप 9 महीने बाद भी डिलीवर नहीं हुई थी। रकम भी मामूली ही थी। प्रति जीप 300 ब्रिटिश पाउंड, लेकिन मूंदड़ा घोटाले में रकम 1 करोड़ 20 लाख थी, जो वर्तमान कीमतों के हिसाब से 360 करोड़ रुपए से ज्यादा की बैठती है। जब यह घोटाला हुआ, तब 1957 में सोने का दाम 95 रूपए प्रति 10 ग्राम था। आज सोना 30 हजार रूपए से अधिक प्रति 10 ग्राम है।
पीएनबी घोटाले में आरोपी नीरव मोदी ने प्रियंका चोपड़ा के साथ भी चूना लगाया था। नीरव मोदी की कंपनी ने प्रियंका चोपड़ा से करार किया था कि प्रियंका नीरव मोदी ब्रांड की जूलरी की ग्लोबल ब्रांड एम्बेसेडर होंगी। प्रियंका ने नीरव मोदी की कंपनी के लिए विज्ञापन फिल्म, प्रिंट विज्ञापन और होर्डिंग के लिए विज्ञापन शूट भी किये थे, लेकिन नीरव मोदी ने प्रियंका को उनकी फ़ीस ही नहीं दी, जो करोड़ों रुपये में थी। अब प्रियंका चोपड़ा की माँ ने इस बात की पुष्टि की है कि वे इस बारे में कानूनी सलाह ले रही हैं।
पाकिस्तान की तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) के प्रमुख इमरान खान ने तीसरी शादी कर ली। रविवार 18 जनवरी की सुबह 9 बजे निकाह की रस्में पूरी हुई। इमरान खान की पार्टी ने अपने ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर इसकी जानकारी दी है। इमरान खान ने इस बार बुशरा मानेका से निकाह किया है। इमरान की यह तीसरी शादी है और बुशरा मानेका की दूसरी। 2015 में लोधरन में हुए उपचुनाव के दौरान इन दोनों की मेल-मुलाकातें हुई थी। इसके पहले इमरान की शादी ब्रिटेन की जेमिमा खान से हुई थी, जो 9 साल चली। 8 जनवरी 2015 को इमरान ने टीवी प्रजेंटर रेहन खान से शादी की थी, जो 10 महीने चली।
इमरान की नई बीवी की तस्वीरें पीटीआई ने जारी की है। यह खास तस्वीरें मेरे मित्रों के लिए :
कोई भी शहर केवल उसके इतिहास के कारण नहीं होता। कोई भी शहर उसकी सड़कों, मॉल, बाजार, भवन और वहां के कारोबार के कारण नहीं होता। कोई भी शहर बनता है वहां के लोगों से। अगर आप समझते हैं कि इंदौर केवल पोहा-जलेबी का शहर है, इंदौर केवल कचोरी और मालपुए का शहर है, पेटिस और हॉट डॉग का शहर है तो शायद आप गलत हैं। इंदौर शहर है यहां के करीब 31 लाख लोगों से और इंदौर है उन लोगों के जैसा। इस किताब की भूमिका में रमण रावल ने लिखा है :
इंदौर के सितारे भाग 3 में थोड़ी देर हुई। इंदौर के जनजीवन में जिन महानुभावों ने अपने कर्म, ज्ञान ,गुण, सेवा से उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज कराई हो, उनके बारे में उनकी रचनाधर्मिता के बारे में, उनके संघर्ष और पराक्रम के बारे में, वह मुद्दे सामने लाए जाएं जो आमतौर पर नजर नहीं आते। यह समाज का सामान्य नियम है कि जो लोग कुछ बेहतर कर सकते हैं दूसरे दिन से काफी कुछ सीख समझ सकते हैं, जो अपने अपने क्षेत्र में सफल स्थापित हैं। उनके जीवन दर्शन को उनके तौर-तरीकों को विशेष समाज भी जानें। इसका सीधा फायदा यह है कि दूसरों को भी वैसा ही करने की प्रेरणा मिलती है।
भारतीय सेना के दो जवानों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज करने के खिलाफ सोशल मीडिया पर जिस तरह बीजेपी को लानतें भेजी जा रही हैं, वे गौर करने लायक हैं। भारतीय सेना की दसवीं गढ़वाल यूनिट के मेजर आदित्य के नेतृत्व में सैनिकों ने दो पत्थरबाजों को गोली मार दी थी, उसके बाद सेना के जवानों के विरूद्ध हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया। सैनिकों के खिलाफ जो धाराएं लगाई गई है, वे है दफा 302, 307 और 336। जम्मू-कश्मीर में इंडियन पेनल कोड लागू नहीं होता, इसलिए वहां रणबीर पेनल कोड (आरपीसी) के तहत यह धाराएं लगाई गई है। जम्मू-कश्मीर की पुलिस ने जांच कमेटी बैठा दी है और तमाम लोगों से पूछताछ हो रही है कि इस मामले में क्या घटा और कैसे?
