सोनू निगम ट्विटर पर काफी लोकप्रिय हैं। वे नियमित रूप से ट्विटर पर अपने पोस्ट शेयर करते आ रहे थे, लेकिन अब उन्होंने ट्विटर को बाय-बाय बोल दिया है। इसी के साथ ट्विटर ने अपनी ओर से पहल करते हुए गायक अभिजीत का अकाउंट भी कुछ समय के लिए ब्लॉक कर दिया है। सोनू निगम जहां अपने ट्वीट में अपने निजी क्षणों के अलावा हल्के-फुल्के संदेश लिखते रहे हैं, वहीं अभिजीत के ट्वीट तीखे और जज्बाती होते हैं।
न्यूज चैनल रिपब्लिक इन दिनों धूम मचा रहा है। हर रोज नए-नए खुलासे! कभी लालू यादव निशाने पर, कभी केजरीवाल और कभी शशि थरूर। शुरू होने के पहले ही हफ्ते में रिपब्लिक की धूम मची हुई है और कहा जाने लगा है कि रिपब्लिक चैनल का डिस्ट्रीब्यूशन अगर सही रहा, तो अंग्रेजी चैनलों में यह चैनल नंबर वन हो जाएगा। यह भी कहा जाने लगा है कि रिपब्लिक अंग्रेजी का जी न्यूज बन गया है, मतलब जिस तरह जी न्यूज बीजेपी और नरेन्द्र मोदी के खिलाफ खुलासे नहीं करता, उसी तरह रिपब्लिक भी केवल विरोधी दलों की पोल खोलता है।
जम्मू और कश्मीर में आतंकियों के मददगार और पत्थर फेंकने वाले सोशल मीडिया का उपयोग करके उन्माद फैला रहे है। सरकार ने एक महीने के लिए जम्मू-कश्मीर में सोशल मीडिया पर रोक लगा दी है। इससे सुरक्षा बलों के खिलाफ संदेशोें का आदान-प्रदान कठिन हो जाएगा और शायद आतंकी गतिविधियों में भी कमी आए। एक सरकारी आदेश के अनुसार सोशल मीडिया का उपयोग करके अशांति फैलाने में जिन वेबसाइट का उपयोग हो रहा है, उनका उपयोग प्रतिबंधित किया गया है। इस कारण जम्मू-कश्मीर में फेसबुक, ट्विटर, वाट्सएप, यू-ट्यूब, फ्लिकर, वि-चैट, टम्बलर, क्यू-झोन, गूगल प्लस, विबोर, स्नैपचेट, टेलीग्राम, प्रिंटरेस्ट, लाइन, बाइडू सहित कुल 22 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग रोका गया है।
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सोनू निगम के बारे में लोग कुछ भी कहें, अजान विवाद के बाद उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। ट्विटर पर तीन दिनों में ही 25 हजार से अधिक फॉलोअर बढ़ गए। ट्विटर पर सोनू निगम की लोकप्रियता की तुलना अगर किसी से की जा सकती है, तो लता मंगेशकर से। लताजी के ट्विटर पर सोनू निगम से करीब आठ लाख ज्यादा फॉलोअर्स है। सोनू निगम आमतौर पर अपनी गतिविधियों को फॉलोअर्स के साथ शेयर करते रहते हैं। इसमें उनके निजी अनुभव, पारिवारिक चित्र, व्यावसायिक गतिविधियां और अन्य गतिविधियां शामिल है। लता मंगेशकर के अलावा आशा भोंसले, कैलाश खेर, शान आदि भी ट्विटर पर काफी सक्रिय हैं। इनमें कैलाश खेर के फॉलोअर्स सबसे कम है। फिर भी यह संख्या साढ़े पांच लाख से अधिक है। कैलाश खेर ट्विटर पर किसी को भी फॉलो नहीं करते। लताजी और आशाजी बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के अलावा अन्य गायकों के ट्विटर अकाउंट भी फॉलो करती हैं।
