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चेतन भगत के ख्याल पर हिन्दी प्रेमियों के विचार


लेखक चेतन भगत का मानना है कि हिन्दी को आगे बढ़ाना है तो देवनागरी के स्थान पर रोमन को अपना लिया जाना चाहिए। हमने हिन्दी प्रेमियों से बात की और जानना चाहा कि वे क्या मानते हैं क्या यह भाषा की हत्या की साजिश है? हिन्दी भाषा में अंगरेजी शब्दों का समावेश तो मान्य हो चुका है मगर लिपि को ही नकार देना क्या भाषा को समूल नष्ट करने की चेष्टा नहीं है? क्या आपको भी लगता है कि हिन्दी अब रोमन में लिखना आंरभ कर देना चाहिए। प्रस्तुत है तीसरा भाग -

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प्रकाश हिन्दुस्तानी / वरिष्ठ पत्रकार: देवनागरी लिपि में न केवल संस्कृत और हिन्दी लिखी जाती है, बल्कि मराठी और नेपाली को भी देवनागरी लिपि में लिखा जाता है।

देवनागरी की वैज्ञानिक प्रणाली के कारण उसकी लोकप्रियता उर्दू और कोंकणी में भी है और उर्दू व कोंकणी की अनेक किताबें और अख़बार भी देवनागरी लिपि में छप रहे हैं।

इसके अलावा अनेकानेक बोलियों ने भी देवनागरी को अपनाया है। कश्मीरी, मैथिली, अवधी, भोजपुरी, राजस्थानी, मारवाड़ी, मेवाड़ी, छत्तीसगढ़ी, मालवी, निमाड़ी जैसी बोलियां देवनागरी के करीबी हैं और वे इसी लिपि को अपना चुकी हैं। इसलिए देवनागरी का कोई विकल्प हो ही नहीं सकता।

 

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