कासगंज मामले में ट्विटर पर की जा रही टिप्पणियों की समीक्षा और शिकायतों के बाद ट्विटर ने हिन्दुत्व समर्थक पूर्व पत्रकार जागृति शुक्ला का ट्विटर अकाउंट सस्पेंड कर दिया। जिस ट्वीट के कारण ट्विटर ने यह कार्रवाई की, उसमें जागृति ने किसी धर्म का नाम नहीं लिखा था, लेकिन ऐसा माना गया कि यह ट्वीट मुस्लिम समाज के लोगों को निशाने पर रखकर किया गया था। जागृति शाह के ट्वीट पर अनेक लोगों को आपत्ति है, इसके पहले भी लोगों ने जागृति के ट्वीट पर आपत्तियां जताई थी।
हाल ही में हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि अमेरिका में बौद्ध धर्म के प्रति वहां के लोगों का रूझान बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी लोग बौद्ध धर्म को धर्म के रूप में कम और जीवनशैली के रूप में ज्यादा स्वीकार करते है। बड़ी संख्या में लोग बौद्ध धर्म के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे है और बिना बौद्ध धर्म अपनाए बौद्ध धर्म की खूबियों को अपने जीवन में उतारने की कोशिश कर रहे हैं।
'शोले' की तरह 'पद्मावात' फिल्म के डॉयलॉग चर्चित होंगे--क्योंकि इनमें चित्तौड़, मेवाड़, राजपूतों, सूर्यवंशियों और राजपूत-नारी की आन - बान - शान की बात कही गई है; जैसे --
"राजपूती कंगन में उतनी ही ताकत है जितनी राजपूती तलवार में..." --पद्मावती (दीपिका पादुकोण)
"चिंता को तलवार की नोक पे रखे, वो राजपूत...रेत की नाव लेकर समुंदर से शर्त लगाए, वो राजपूत...और जिसका सर कटे फिर भी धड़ दुश्मन से लड़ता रहे, वो राजपूत "-- राजा रतनसेन (शाहिद कपूर)
"कह दीजिए अपने सुल्तान से कि उनकी तलवार से ज्यादा लोहा हम सूर्यवंशी मेवाड़ियों के सीने में है..." --राजा रतनसेन ( शाहिद कपूर)
"असुरों का विनाश करने के लिए देवी को भी गढ़ से उतरना पड़ा था. चित्तौड़ के आंगन में एक और लड़ाई होगी जो न किसी ने देखी होगी न सुनी होगी. और वो लड़ाई हम क्षत्राणियां लड़ेंगी. और यही अलाउद्दीन के जीवन की सबसे बड़ी हार होगी." --पद्मावती ( दीपिका पादुकोण)
क्या बॉलीवुड की अभिनेत्री सनी लियोन का ताज खतरे में नजर आ रहा है क्योंकि अब मिया मल्कोवा भी बॉलीवुड की फिल्मों के मैदान में आ गई हैं. अब बॉलीवुड में रामगोपाल वर्मा अपनी आने वाली फिल्म में मिया मल्कोवा को लेकर आ रहे हैं. इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज भी हो गया है. ऐसा माना जाता है कि मिया मल्कोवा बॉलीवुड में तहलका मचा देगी और हो सकता है कि वह सनी लियोन को कड़ी टक्कर दें.
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन में राष्ट्रीय सुरक्षा उप सलाहकार रहे एंटोनी जॉन ब्लिंकेन ने न्यू यॉर्क टाइम्स में एक लेख लिखा हैं, जिसमें उन्होंने राय व्यक्त की है कि विश्व नेतृत्व से अमेरिका धीरे-धीरे पीछे खिसक रहा है और जिस तरह से चीन आगे बढ़ रहा है, उससे यह संभव है कि वह विश्व का नेतृत्व करने लगे। उन्होंने चीन की कूटनीतिक गतिविधियों के हवाले से कहा है कि चीन के वर्तमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग बहुत तेजी से चीन को वैश्विक परिदृश्य पर उभार रहे हैं। चीन में लोकतंत्र नहीं है, वहां पर्यावरण की स्थिति चिंताजनक है और मानव अधिकारों की बात करना ही फिजूल है, लेकिन फिर भी जिस तरह चीन आगे बढ़ रहा है, वह पूरी दुनिया के लिए गंभीर बात हो सकती है।
अमित शाह का जन्मदिन !
मैं भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह की कई बातों का आलोचक हूँ, उनसे घोर असहमत रहता हूं, लेकिन फिर भी मैं उनका बड़ा प्रशंसक हूं. आमतौर पर जिस तरह कोई व्यापारी केवल अपने मुनाफ़े से मतलब रखता है, उसी तरह अमित शाह केवल भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक लाभ से मतलब रखते हैं. उनका लक्ष्य 'किसी भी तरह' भारतीय जनता पार्टी को फायदा पहुंचाने का रहता है, इस में नैतिकता-अनैतिकता वे देखते नहीं हैं शायद !
अमित शाह शतरंज के माहिर खिलाड़ी हैं. रंगमंच पर अभिनय भी किया है और वे शास्त्रीय संगीत में रुचि रखते हैं. राजनीति में भी शास्त्रीय संगीत की तर्ज पर शतरंज खेलते हैं. वे कब प्यादे को वजीर बना देते हैं, कब राजा, घोड़ा और कब प्यादा, घोड़ा बन जाता है, और कब वजीर ऊंट के खाने में बैठने पर बाध्य हो जाता है, यह सामने वाले को समझ में नहीं आता. अमित शाह की अगली चाल कौन सी होगी, उनकी पार्टी के लोग भी नहीं जान पाते!