पता नहीं सुभाष चंद्रा रूपर्ट मर्डोक को अपना आदर्श मानते हैं या नहीं, लेकिन यह बात तय है कि उनका काम करने का तरीका रूपर्ट मर्डोक से काफी मिलता-जुलता है। दोनों ही मीडिया के महारथी है और मीडिया के माध्यम से पूरी दुनिया पर छा जाना चाहते हैं। दोनों का काम करने का तरीका ऐसा है कि वे आकाश के मार्ग से किसी भी देश में प्रवेश करते है और वहां के टेलीविजन चैनलों और दूसरे माध्यमोें पर शिकंजा कस लेते है। दोनों की जिंदगी की कई बातें समान है। सुभाष चंद्रा रूपर्ट मर्डोक की तुलना में 19 बैठते है, तो इसका कारण यह है कि वे कारोबार के मैदान में बाद में आए। हो सकता है कि मर्डोक की उम्र तक आते-आते वे उससे काफी आगे निकल जाएं।
इंदौर में कई जगह अड्डेबाज़ी होती है उसमें से एक अड्डा है प्रेस क्लब के सामने कमिश्नर ऑफिस परिसर में इंडियन कॉफ़ी हाउस के 'इराक' का. 'इराक' कहते हैं 'इंदौर राइटर्स क्लब' को. करीब दो साल से हर रविवार 11 बजे से यहाँ जमावड़ा हो जाता है लेखकों, पत्रकारों, रंगकर्मियों, चित्रकारों, बुद्धिजीवियों का. 'सदस्य' यहाँ अपनी रचनाएँ सुना सकते हैं, उपलब्धियों की बात कर सकते हैं, अखबारों के संपादकीय पर बेबाक़ी से 'अपनी पाठकीय' में संपादकों की ऐसी-तैसी कर सकते हैं, ट्रम्प से लेकर दादा दयालु तक और 'पेलवान' से लेकर 'मामा' तक के बारे में 'बेसेंसर' बेख़ौफ़ राय रख सकते हैं, बात कर सकते हैं नामवर सिंह की 'आलोचना की आलोचना' और अशोक वाजपेयी की अफसरी-कविता, धर्मवीर भारती के सैडिस्ट स्वभाव से लेकर गगन गिल की युवावस्था तक ! ढाई-तीन घंटे तक यहाँ एक से बढ़कर एक मौलिक विचारों, प्रतिक्रियाओं, समीक्षाओं, गालियों, लतीफ़ों की गंगोत्री बहती रहती है. कॉफी हाउस खाली करने के बाद भी जब पेट नहीं भरता, तब सामने के पेड़ (क्षमा करें, वह सामान्य पेड़ नहीं, महाबोधि वृक्ष है) के चबूतरे पर ज्ञान-गंगोत्री बहाई जाती है!
ब्रांडिंग, स्टोरीटेलिंग एंंड बियोंड पुस्तक को चंडीगढ़ प्रेस क्लब में एक गरीमामय कार्यक्रम में लोकार्पित किया गया। पुस्तक को लोकार्पण के अवसर पर सीए आलोक कृष्ण, डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी, मुख्य अतिथि संजय टंडन, डॉ. अमित नागपाल और स्टोरी मिरर के देवेन्द्र जायसवाल। इस पुस्तक के लोकार्पण के अवसर पर चंडीगढ़ के मीडिया में खासा उत्साह देखा गया। हिन्दी और अंग्रेजी मीडिया ने पुस्तक के बारे में विशेष कवरेज भी किया।
Dr. Amit Nagpal * Dr. Prakash Hindustani
Our Book takes you on a journey from building your personal brand to telling your inspiring stories of bonding your stake holders.
Personal Branding, Storytelling and Beyond is first book by Indian authors on the subject. The book is divided into three parts viz Personal Branding, Storytelling and Beyond Storytelling. The first part focuses on the basics of personal branding, the second part focuses on storytelling and the third part focuses on interesting concepts like how to appear as an interesting person in your social media profiles.
