Bookmark and Share

वीकेंड पोस्ट के 18 जनवरी 2014 के अंक में मेरा कॉलम

(जनहित में जारी )

आज बाजार में एक अनोखा पार्लर देखा। प्रोग्रेसिव पार्लर, लिखा था -हमारे यहां आपको प्रोग्रेसिव यानी प्रगतिशील बनाया जाता है। प्रगतिशील कहलाने के सर्टिफिकेट मिलते हैं। ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती और कुछ लोग बन जाते हैं प्रगतिशील।

जैसे ब्यूटी पार्लर में जाकर स्त्रियां हसीन और पुरुष जवांमर्द होने का भ्रम पाल लेते हैं, वैसे ही ये प्रगतिशील लोग पत्रकारिता में, राजनीति में, धर्म में घुस गए हैं और न केवल अपना पार्लर चला रहे हैं, बल्कि उनसे असहमत लोगों के खिलाफ फतवा भी जारी कर देते हैं। नैतिकता का ठेका इन्हीं के पास है।

इन पार्लरवालों के पास तरह-तरह के क्रीम, लोशन, तेल, पावडर और न जाने कैसी जड़ी बूटियां हैं कि पूछो मत। मैंने अपने भेदिये से कुछ फार्मूले पता किए हैं। जनहित में यहां उजागर कर रहा हूं।

- प्रगतिशील कहलाने की पहली सीढ़ी है बीड़ी। 'बीड़ी जलइले जिगर से पिया, जिगर में बड़ी आग हैÓ जैसा कालजयी गाना यों ही नहीं बना। आप धूम्रपान करते हो या नहीं, बीड़ी पीना शुरू कर दीजिए। बीड़ी किसी भी इनसान को तत्काल प्रभाव से प्रोग्रेसिव बना देती है। दिल्ली में, जेएनयू में यह आजमाया हुआ फार्मूला है। अनेक बड़े लोग भी बीड़ी पीते हैं, जैसे जी-टीवी के सुभाष चंद्राजी।

- अगर आप समलैंगिकता के विरोधी भी हों, तो भी इसके समर्थन में बयान दीजिए। इसे व्यक्तिगत आजादी से जोडि़ए। गे सेक्स को प्रगतिशीलता का प्रतीक और पैमाना कहिए। इसके पक्ष में कुतर्क कीजिए। दुनियाभर के कानूनों का जिक्र कर डालिए। गे सेक्स के विरोध में बोलने वालों को धर्मांध, दकियानूस, पिछड़ा घोषित कीजिए।

- हमेशा बहुसंख्यक वर्ग को गालियां दीजिए, कोसिए। हिन्दू, बहुसंख्यक होने के कारण गालियां खाने के स्वाभाविक हकदार हैं ही। उन्हें हमेशा गाली ही दें, पुरुषों को भी जल्लाद-धूर्त-शोषक कहें, भले आप पुरुष हों। याद रखें आपको प्रगतिशील कहलाना है तो इसके लिए हिंदुओं को हमेशा कोसना अनिवार्य है। औरतों की तरफदारी में मर्दों को गाली देना पवित्र माना गया है।

- हमेशा भारतीय सभ्यता और संस्कृति की बखिया उधेड़ते रहें। भारत से खराब देश विश्व में कोई नहीं। सवर्णों ने, ब्राह्मणों ने कितने भी बलिदान दिए हों, उन्हें तो शोषक ही कहना पड़ेगा। याद रखिए कि अतीत में इस वर्ग का कोई भी ऐसा आदमी समाजसेवक नहीं हुआ, शोषक ही हुआ, उसने कोई त्याग नहीं किया। विप्र समाज का अपमान कीजिए। धर्म की हर बात को घटिया कहना जरूरी है प्रगतिशील कहने के लिए।

- एसएमएस सर्वे को हमेशा सही करार दीजिए, बाकी सभी को खाप पंचायत कहिए। टीवी न्यूज चैनल पंचायत की तारीफ कीजिए। अलग-अलग समाजों के संगठन का विरोध यह कहकर कीजिए कि ये लोग समाज को बांट रहे हैं।

- एनिमल वेलफेयर पर भाषण दीजिए और गौवंश की हत्या को विकास का आवश्यक अंग कहिए। सूअर के मांस भक्षण को धर्म से जोडि़ए। रावण की जयजयकार कीजिए। असुरों के सुर से सुर मिलाइए। बुजुर्गों की अनसुनी करते रहिए, अनुभवी को पिछड़ा और युवा को हमेशा महान।

- होली पर पानी बचाने की बात कीजिए, दीपावली पर बिना शोर के त्योहार मनाने का दावा कीजिए। नए साल के स्वागत का जश्न फूहड़ तरीके से, अश्लील नाच- गानों के साथ, शराब पीकर, मुर्गा खाकर मनाइए। पवित्र नवरात्र को व्यभिचार पर्व कहेंगे तो ज्यादा प्रगतिशील बन जाएंगे।

- अगर आप महिला हैं तो लिव इन रिलेशन में रहिए, शादी हो गई हो तो एकाध तलाक प्रगतिशील बना देगा। अगर आप पुरुष हैं तो छुट्टे सांड की तरह रहिए। आजाद, बेखौफ और अराजक। जिम्मेदारी से दूर। बातों के सूरमा! लेकिन अगर आप पुरुष या महिला दोनों नहीं हैं, तब तो आप सच्चे प्रगतिशील हुए। तभी तो एक 'टीवी खाप शोÓ में एक महिला ने कहा था --'जब मुझे पता चला कि मेरा बेटा (?) वैसा है तो मुझे उस पर गर्व हुआ।Ó

धन्य हैं ये प्रगतिशील लोग।

-- प्रकाश हिन्दुस्तानी

(वीकेंड पोस्ट के 18 जनवरी 2014 के अंक में मेरा कॉलम)

Search

मेरा ब्लॉग

blogerright

मेरी किताबें

  Cover

 buy-now-button-2

buy-now-button-1

 

मेरी पुरानी वेबसाईट

मेरा पता

Prakash Hindustani

FH-159, Scheme No. 54

Vijay Nagar, Indore 452 010 (M.P.) India

Mobile : + 91 9893051400

E:mail : prakashhindustani@gmail.com