राष्ट्रीय मीडिया कॉन्क्लेव की रिपोर्ट
संस्था विकास संवाद का ग्यारहवां वार्षिक आयोजन ओरछा में 18 से 20 अगस्त 2017 तक आयोजित हुआ। विषय रहा - ‘मीडिया, बच्चे और असहिष्णुता’। आयोजन के आधार पत्र में लिखा गया है - ‘‘आज कल मीडिया का जिक्र भी राग दरबारी के उस बहुउद्घ्रत प्रसंग की तरह हो गया है, जिसमें शिक्षा व्यवस्था की जगह अगर मीडिया को रख दें, तो उसे सड़क की कुटिया मानकर हर कोई लात जमाता चलता है। लोकतंत्र की झंडाबरदार राजनीतिक जमातों और नौकरशाही से लेकर कोई भी सड़क चलता इंसान किसी भी छोटी-मोटी बात पर मीडिया को भी गरियाता रहता है... मीडिया खुद के ‘बिक जाने,’ ‘तोड़-मरोड़कर पेश करने’ से लगाकर ‘सत्ता में सहयोगी’ तक की गालियों से नवाजा भी जाता है।’’
कहा जाता है कि सत्य केवल सत्य होता है। न आगे, न पीछे। न आधा, न पूर्ण। सत्य को रचा नहीं जाता, वह खुद ब खुद हो जाता है, लेकिन अब आभासी और इंटरनेट की दुनिया में सत्य तेजी से रचा जा रहा है। मीडिया को हम सत्य और वस्तुगत जीवन मूल्यों का पहरेदार समझते है, लेकिन अब यह बात खुद ब खुद साबित होती जा रही है कि इंटरनेट और आभासी दुनिया में रचे जा सकने वाले सत्य का बोलबाला है।
हमारे नए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अब ट्विटर पर भी नजर आने लगे हैं। दो दिनों में उनके 10 लाख नए फॉलोअर्स बने। राष्ट्रपति कोविंद को फॉलो करने वालों की संख्या करीब 32 लाख है। वे ट्विटर पर केवल एक शख्स के अकाउंट को फॉलो कर रहे हैं और वे हैं श्री प्रणब मुखर्जी। वास्तव में राष्ट्रपति कोविंद का ट्विटर अकाउंट भारत के राष्ट्रपति का ट्विटर अकाउंट है, जो 2014 में श्री प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति रहते शुरू किया गया था। दो दिन पहले तक उनके ट्विटर फॉलोअर्स की संख्या ३१ लाख थी। इस लिहाज से राष्ट्रपति कोविंद का ट्विटर अकाउंट भी वहीं है, जो पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का था। यह ट्विटर अकाउंट भारत के राष्ट्रपति का अधिकृत ट्विटर हैंडल है। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का ट्विटर अकाउंट प्रेसीडेंट मुखर्जी के नाम पर था (पीओआई१३) यानि भारत के १३वें राष्ट्रपति। राष्ट्रपति कोविंद का ट्विटर अकाउंट का नाम प्रेसीडेंट ऑफ इंडिया है और आईडी हैं राष्ट्रपतिबीएचवीएन। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम पर अनाधिकृत ट्विटर अकाउंट की बाढ़ आई हुई है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा पर अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने जिस तरह का कवरेज किया है, वह हास्यास्पद है। वैसे भी अमेरिकी मीडिया के लिए भारतीय प्रधानमंत्री उतने महत्वपूर्ण नहीं हैं, जितने भारतीय मीडिया के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति। कूटनीतिक स्तर पर जो बातचीत हुई हो, जरूरी नहीं कि वह मीडिया के सामने आई ही हो। कूटनीति में कई बार जो बातें छुपानी होती है, उन्हें बताया जाता है और जो बातें बतानी होती है, वो बताई नहीं जाती। चटखारे लेने की आदत वाले अमेरिकी मीडिया के सामने क्या विकल्प था? वह यही प्रकाशित और प्रसारित करता रहा कि दोनों नेताओं की समानताएं और असमानताएं क्या-क्या है। दोनों ने कैसे कपड़े पहने, दोनों किस तरह पेश हुए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने व्हाइट हाउस में पांच घंटे क्या किया। अमेरिकी राष्ट्रपति की पत्नी मेलानिया ट्रम्प ने श्री मोदी को व्हाइट हाउस घुमाया, तब वे पीले रंग का जो ड्रेस पहनी थी, उसकी कीमत तीन हजार डॉलर से थोड़ी ही कम थी, वगैरह-वगैरह।
शाहिद मिर्ज़ा मोहम्मद बेग चुग़ताई। यही पूरा नाम था उसका। वे हट्टोल थे। यह शब्द उन्हीं का गढ़ा हुआ था। हठी और अड़ियल का सम्मिश्रण। जींस-कुर्ता, तर्जे-तग़ाफ़ुल वाली बेपरवाही की अदा; बातों के दौरान बीच-बीच में मालवी-निमाड़ी शब्दों का उपयोग और ज़रूरत हो तो अंग्रेज़ी का; 'श्लोकोँ' से अलंकृत, ठहाके, भदेस और जुझारूपन।
आज से ठीक दस साल पहले जयपुर से उनके जाने की असहनीय वेदना देनेवाली खबर आई थी। जो व्यक्ति बरसों बरस साये की तरह साथ रहा हो, नईदुनिया, नवभारत टाइम्स और फिर दैनिक भास्कर में सहकर्मी रहा हो, कभी समकक्ष, कभी वरिष्ठ और कभी कनिष्ट, जो व्यक्ति जहाँ कहीं भी रहा हो, हमेशा छाया रहा हो; न केवल मित्र मंडली में, बल्कि जिस भी शहर में रहा हो वहां के सांस्कृतिक परिदृश्य में। साहित्यिक जगत में, कॉफी हाउस में, गोष्ठियों और चाय के अड्डों में। सहकर्मियों से उनका नाता सदा भाई चारे का रहा, ऑफ़िस पॉलिटिक्स से सदा दूर। वे इंदौर के दैनिक भास्कर में प्रभारी थे, तब तत्कालीन राष्ट्रपति वेंकटरामन ओंकारेश्वर मे शंकराचार्य की तपस्थली वाली गुफा के जीर्णोद्धार समारोह के लोकार्पण को आए थे। कीर्ति राणा वहां कवरेज के लिए गए थे और कीर्ति भाई ही थे जो राष्ट्रपति जी से बातचीत कर सके थे। छपने से पहले जब वह रिपोर्ट शाहिद भाई के हाथ आई, तब उन्होंने उसमें जोड़ा -- ' राष्ट्रपति ने कीर्ति राणा से कहा'.