एम.एफ. हुसैन का एक पुराना इंटरव्यू :
कभी फिल्मों के पोस्टर डिजाइन करने वाले मकबूल फिदा हुसैन ‘मोहब्बत’ नामक फिल्म में माधुरी दीक्षित के साथ अभिनय करने जा रहे हैं। यह शायद उनका नया शगूफा है। चर्चा में रहना उनकी आदत है और अखबारवालों को उनके बारे में छापने में मजा आता है। इन दिनों वे माधुरी दीक्षित पर एक पूरी की पूरी चित्र शृंखला बना रहे हैं, जिसे वे हैदराबाद के हुसैन म्युजियम में रखने वाले हैं। इसका नाम रखा है उन्होंने ‘धक-धक माधुरी दीक्षित’।
जब भी आम चुनाव आते है भारत में कारोबार बढ़ जाता है। मरणासन न्यूूज चैनलों को नया जीवन मिल जाता है। छोटे-मोटे अखबार भी खासी कमाई करने लगते है। पार्टी कार्यकर्ता से लेकर छोटे-मोटे दुकानदार तक रोजगार में लग जाते है। इस कारोबार में घोषित और अघोषित दोनों तरह के लेन-देन होते है। चुनावों को पारदर्शी बनाने के लिए बहुत सारे प्रयास किए गए, लेकिन अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। भारत के कंपनी कानूनों के मुताबिक कोई भी कंपनी अपने तीन वर्ष के मुनाफे के औसत का साढ़े सात प्रतिशत राजनैतिक पार्टियों को दान दे सकती है।
मदर टेरेसा की अप्रत्यक्ष आलोचना करने वालों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉ. मोहन भागवत की बात विवादों में घिरी रही है। संसद में भी इस पर चर्चा की और अनेक राजनैतिक दलों ने मोहन भागवत की आलोचना की। शिवसेना ने जरूर भागवत के बयान का एक हद तक समर्थन किया, लेकिन मोहन भागवत पहले व्यक्ति नहीं है, जिन्होंने मदर टेरेसा के बारे में खुलकर अपने विचार रखें। मोहन भागवत ने कहीं भी मदर टेरेसा की सेवा की आलोचना नहीं की। उन्होंने यहीं कहा कि मदर टेरेसा की सेवा के पीछे धर्म परिवर्तन का उद्देश्य छुपा था। अगर हम अपने लोगों की सेवा करें तो किसी और व्यक्ति को यहां आकर सेवा करने की जरुरत ही नहीं पड़े।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की डंगाडोली की इस तस्वीर को लेकर लोग सोशल मीडिया पर लोग शिवराज सिंह के ख़िलाफ टूट पड़े हैं. इस वाइरल तस्वीर से मुख्यमंत्री की छवि को कितना धक्का लगा है, इसका अंदाज़ मुख्यमंत्री और उनके सिपहसालारों को नहीं होगा. मज़ेदार बात कि यह तस्वीर जनसंपर्क विभाग ने जारी की है, यह बताने के लिए कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कितने संवेदनशील हैं। मैं अपनी तरफ से कुछ लिखे बिना ट्विटर और फेसबुक के अपने कुछ मित्रों के कमेंट शेयर कर रहा हूँ।
--प्रकाश हिन्दुस्तानी
डॉ. दत्ता सामंत से प्रकाश हिन्दुस्तानी की बातचीत
हड़ताल के बारे में आपकी ताजा रणनीति क्या है?
पिछले तो हफ्ते से जेल भरो आंदोलन चालू है। १२ हजार टेक्सटाइल वर्वâर्स महाराष्ट्र की सब जेलों में चला गया है। ठाणे, भांडुप चेंबूर सब जगह गिरफ्तारी दियेला है। कल दादर में बहुत बड़ा मीटिंग हुआ था। आपको भी आने का था उधर। अब आगे हमारा योजना महाराष्ट्र के इंजीनियरिंग के और केमिकल के सारे कारखानों में इनडेफिनेट (अनिश्चितकालीन) बंद करने का।
गुलशन नंदा से प्रकाश हिन्दुस्तानी की बातचीत
कुछ दिनों पहले एक बयान में आपने दावा किया था कि आप प्रेमचंद से ज्यादा लोकप्रिय हैं। ऐसे दावे का आधार क्या है?
