अपनी बात मनवाने और स्थिति को अपने पक्ष में करने के लिए हिंसा की राजनीति का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है। छिटपुट घटनाओं की शक्ल में भी और संगठित अभियान के रूप में भी। एक ओर पंजाब में उग्रवादियों की बंदूवेंâ मौत उगल रही हैं, तो दूसरी ओर मई के तीसरे सप्ताह में भिवंडी और बंबई में हिन्दू-मुस्लिम दंगों ने कयामत बरपा कर दी। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सांप्रदायिक आग से झुलसे हिस्सों का दौरा करने के बाद कहा- गुनहगार बख्शे नहीं जाएंगे, लेकिन फिलहाल पहली जरुरत है शांति स्थापित करने की और लोगों के मन से भय और संदेह दूर करने की। प्रस्तुत है बंबई से प्रकाश हिन्दुसातनी की रपट।