सोनू निगम ट्विटर पर काफी लोकप्रिय हैं। वे नियमित रूप से ट्विटर पर अपने पोस्ट शेयर करते आ रहे थे, लेकिन अब उन्होंने ट्विटर को बाय-बाय बोल दिया है। इसी के साथ ट्विटर ने अपनी ओर से पहल करते हुए गायक अभिजीत का अकाउंट भी कुछ समय के लिए ब्लॉक कर दिया है। सोनू निगम जहां अपने ट्वीट में अपने निजी क्षणों के अलावा हल्के-फुल्के संदेश लिखते रहे हैं, वहीं अभिजीत के ट्वीट तीखे और जज्बाती होते हैं।
न्यूज चैनल रिपब्लिक इन दिनों धूम मचा रहा है। हर रोज नए-नए खुलासे! कभी लालू यादव निशाने पर, कभी केजरीवाल और कभी शशि थरूर। शुरू होने के पहले ही हफ्ते में रिपब्लिक की धूम मची हुई है और कहा जाने लगा है कि रिपब्लिक चैनल का डिस्ट्रीब्यूशन अगर सही रहा, तो अंग्रेजी चैनलों में यह चैनल नंबर वन हो जाएगा। यह भी कहा जाने लगा है कि रिपब्लिक अंग्रेजी का जी न्यूज बन गया है, मतलब जिस तरह जी न्यूज बीजेपी और नरेन्द्र मोदी के खिलाफ खुलासे नहीं करता, उसी तरह रिपब्लिक भी केवल विरोधी दलों की पोल खोलता है।
जम्मू और कश्मीर में आतंकियों के मददगार और पत्थर फेंकने वाले सोशल मीडिया का उपयोग करके उन्माद फैला रहे है। सरकार ने एक महीने के लिए जम्मू-कश्मीर में सोशल मीडिया पर रोक लगा दी है। इससे सुरक्षा बलों के खिलाफ संदेशोें का आदान-प्रदान कठिन हो जाएगा और शायद आतंकी गतिविधियों में भी कमी आए। एक सरकारी आदेश के अनुसार सोशल मीडिया का उपयोग करके अशांति फैलाने में जिन वेबसाइट का उपयोग हो रहा है, उनका उपयोग प्रतिबंधित किया गया है। इस कारण जम्मू-कश्मीर में फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप, यू-ट्यूब, फ्लिकर, वि-चैट, टम्बलर, क्यू-झोन, गूगल प्लस, विबोर, स्नैपचेट, टेलीग्राम, प्रिंटरेस्ट, लाइन, बाइडू सहित कुल 22 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग रोका गया है।
Today
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सोनू निगम के बारे में लोग कुछ भी कहें, अजान विवाद के बाद उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। ट्विटर पर तीन दिनों में ही 25 हजार से अधिक फॉलोअर बढ़ गए। ट्विटर पर सोनू निगम की लोकप्रियता की तुलना अगर किसी से की जा सकती है, तो लता मंगेशकर से। लताजी के ट्विटर पर सोनू निगम से करीब आठ लाख ज्यादा फॉलोअर्स है। सोनू निगम आमतौर पर अपनी गतिविधियों को फॉलोअर्स के साथ शेयर करते रहते हैं। इसमें उनके निजी अनुभव, पारिवारिक चित्र, व्यावसायिक गतिविधियां और अन्य गतिविधियां शामिल है। लता मंगेशकर के अलावा आशा भोंसले, कैलाश खेर, शान आदि भी ट्विटर पर काफी सक्रिय हैं। इनमें कैलाश खेर के फॉलोअर्स सबसे कम है। फिर भी यह संख्या साढ़े पांच लाख से अधिक है। कैलाश खेर ट्विटर पर किसी को भी फॉलो नहीं करते। लताजी और आशाजी बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के अलावा अन्य गायकों के ट्विटर अकाउंट भी फॉलो करती हैं।
पता नहीं सुभाष चंद्रा रूपर्ट मर्डोक को अपना आदर्श मानते हैं या नहीं, लेकिन यह बात तय है कि उनका काम करने का तरीका रूपर्ट मर्डोक से काफी मिलता-जुलता है। दोनों ही मीडिया के महारथी है और मीडिया के माध्यम से पूरी दुनिया पर छा जाना चाहते हैं। दोनों का काम करने का तरीका ऐसा है कि वे आकाश के मार्ग से किसी भी देश में प्रवेश करते है और वहां के टेलीविजन चैनलों और दूसरे माध्यमोें पर शिकंजा कस लेते है। दोनों की जिंदगी की कई बातें समान है। सुभाष चंद्रा रूपर्ट मर्डोक की तुलना में 19 बैठते है, तो इसका कारण यह है कि वे कारोबार के मैदान में बाद में आए। हो सकता है कि मर्डोक की उम्र तक आते-आते वे उससे काफी आगे निकल जाएं।
इंदौर में कई जगह अड्डेबाज़ी होती है उसमें से एक अड्डा है प्रेस क्लब के सामने कमिश्नर ऑफिस परिसर में इंडियन कॉफ़ी हाउस के 'इराक' का. 'इराक' कहते हैं 'इंदौर राइटर्स क्लब' को. करीब दो साल से हर रविवार 11 बजे से यहाँ जमावड़ा हो जाता है लेखकों, पत्रकारों, रंगकर्मियों, चित्रकारों, बुद्धिजीवियों का. 'सदस्य' यहाँ अपनी रचनाएँ सुना सकते हैं, उपलब्धियों की बात कर सकते हैं, अखबारों के संपादकीय पर बेबाक़ी से 'अपनी पाठकीय' में संपादकों की ऐसी-तैसी कर सकते हैं, ट्रम्प से लेकर दादा दयालु तक और 'पेलवान' से लेकर 'मामा' तक के बारे में 'बेसेंसर' बेख़ौफ़ राय रख सकते हैं, बात कर सकते हैं नामवर सिंह की 'आलोचना की आलोचना' और अशोक वाजपेयी की अफसरी-कविता, धर्मवीर भारती के सैडिस्ट स्वभाव से लेकर गगन गिल की युवावस्था तक ! ढाई-तीन घंटे तक यहाँ एक से बढ़कर एक मौलिक विचारों, प्रतिक्रियाओं, समीक्षाओं, गालियों, लतीफ़ों की गंगोत्री बहती रहती है. कॉफी हाउस खाली करने के बाद भी जब पेट नहीं भरता, तब सामने के पेड़ (क्षमा करें, वह सामान्य पेड़ नहीं, महाबोधि वृक्ष है) के चबूतरे पर ज्ञान-गंगोत्री बहाई जाती है!
ब्रांडिंग, स्टोरीटेलिंग एंंड बियोंड पुस्तक को चंडीगढ़ प्रेस क्लब में एक गरीमामय कार्यक्रम में लोकार्पित किया गया। पुस्तक को लोकार्पण के अवसर पर सीए आलोक कृष्ण, डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी, मुख्य अतिथि संजय टंडन, डॉ. अमित नागपाल और स्टोरी मिरर के देवेन्द्र जायसवाल। इस पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर चंडीगढ़ के मीडिया में खासा उत्साह देखा गया। हिन्दी और अंग्रेजी मीडिया ने पुस्तक के बारे में विशेष कवरेज भी किया।
Dr. Amit Nagpal * Dr. Prakash Hindustani
Our Book takes you on a journey from building your personal brand to telling your inspiring stories of bonding your stake holders.