मैंने कभी कोई ऐसा दावा नहीं किया। ज्यादातर अखबार वाले मेरे बारे में पूर्वाग्रह रखते हैं। खासकर आप लोग। आप लोगों ने मेरे बयान को कुछ उलट-पुलट कर छाप दिया था। मेरे ख्याल से आजकल पत्रकारों का काम केवल निंदा करना ही रह गया है। यह अच्छी बात नहीं है।
वीकेंड पोस्ट में मेरा कॉलम (26 जुलाई 2014)
लोकसभा की स्पीकर सुमित्रा ताई की दरियादिली के कारण मुझे भी इंदौर के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ लोकसभा और राज्य सभा कार्यवाही देखने का सौभाग्य मिला। जितना विलक्षण अनुभव लोकसभा की कार्यवाही रहा, उससे ज़्यादा विलक्षण रहा कार्यवाही को देखने गए इंदौरियों को देखने का। अब अपनी ताई इंदौर की हैं तो उनके स्टॉफ में भी इंदौरी हैं ही। इन इंदौरी भियाओं ने अपन लोगों की भोत मदद करी। अच्छा लगा कि दिल्ली में भी अपनेवाले लोग हेंगे।
हैफा विश्वविद्यालय (इजराइल) की तरफ से किए गए एक अध्ययन में पता चला कि 90 प्रतिशत आतंकी संगठन अपने प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते है। सोशल मीडिया एक सस्ता, त्वरित और तेजी से संदेशों का प्रचार करने वाला माध्यम है। सोशल मीडिया के माध्यम से ही आतंकी समूह अपना जाल फैलाते है। नए आतंकी भर्ती करने में भी सोशल मीडिया का हाथ बहुत ज्यादा है।
श्रीलंका यात्रा की डायरी (2)
पानी की बूंद जैसा दिखता है श्रीलंका का नक्शा। श्रीलंका है भी चारों तरफ पानी से घिरा हुआ। इसके सभी प्रमुख शहर समुद्र के किनारे पर बसे है। कोलंबो, गाल, जाफना, त्रिंकोमाली, काठीरावेली, बत्तीकालोआ, चिलाव, ओकांडा आदि समुद्र तट पर बसे है, लेकिन कैंडी श्रीलंका का ऐसा शहर है जो किसी हिल स्टेशन का एहसास दिलाता है। कैंडी के पास ही है नुवारा एलिया जो शिमला या मसूरी का एहसास देता है। जो भी सेनानी कैंडी जाता है वह नुवारा एलिया भी घूूम ही लेता है। कैंडी और नुवारा एलिया दोनों ही पर्यटकों के प्रिय स्थान है। यहां पर सैकड़ों होटल है और उन होटलों का आर्विâटेक्चर ब्रिटिश या पुर्तगाली है। औपनिवेश काल की झलक यहां देखने को मिलती है।
भूटान यात्रा की डायरी (4)
बुद्धा टॉप पर भगवान के कदमों में
भूटान में कोई भी सिनेमा घर नहीं है। दुकानों पर पोस्टरों में भूटान के राजा और रानी के पोस्टर बिकते हुए देखे जा सकते है। वहां के लोगों में राजा और रानी के प्रति खास लगाव देखने को मिला। कोई भी भूूटानी अपने राजा की बुराई नहीं सुन सकता। राजशाही के खिलाफ बोलो तो भी किसी को पसंद नहीं आता। भूटानियों का कहना है कि हमारा राजा पिता के समान है और हमारा बहुत ध्यान रखता है। राजा के साथ ही रानी भी काफी लोकप्रिय है। दोनों राजा-रानी किसी भी फिल्मी सितारे से कम नहीं रहते। रानी के बारे में खास बात यह है कि उन्होंने पढ़ाई भारत के बंगलुरु में की है। राजा जिग्मे खेशर नामग्याल वांगचुक ओक्सफोर्ड में पढ़ाई कर चुके है। 2011 में ही दोनों की शादी हुई, तब राजा 31 साल के थे और रानी 21 साल की।
भूटान यात्रा की डायरी (3)
भूटान में तम्बाकू और सिगरेट पर पूर्ण प्रतिबंध है, लेकिन यह प्रतिबंध शराब पर नहीं है। शराब को लेकर लोगों के मन में आग्रह या दुराग्रह नहीं है। न सरकार शराब बनाने में रूचि लेती है, न बनवाने में। शराब की बिक्री में भी सरकार की विशेष रूचि कहीं नजर नहीं आती। भूटान में शराब बेचने के लिए अलग से दुकानें भी नहीं है। राशन की दुकानों पर दूसरी चीजों की तरह शराब भी बिकती है। थिम्पू में हम लोग एक कॉफी हाउस में गए और कॉफी का आर्डर दिया। हमारे पड़ोस की टेबल पर चार नौजवानों का समूह आया और उन्होंने वहां की वेट्रेस को शराब लाने के लिए कहा। कॉफी हाउस में शराब मिलना हमारे देश में संभव नहीं है। हमारे यहांं बियर बार में कॉफी भी नहीं मिलती। एक ही कॉफी हाउस में बैठकर हम लोग कॉफी पी रहे थे और दूसरे लोग शराब।
भूटान यात्रा की डायरी (2)
भारत में रहने वाले हम भारतीयों की आदत है भव्यता से प्रभावित होना। हमारी सभ्यता चाहे जो हो, हमारा दर्शन चाहे जो कहें पर हमें भव्य चीजें बहुत आकर्षित करती है। विशालता भी हमें लुभाती है। इससे ठीक उलटा भूटान में लोग ज्यादा की चाह नहीं करते। यह फिल्मी गाना शायद उन्हीं लोगों के लिए लिखा गया है- ‘थोड़ा है, थोड़े की जरूरत है’। लेस इज मोर भूटान के लोगों का दर्शन है। इसीलिए भूटान की हरियाली, सादगी, भोगहीनता, संतोष, अंधविश्वासहीनता और ईमानदारी लुभाती है। भूटान जाने वाले भारतीयों की काफी खोजबीन होती है।
भूटान यात्रा की डायरी (1)
भारत के पूर्वोत्तर में सीमा से जुड़ा हुआ भूटान दुनिया के सबसे खुशमिजाज लोगों का देश माना जाता है। ग्रास हेप्पीनेस इंडेक्स में भूटान दुनिया में पहले स्थान पर रहा है। भूटान के राजा का भी यहीं कहना है कि हम जीडीपी नहीं ग्रास हेप्पीनेस इंडेक्स को मानते हैं। ज्यादा से ज्यादा उत्पादन का लक्ष्य भी तो यहीं है कि लोग खुश रहे, लेकिन हमें यह बात पता है कि भोग विलासिता की वस्तुएं खुशी नहीं दे सकती। खुशी हमारे भीतर से आती है।
श्रीलंका यात्रा की डायरी (3)
श्रीलंका की चाय का बहुत नाम सुना था। श्रीलंका की यात्रा के दौरान वहां चाय के बागान देखने, चाय की फैक्ट्रियों में घूमने और चाय बागानों से जुड़े लोगों से बाते करने का मौका मिला। इसमें कोई शक नहीं कि श्रीलंका की चाय अच्छी किस्म की है, लेकिन चाय प्रेमी होने के नाते मैं यह बात दावे से कह सकता हूं कि भारतीय चाय का दुनिया में कहीं कोई मुकाबला नहीं। श्रीलंका की चाय के साथ एक बात और है कि वह गुणवत्ता के हिसाब से कहीं ज्यादा महंगी है। जबकि भारतीय चाय अच्छी गुणवत्ता की होने के साथ ही उचित दाम पर दुनियाभर में उपलब्ध है।