Personal Branding, Storytelling and Beyond is first book by Indian authors on the subject. The book is divided into three parts viz Personal Branding, Storytelling and Beyond Storytelling. The first part focuses on the basics of personal branding, the second part focuses on storytelling and the third part focuses on interesting concepts like how to appear as an interesting person in your social media profiles.
एम.एफ. हुसैन का एक पुराना इंटरव्यू :
कभी फिल्मों के पोस्टर डिजाइन करने वाले मकबूल फिदा हुसैन ‘मोहब्बत’ नामक फिल्म में माधुरी दीक्षित के साथ अभिनय करने जा रहे हैं। यह शायद उनका नया शगूफा है। चर्चा में रहना उनकी आदत है और अखबारवालों को उनके बारे में छापने में मजा आता है। इन दिनों वे माधुरी दीक्षित पर एक पूरी की पूरी चित्र शृंखला बना रहे हैं, जिसे वे हैदराबाद के हुसैन म्युजियम में रखने वाले हैं। इसका नाम रखा है उन्होंने ‘धक-धक माधुरी दीक्षित’।
जब भी आम चुनाव आते है भारत में कारोबार बढ़ जाता है। मरणासन न्यूूज चैनलों को नया जीवन मिल जाता है। छोटे-मोटे अखबार भी खासी कमाई करने लगते है। पार्टी कार्यकर्ता से लेकर छोटे-मोटे दुकानदार तक रोजगार में लग जाते है। इस कारोबार में घोषित और अघोषित दोनों तरह के लेन-देन होते है। चुनावों को पारदर्शी बनाने के लिए बहुत सारे प्रयास किए गए, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। भारत के कंपनी कानूनों के मुताबिक कोई भी कंपनी अपने तीन वर्ष के मुनाफे के औसत का साढ़े सात प्रतिशत राजनैतिक पार्टियों को दान दे सकती है।
मदर टेरेसा की अप्रत्यक्ष आलोचना करने वालों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत की बात विवादों में घिरी रही है। संसद में भी इस पर चर्चा की और अनेक राजनैतिक दलों ने मोहन भागवत की आलोचना की। शिवसेना ने जरूर भागवत के बयान का एक हद तक समर्थन किया, लेकिन मोहन भागवत पहले व्यक्ति नहीं है, जिन्होंने मदर टेरेसा के बारे में खुलकर अपने विचार रखें। मोहन भागवत ने कहीं भी मदर टेरेसा की सेवा की आलोचना नहीं की। उन्होंने यहीं कहा कि मदर टेरेसा की सेवा के पीछे धर्म परिवर्तन का उद्देश्य छुपा था। अगर हम अपने लोगों की सेवा करें तो किसी और व्यक्ति को यहां आकर सेवा करने की जरुरत ही नहीं पड़े।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की डंगाडोली की इस तस्वीर को लेकर लोग सोशल मीडिया पर लोग शिवराज सिंह के ख़िलाफ टूट पड़े हैं. इस वाइरल तस्वीर से मुख्यमंत्री की छवि को कितना धक्का लगा है, इसका अंदाज़ मुख्यमंत्री और उनके सिपहसालारों को नहीं होगा. मज़ेदार बात कि यह तस्वीर जनसंपर्क विभाग ने जारी की है, यह बताने के लिए कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कितने संवेदनशील हैं। मैं अपनी तरफ से कुछ लिखे बिना ट्विटर और फेसबुक के अपने कुछ मित्रों के कमेंट शेयर कर रहा हूँ।
--प्रकाश हिन्दुस्तानी
डॉ. दत्ता सामंत से प्रकाश हिन्दुस्तानी की बातचीत
हड़ताल के बारे में आपकी ताजा रणनीति क्या है?
पिछले तो हफ्ते से जेल भरो आंदोलन चालू है। १२ हजार टेक्सटाइल वर्वâर्स महाराष्ट्र की सब जेलों में चला गया है। ठाणे, भांडुप चेंबूर सब जगह गिरफ्तारी दियेला है। कल दादर में बहुत बड़ा मीटिंग हुआ था। आपको भी आने का था उधर। अब आगे हमारा योजना महाराष्ट्र के इंजीनियरिंग के और केमिकल के सारे कारखानों में इनडेफिनेट (अनिश्चितकालीन) बंद करने का।
गुलशन नंदा से प्रकाश हिन्दुस्तानी की बातचीत
कुछ दिनों पहले एक बयान में आपने दावा किया था कि आप प्रेमचंद से ज्यादा लोकप्रिय हैं। ऐसे दावे का आधार क्या है?