पिछले पांच महीनों में तीन देशों की यात्रा का अवसर मिला- भूटान, यूएसए और श्रीलंका। आमतौर पर पर्यटन स्थलों पर जाने का उद्देश्य प्रकृति को निहारना और वहां के जनजीवन को समझना होता है, लेकिन इन तीनों देशों की यात्राओं में सेल्फी टूरिज्म का अलग ही रूप देखने को मिला। कितनी भी सुंदर जगह पर आप हो, मौसम कितना भी अनुकूल हो और लोग कितने भी दिलचस्प हो- अधिकांश लोगों को केवल और केवल सेल्फी में व्यस्त पाया। इन सेल्फी टुरिस्टों को किसी भी ऐतिहासिक या प्राकृतिक सुंदरता वाले स्थान पर न तो प्रकृति से कोई ताल्लुक समझ में आता था और न ही उन्हें उस स्थान की ऐतिहासिक विरासत से कोई मतलब था। किसी भी जगह पहुंचे कि लगे सेल्फी खींचने।
श्रीलंका यात्रा की डायरी (1)
कोलंबो एयरपोर्ट पर उतरने के बाद ऐसा लगा नहीं कि किसी पराए देश की जमीन पर हैं। यह एहसास थोड़ी ही देर रहा। हमारे साथ ही उतरी दो महिला यात्रियों को कस्टम विभाग ने रोक लिया। वे दोनों महिलाएं तमिल भाषी थीं। हमारा वीसा और पासपोर्ट देखने के बाद हमें तो ग्रीन चैनल से जाने दिया गया, लेकिन हमारे ही एक साथी को कहा गया कि आपका वीसा नकली है। आपको फिर से आवेदन करना होगा और वीसा फीस भी देनी होगी। हमारे साथी अड़ गए और काफी हुज्जत के बाद एयरपोर्ट से बाहर आ सके। दरअसल वीसा की जांच कर रहे अधिकारी ने उनकी जन्मतिथि गलत फीड कर दी थी। जिससे उनकी यात्रा की पुष्टि नहीं हो पा रही थी। गलती सामने आने के बाद भी उस अधिकारी ने कोई खास विनम्रता नहीं दिखाई। कायदे से उसको माफी मांगनी चाहिए थी।
न्यू जर्सी के अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में ऐसे अनेक हिन्दी सेवियों से सम्पर्वâ हुआ, जिनकी मातृभाषा हिन्दी नहीं है। इनमें से कोई बेल्जियम में जन्मा, तो कोई अमेरिका में। लेकिन हिन्दी के प्रति उनका अनुराग उल्लेखनीय महसूस हुआ। इन अनूठे हिन्दी सेवियों से मिलकर वास्तव में खुशी और गर्व का अहसास हुआ, क्योंकि इनमें से कई तो ऐसे थे जो न कभी भारत आए और न ही उनका पेशा हिन्दी से जुड़ा था।
अमेरिकी डायरी के पन्ने (8)
कोई भी देश केवल वहां के बंदरगाहों, हवाईअड्डों, राज मार्गों, इमारतों, संग्राहलयों और वहां की सम्पन्नता से नहीं बनता। देश बनता है वहां के लोगों से। अमेरिका में अगर कुछ विशेष है, तो उसके पीछे वहां के नागरिक है। एक ऐसा देश जिसका इतिहास पांच सौ साल से पुराना नहीं है, जहां दुनिया की सभी जातियों-प्रजातियों के लोग बहुतायत से हैं, जहां मानव की गरिमा सर्वोच्च है और श्रम का पूरा सम्मान है। ये सब चीजें अमेरिका को विशिष्ट होने का दर्जा देती है, लेकिन इससे बढ़कर भी कुछ बातें है, जिसके कारण अमेरिका, अमेरिका कहलाता है। (यहां मेरा आशय यूएसए से है)
अमेरिकी डायरी के पन्ने (7)
नियाग्रा वाटर फाल्स को दुनिया एक खूबसूरत चमत्कार की तरह देखती है। धरती का जीवंत वालपेपर। गजब की खूबसूरती। गजब की लोकेशन। गजब की व्यवस्थाएं। नियाग्रा नदी के ये झरने यूएसए और कनाडा की सीमाओं को बांटते है। एक तरफ अमेरिका है और दूसरी तरफ कनाडा। नियाग्रा वाटर वाल्स दुनिया के सबसे ऊंचे झरने नहीं है, लेकिन फिर भी ये दुनिया के सबसे लोकप्रिय पर्यटन केन्द्र है। करीब 15 लाख पर्यटक प्रतिवर्ष यहां आते है।
अमेरिकी डायरी के पन्ने (6)
वाशिंगटन डीसी की यात्रा के दौरान डक-टूर अपने आप में दिलचस्प अनुभव रहा। करीब डेढ़ घंटे में यह टूर वाशिंगटन डीसी की आधी से ज्यादा प्रमुख जगहों की एक झलक दिखा देता है। वाशिंगटन डीसी की शानदार सड़कों से गुजरता हुआ यह वाहन एक स्थान पर जाकर वाशिंगटन डीसी के बीच से बहती हुई पोटोमेक नदी में उतर जाता है। जो वाहन सड़क पर होता है वहीं वाहन नदी की सैर भी कराता है। वास्तव में टू इन वन। 1942 में पर्ल हार्बर पर हुए ऐतिहासिक हमले के बाद ऐसे वाहनों का इजात किया गया जो सड़क पर भी चले और पानी में भी।
अमेरिकी डायरी के पन्ने (5)
मार्च के आखिरी दिनों में पूरा वाशिंगटन डीसी ही एक बगीचे की तरह हो जाता है। शहर में लगे चेरी के हजारों पेड़ों पर फूल खिल आते है और फूलों से लदे ये पेड़ एक अलग ही छवि बनाते है। मध्य अप्रैल आते-आते ये पेड़ अलग रूप धारण कर लेते है और इन पर फल आना शुरू होते है। चेरी के ये हजारों पेड़ अलग-अलग रंगों के है। गुलाबी, लाल, सफेद, बैंगनी फूलों से लदे ये पेड़ दुनियाभर के पर्यटकों को अपनी तरफ खींच लेते है। इन्हीं दिनों यहां जापानी फेस्टिवल सकूरा मत्सुरी भी होता है। कई प्रमुख सड़कें बंद कर दी जाती है और उन सड़कों पर जापान के हजारों लोग जमा हो जाते है।
अमेरिकी डायरी के पन्ने (4)
सेन फ्रांसिस्को की मशहूर रशियन हिल के इलाके की वह चमकीली दोपहर यादगार रही। जब हमारे मेजबान रमेश भाम्ब्रा जी ने कहा कि आप गाड़ी से उतर जाइए। मुझे लगा कि वे कहीं गाड़ी पार्क करने जा रहे है। फिर उन्होंने कहा कि आप सीढ़ियों से आ जाइए। बात मेरी समझ में नहीं आई, लेकिन मैं सीढ़ियों की ओर बढ़ा।
अमेरिकी डायरी के पन्ने (3)
तीन सप्ताह की अमेरिका यात्रा के अंत में उत्तरी वैâलिफोर्निया की नापा वेली में जाने का मौका मिला। यहां प्रकृति की अद्भुत सुंदरता के साथ ही शानदार मौसम का भी तोहफा मिला हुआ है। पूरी घाटी पहाड़ों से घिरी है और वहां करीब 450 वाइनरी़ज के साथ ही सैकड़ों होटल और रेस्टोरेंट खुल गए है। मुझे बताया गया कि यहां की मिट्टी और जलवायु ऐसी है कि यहां अंगूर की तरह-तरह की किस्मों की खेती करना संभव है। इस अंगूर से शराब बनाई जाती है। अंगूर भी तरह-तरह के। सफेद, हरे, लाल, कत्थई, भूरे और वे भी अलग-अलग आकार प्रकार के। इसके अलावा यहां गर्म हवा के गुब्बारों की सैर , गोल्फ कोर्स और वाइन ट्रेन और वाइन ट्रॉली आकर्षण का केन्द्र बनी है।
अमेरिकी डायरी के पन्ने (2)
इंदौर का देवी अहिल्या विश्वविद्यालय ५० साल पुराना है। वाराणसी का बनारस हिन्दू विद्यालय १०० साल पुराना है और कोलकाता विश्वविद्यालय १९८ साल। कोलकाता विश्वविद्यालय भारत का सबसे पुरातन विश्वविद्यालय है, लेकिन अमेरिका के न्यू जर्सी क्षेत्र में न्यू ब्रुंसविक का रटगर्स विश्वविद्यालय २५० साल पुराना है। जब अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन में भाग लेने के लिए रटगर्स विश्वविद्यालय जाने का मौका मिला, तो वह अपने आप में बेहद सुखद अनुभव रहा।