मैंने कभी कोई ऐसा दावा नहीं किया। ज्यादातर अखबार वाले मेरे बारे में पूर्वाग्रह रखते हैं। खासकर आप लोग। आप लोगों ने मेरे बयान को कुछ उलट-पुलट कर छाप दिया था। मेरे ख्याल से आजकल पत्रकारों का काम केवल निंदा करना ही रह गया है। यह अच्छी बात नहीं है।
वीकेंड पोस्ट में मेरा कॉलम (26 जुलाई 2014)
लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा ताई की दरियादिली के कारण मुझे भी इंदौर के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ लोकसभा और राज्य सभा कार्यवाही देखने का सौभाग्य मिला। जितना विलक्षण अनुभव लोकसभा की कार्यवाही रहा, उससे ज़्यादा विलक्षण रहा कार्यवाही को देखने गए इंदौरियों को देखने का। अब अपनी ताई इंदौर की हैं तो उनके स्टॉफ में भी इंदौरी हैं ही। इन इंदौरी भियाओं ने अपन लोगों की भोत मदद करी। अच्छा लगा कि दिल्ली में भी अपनेवाले लोग हेंगे।
हैफा विश्वविद्यालय (इजराइल) की तरफ से किए गए एक अध्ययन में पता चला कि 90 प्रतिशत आतंकी संगठन अपने प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते है। सोशल मीडिया एक सस्ता, त्वरित और तेजी से संदेशों का प्रचार करने वाला माध्यम है। सोशल मीडिया के माध्यम से ही आतंकी समूह अपना जाल फैलाते है। नए आतंकी भर्ती करने में भी सोशल मीडिया का हाथ बहुत ज्यादा है।
श्रीलंका यात्रा की डायरी (2)
पानी की बूंद जैसा दिखता है श्रीलंका का नक्शा। श्रीलंका है भी चारों तरफ पानी से घिरा हुआ। इसके सभी प्रमुख शहर समुद्र के किनारे पर बसे है। कोलंबो, गाल, जाफना, त्रिंकोमाली, काठीरावेली, बत्तीकालोआ, चिलाव, ओकांडा आदि समुद्र तट पर बसे है, लेकिन कैंडी श्रीलंका का ऐसा शहर है जो किसी हिल स्टेशन का एहसास दिलाता है। कैंडी के पास ही है नुवारा एलिया जो शिमला या मसूरी का एहसास देता है। जो भी सेनानी कैंडी जाता है वह नुवारा एलिया भी घूूम ही लेता है। कैंडी और नुवारा एलिया दोनों ही पर्यटकों के प्रिय स्थान है। यहां पर सैकड़ों होटल है और उन होटलों का आर्विâटेक्चर ब्रिटिश या पुर्तगाली है। औपनिवेश काल की झलक यहां देखने को मिलती है।
भूटान यात्रा की डायरी (4)
बुद्धा टॉप पर भगवान के कदमों में
भूटान में कोई भी सिनेमा घर नहीं है। दुकानों पर पोस्टरों में भूटान के राजा और रानी के पोस्टर बिकते हुए देखे जा सकते है। वहां के लोगों में राजा और रानी के प्रति खास लगाव देखने को मिला। कोई भी भूूटानी अपने राजा की बुराई नहीं सुन सकता। राजशाही के खिलाफ बोलो तो भी किसी को पसंद नहीं आता। भूटानियों का कहना है कि हमारा राजा पिता के समान है और हमारा बहुत ध्यान रखता है। राजा के साथ ही रानी भी काफी लोकप्रिय है। दोनों राजा-रानी किसी भी फिल्मी सितारे से कम नहीं रहते। रानी के बारे में खास बात यह है कि उन्होंने पढ़ाई भारत के बंगलुरु में की है। राजा जिग्मे खेशर नामग्याल वांगचुक ओक्सफोर्ड में पढ़ाई कर चुके है। 2011 में ही दोनों की शादी हुई, तब राजा 31 साल के थे और रानी 21 साल की।
भूटान यात्रा की डायरी (3)
भूटान में तम्बाकू और सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध है, लेकिन यह प्रतिबंध शराब पर नहीं है। शराब को लेकर लोगों के मन में आग्रह या दुराग्रह नहीं है। न सरकार शराब बनाने में रूचि लेती है, न बनवाने में। शराब की बिक्री में भी सरकार की विशेष रूचि कहीं नजर नहीं आती। भूटान में शराब बेचने के लिए अलग से दुकानें भी नहीं है। राशन की दुकानों पर दूसरी चीजों की तरह शराब भी बिकती है। थिम्पू में हम लोग एक कॉफी हाउस में गए और कॉफी का आर्डर दिया। हमारे पड़ोस की टेबल पर चार नौजवानों का समूह आया और उन्होंने वहां की वेट्रेस को शराब लाने के लिए कहा। कॉफी हाउस में शराब मिलना हमारे देश में संभव नहीं है। हमारे यहांं बियर बार में कॉफी भी नहीं मिलती। एक ही कॉफी हाउस में बैठकर हम लोग कॉफी पी रहे थे और दूसरे लोग शराब।
भूटान यात्रा की डायरी (2)
भारत में रहने वाले हम भारतीयों की आदत है भव्यता से प्रभावित होना। हमारी सभ्यता चाहे जो हो, हमारा दर्शन चाहे जो कहें पर हमें भव्य चीजें बहुत आकर्षित करती है। विशालता भी हमें लुभाती है। इससे ठीक उलटा भूटान में लोग ज्यादा की चाह नहीं करते। यह फिल्मी गाना शायद उन्हीं लोगों के लिए लिखा गया है- ‘थोड़ा है, थोड़े की जरूरत है’। लेस इज मोर भूटान के लोगों का दर्शन है। इसीलिए भूटान की हरियाली, सादगी, भोगहीनता, संतोष, अंधविश्वासहीनता और ईमानदारी लुभाती है। भूटान जाने वाले भारतीयों की काफी खोजबीन होती है।
भूटान यात्रा की डायरी (1)
भारत के पूर्वोत्तर में सीमा से जुड़ा हुआ भूटान दुनिया के सबसे खुशमिजाज लोगों का देश माना जाता है। ग्रास हेप्पीनेस इंडेक्स में भूटान दुनिया में पहले स्थान पर रहा है। भूटान के राजा का भी यहीं कहना है कि हम जीडीपी नहीं ग्रास हेप्पीनेस इंडेक्स को मानते हैं। ज्यादा से ज्यादा उत्पादन का लक्ष्य भी तो यहीं है कि लोग खुश रहे, लेकिन हमें यह बात पता है कि भोग विलासिता की वस्तुएं खुशी नहीं दे सकती। खुशी हमारे भीतर से आती है।