अमेरिकी डायरी के पन्ने (1)
न्यू यॉर्क के लिबर्टी स्ट्रीट पर 33 नंबर की बिल्डिंग है फेडरल रिजर्व बैंक। मोटे-मोटे शब्दों में कहा जाए तो इस बैंक का काम वहीं है जो भारतीय रिजर्व बैंक का है, लेकिन इस बैंक में अमेरिकी सरकार की हिस्सेदारी नहीं है और न ही इसकी संपत्तियां अमेरिकी सरकार की हैं। जैसे भारतीय रिजर्व बैंक बैंकों का बैंक है वैसे ही फेडरल बैंक अमेरिका के बैंकों का बैंक है। अमेरिका यात्रा के दौरान इस बैंक का एक शैक्षणिक टूर बड़ा दिलचस्प और यादगार रहा।
आज जिस भाषा को हम हिन्दी कहते है। वह आर्य भाषा का प्राचीनतम रूप है। आर्यों की प्राचीनतम भाषा वैदिक संस्कृत रही है, जो साहित्य की भाषा थी। वेद, संहिता और उपनिषदों व वेदांत का सृजन वैदिक भाषा में हुआ था। इसे संस्कृत भी कहा जाता है। अनुमान है कि ईसा पूर्व आठवीं सदी में संस्कृत का प्रयोग होता था। संस्कृत में ही रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथ रचे गए। संस्कृत का साहित्य विश्व का सबसे समृद्ध साहित्य माना जाता है, जिसमें वाल्मीकि, व्यास, कालीदास, माघ, भवभूती, विशाख, मम्मट, दण्डी, अश्वघोष और श्री हर्ष जैसी महान विभूतियों ने योगदान दिया।
न्यूजर्सी। तीन दिन के अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन का आगाज़ हिन्दी को लोकप्रिय, व्यावहारिक और प्रभावी बनाने की चर्चा के साथ शुरू हुआ था और समापन न्यूजर्सी इलाके में लगभग 4 मिलियन डॉलर के एक हिन्दी केन्द्र की स्थापना के प्रस्ताव और संकल्प के साथ। इन तीन दिनों में हिन्दी के लगभग हर पहलू पर चर्चा हुई। हिन्दी के साथ ही उर्दू की स्वीकार्यता पर भी मंथन हुआ। भारत के न्यूयॉर्क स्थित काउंसल जनरल ज्ञानेश्वर मुले उद्घाटन और समापन सत्र में मौजूद रहे। (ये वही ज्ञानेश्वर मुले हैं जिन्होंने यूएन में भारतीय प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के पहले हिन्दी भाषण का लेखन किया था)
अब कोई ईमान की कसम नहीं खाता।
एक ज़माना था, जब लोग ईमानदारी कसम खाते थे।
--''सच कह रहा है क्या?''
--''हाँ, ईमान से'' या फिर ''हाँ, ईमान की कसम।''
लोगों को लगता था कि उनके पास ईमान है तो सब कुछ है. जिसका ईमान गया वह 'बे-ईमान' माना जाता था। बे-ईमान होना यानी घृणास्पद होना।
..." अखबार खरीदा जाता है खबरों के लिए, विचारों के लिए। कैसे मज़ा आता है तुम्हें? और मज़े के लिए पेपर क्यों खरीदते हो यार? अखबार कोई मज़े के लिए खरीदता है क्या ? मज़े के लिए तो शराब पीते हैं, बैंकाक जाते हैं, कैबरे देखते हैं, औरतों के पास जाते हैं और तुम साले गधे, मज़े के लिए अखबार खरीदते हो? एक रुपये का अखबार जो तुम्हारे घर रोज सुबह बिना नागा किये तुम्हारे घर पहुँच जाता है, जिसे पढ़ा जाता है, फिर अनेक उपयोग के बाद रद्दी में भी बेच दिया जाता है , उससे तुम मज़े कैसे ले सकते हो?