श्रीलंका यात्रा की डायरी (3)
श्रीलंका की चाय का बहुत नाम सुना था। श्रीलंका की यात्रा के दौरान वहां चाय के बागान देखने, चाय की फैक्ट्रियों में घूमने और चाय बागानों से जुड़े लोगों से बाते करने का मौका मिला। इसमें कोई शक नहीं कि श्रीलंका की चाय अच्छी किस्म की है, लेकिन चाय प्रेमी होने के नाते मैं यह बात दावे से कह सकता हूं कि भारतीय चाय का दुनिया में कहीं कोई मुकाबला नहीं। श्रीलंका की चाय के साथ एक बात और है कि वह गुणवत्ता के हिसाब से कहीं ज्यादा महंगी है। जबकि भारतीय चाय अच्छी गुणवत्ता की होने के साथ ही उचित दाम पर दुनियाभर में उपलब्ध है।
पिछले पांच महीनों में तीन देशों की यात्रा का अवसर मिला- भूटान, यूएसए और श्रीलंका। आमतौर पर पर्यटन स्थलों पर जाने का उद्देश्य प्रकृति को निहारना और वहां के जनजीवन को समझना होता है, लेकिन इन तीनों देशों की यात्राओं में सेल्फी टूरिज्म का अलग ही रूप देखने को मिला। कितनी भी सुंदर जगह पर आप हो, मौसम कितना भी अनुकूल हो और लोग कितने भी दिलचस्प हो- अधिकांश लोगों को केवल और केवल सेल्फी में व्यस्त पाया। इन सेल्फी टुरिस्टों को किसी भी ऐतिहासिक या प्राकृतिक सुंदरता वाले स्थान पर न तो प्रकृति से कोई ताल्लुक समझ में आता था और न ही उन्हें उस स्थान की ऐतिहासिक विरासत से कोई मतलब था। किसी भी जगह पहुंचे कि लगे सेल्फी खींचने।
श्रीलंका यात्रा की डायरी (1)
कोलंबो एयरपोर्ट पर उतरने के बाद ऐसा लगा नहीं कि किसी पराए देश की जमीन पर हैं। यह एहसास थोड़ी ही देर रहा। हमारे साथ ही उतरी दो महिला यात्रियों को कस्टम विभाग ने रोक लिया। वे दोनों महिलाएं तमिल भाषी थीं। हमारा वीसा और पासपोर्ट देखने के बाद हमें तो ग्रीन चैनल से जाने दिया गया, लेकिन हमारे ही एक साथी को कहा गया कि आपका वीसा नकली है। आपको फिर से आवेदन करना होगा और वीसा फीस भी देनी होगी। हमारे साथी अड़ गए और काफी हुज्जत के बाद एयरपोर्ट से बाहर आ सके। दरअसल वीसा की जांच कर रहे अधिकारी ने उनकी जन्मतिथि गलत फीड कर दी थी। जिससे उनकी यात्रा की पुष्टि नहीं हो पा रही थी। गलती सामने आने के बाद भी उस अधिकारी ने कोई खास विनम्रता नहीं दिखाई। कायदे से उसको माफी मांगनी चाहिए थी।
न्यू जर्सी के अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में ऐसे अनेक हिन्दी सेवियों से सम्पर्वâ हुआ, जिनकी मातृभाषा हिन्दी नहीं है। इनमें से कोई बेल्जियम में जन्मा, तो कोई अमेरिका में। लेकिन हिन्दी के प्रति उनका अनुराग उल्लेखनीय महसूस हुआ। इन अनूठे हिन्दी सेवियों से मिलकर वास्तव में खुशी और गर्व का अहसास हुआ, क्योंकि इनमें से कई तो ऐसे थे जो न कभी भारत आए और न ही उनका पेशा हिन्दी से जुड़ा था।
अमेरिकी डायरी के पन्ने (8)
कोई भी देश केवल वहां के बंदरगाहों, हवाईअड्डों, राज मार्गों, इमारतों, संग्राहलयों और वहां की सम्पन्नता से नहीं बनता। देश बनता है वहां के लोगों से। अमेरिका में अगर कुछ विशेष है, तो उसके पीछे वहां के नागरिक है। एक ऐसा देश जिसका इतिहास पांच सौ साल से पुराना नहीं है, जहां दुनिया की सभी जातियों-प्रजातियों के लोग बहुतायत से हैं, जहां मानव की गरिमा सर्वोच्च है और श्रम का पूरा सम्मान है। ये सब चीजें अमेरिका को विशिष्ट होने का दर्जा देती है, लेकिन इससे बढ़कर भी कुछ बातें है, जिसके कारण अमेरिका, अमेरिका कहलाता है। (यहां मेरा आशय यूएसए से है)
अमेरिकी डायरी के पन्ने (7)
नियाग्रा वाटर फाल्स को दुनिया एक खूबसूरत चमत्कार की तरह देखती है। धरती का जीवंत वालपेपर। गजब की खूबसूरती। गजब की लोकेशन। गजब की व्यवस्थाएं। नियाग्रा नदी के ये झरने यूएसए और कनाडा की सीमाओं को बांटते है। एक तरफ अमेरिका है और दूसरी तरफ कनाडा। नियाग्रा वाटर वाल्स दुनिया के सबसे ऊंचे झरने नहीं है, लेकिन फिर भी ये दुनिया के सबसे लोकप्रिय पर्यटन केन्द्र है। करीब 15 लाख पर्यटक प्रतिवर्ष यहां आते है।
अमेरिकी डायरी के पन्ने (6)
वाशिंगटन डीसी की यात्रा के दौरान डक-टूर अपने आप में दिलचस्प अनुभव रहा। करीब डेढ़ घंटे में यह टूर वाशिंगटन डीसी की आधी से ज्यादा प्रमुख जगहों की एक झलक दिखा देता है। वाशिंगटन डीसी की शानदार सड़कों से गुजरता हुआ यह वाहन एक स्थान पर जाकर वाशिंगटन डीसी के बीच से बहती हुई पोटोमेक नदी में उतर जाता है। जो वाहन सड़क पर होता है वहीं वाहन नदी की सैर भी कराता है। वास्तव में टू इन वन। 1942 में पर्ल हार्बर पर हुए ऐतिहासिक हमले के बाद ऐसे वाहनों का इजात किया गया जो सड़क पर भी चले और पानी में भी।
अमेरिकी डायरी के पन्ने (5)
मार्च के आखिरी दिनों में पूरा वाशिंगटन डीसी ही एक बगीचे की तरह हो जाता है। शहर में लगे चेरी के हजारों पेड़ों पर फूल खिल आते है और फूलों से लदे ये पेड़ एक अलग ही छवि बनाते है। मध्य अप्रैल आते-आते ये पेड़ अलग रूप धारण कर लेते है और इन पर फल आना शुरू होते है। चेरी के ये हजारों पेड़ अलग-अलग रंगों के है। गुलाबी, लाल, सफेद, बैंगनी फूलों से लदे ये पेड़ दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी तरफ खींच लेते है। इन्हीं दिनों यहां जापानी फेस्टिवल सकूरा मत्सुरी भी होता है। कई प्रमुख सड़कें बंद कर दी जाती है और उन सड़कों पर जापान के हजारों लोग जमा हो जाते है।
अमेरिकी डायरी के पन्ने (4)
सेन फ्रांसिस्को की मशहूर रशियन हिल के इलाके की वह चमकीली दोपहर यादगार रही। जब हमारे मेजबान रमेश भाम्ब्रा जी ने कहा कि आप गाड़ी से उतर जाइए। मुझे लगा कि वे कहीं गाड़ी पार्क करने जा रहे है। फिर उन्होंने कहा कि आप सीढ़ियों से आ जाइए। बात मेरी समझ में नहीं आई, लेकिन मैं सीढ़ियों की ओर बढ़ा।
अमेरिकी डायरी के पन्ने (3)
तीन सप्ताह की अमेरिका यात्रा के अंत में उत्तरी वैâलिफोर्निया की नापा वेली में जाने का मौका मिला। यहां प्रकृति की अद्भुत सुंदरता के साथ ही शानदार मौसम का भी तोहफा मिला हुआ है। पूरी घाटी पहाड़ों से घिरी है और वहां करीब 450 वाइनरी़ज के साथ ही सैकड़ों होटल और रेस्टोरेंट खुल गए है। मुझे बताया गया कि यहां की मिट्टी और जलवायु ऐसी है कि यहां अंगूर की तरह-तरह की किस्मों की खेती करना संभव है। इस अंगूर से शराब बनाई जाती है। अंगूर भी तरह-तरह के। सफेद, हरे, लाल, कत्थई, भूरे और वे भी अलग-अलग आकार प्रकार के। इसके अलावा यहां गर्म हवा के गुब्बारों की सैर , गोल्फ कोर्स और वाइन ट्रेन और वाइन ट्रॉली आकर्षण का केन्द्र बनी है।
अमेरिकी डायरी के पन्ने (2)
इंदौर का देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ५० साल पुराना है। वाराणसी का बनारस हिन्दू विद्यालय १०० साल पुराना है और कोलकाता विश्वविद्यालय १९८ साल। कोलकाता विश्वविद्यालय भारत का सबसे पुरातन विश्वविद्यालय है, लेकिन अमेरिका के न्यू जर्सी क्षेत्र में न्यू ब्रुंसविक का रटगर्स विश्वविद्यालय २५० साल पुराना है। जब अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में भाग लेने के लिए रटगर्स विश्वविद्यालय जाने का मौका मिला, तो वह अपने आप में बेहद सुखद अनुभव रहा।
अमेरिकी डायरी के पन्ने (1)
न्यू यॉर्क के लिबर्टी स्ट्रीट पर 33 नंबर की बिल्डिंग है फेडरल रिजर्व बैंक। मोटे-मोटे शब्दों में कहा जाए तो इस बैंक का काम वहीं है जो भारतीय रिजर्व बैंक का है, लेकिन इस बैंक में अमेरिकी सरकार की हिस्सेदारी नहीं है और न ही इसकी संपत्तियां अमेरिकी सरकार की हैं। जैसे भारतीय रिजर्व बैंक बैंकों का बैंक है वैसे ही फेडरल बैंक अमेरिका के बैंकों का बैंक है। अमेरिका यात्रा के दौरान इस बैंक का एक शैक्षणिक टूर बड़ा दिलचस्प और यादगार रहा।
आज जिस भाषा को हम हिन्दी कहते है। वह आर्य भाषा का प्राचीनतम रूप है। आर्यों की प्राचीनतम भाषा वैदिक संस्कृत रही है, जो साहित्य की भाषा थी। वेद, संहिता और उपनिषदों व वेदांत का सृजन वैदिक भाषा में हुआ था। इसे संस्कृत भी कहा जाता है। अनुमान है कि ईसा पूर्व आठवीं सदी में संस्कृत का प्रयोग होता था। संस्कृत में ही रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथ रचे गए। संस्कृत का साहित्य विश्व का सबसे समृद्ध साहित्य माना जाता है, जिसमें वाल्मीकि, व्यास, कालीदास, माघ, भवभूती, विशाख, मम्मट, दण्डी, अश्वघोष और श्री हर्ष जैसी महान विभूतियों ने योगदान दिया।
न्यूजर्सी। तीन दिन के अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन का आगाज़ हिन्दी को लोकप्रिय, व्यावहारिक और प्रभावी बनाने की चर्चा के साथ शुरू हुआ था और समापन न्यूजर्सी इलाके में लगभग 4 मिलियन डॉलर के एक हिन्दी केन्द्र की स्थापना के प्रस्ताव और संकल्प के साथ। इन तीन दिनों में हिन्दी के लगभग हर पहलू पर चर्चा हुई। हिन्दी के साथ ही उर्दू की स्वीकार्यता पर भी मंथन हुआ। भारत के न्यूयॉर्क स्थित काउंसल जनरल ज्ञानेश्वर मुले उद्घाटन और समापन सत्र में मौजूद रहे। (ये वही ज्ञानेश्वर मुले हैं जिन्होंने यूएन में भारतीय प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के पहले हिन्दी भाषण का लेखन किया था)
अब कोई ईमान की कसम नहीं खाता।
एक ज़माना था, जब लोग ईमानदारी कसम खाते थे।
--''सच कह रहा है क्या?''
--''हाँ, ईमान से'' या फिर ''हाँ, ईमान की कसम।''
लोगों को लगता था कि उनके पास ईमान है तो सब कुछ है. जिसका ईमान गया वह 'बे-ईमान' माना जाता था। बे-ईमान होना यानी घृणास्पद होना।
..." अखबार खरीदा जाता है खबरों के लिए, विचारों के लिए। कैसे मज़ा आता है तुम्हें? और मज़े के लिए पेपर क्यों खरीदते हो यार? अखबार कोई मज़े के लिए खरीदता है क्या ? मज़े के लिए तो शराब पीते हैं, बैंकाक जाते हैं, कैबरे देखते हैं, औरतों के पास जाते हैं और तुम साले गधे, मज़े के लिए अखबार खरीदते हो? एक रुपये का अखबार जो तुम्हारे घर रोज सुबह बिना नागा किये तुम्हारे घर पहुँच जाता है, जिसे पढ़ा जाता है, फिर अनेक उपयोग के बाद रद्दी में भी बेच दिया जाता है , उससे तुम मज़े कैसे ले सकते हो?