Bookmark and Share

Ujda Chaman 1

दिलों की बात करता है जमाना, लेकिन मोहब्बत अब भी चेहरे से ही शुरू होती है। चेहरे और शरीर की बनावट को लेकर बनी उजड़ा चमन फिल्म में सब कुछ साधारण है। अभिनय, निर्देशन, गीत-संगीत, छायांकन, सभी कुछ औसत दर्जे का। इस कारण फिल्म दर्शकों को बांधे रखने में सफल नहीं हो पाई। दो घंटे की फिल्म भी लंबी लगने लगती है। कहां लिखा है कि गोरा होना अच्छा है और सांवला होना अच्छा नहीं। यह भी कहां लिखा है कि बाल वाले ज्यादा हैंडसम लगते है और गंजे हैंडसम नहीं लगते। यह भी कहीं नहीं लिखा कि अच्छा डीलडौल होना कोई बड़ी अयोग्यता है, लेकिन फिर भी समाज में ये सब चलता रहता है। 

दिल्ली के प्रतिष्ठित हंसराम कॉलेज में हिन्दी पढ़ाने वाला लैक्चरर गंजेपन के कारण विद्यार्थियों की हंसी का पात्र है। चमन कोहली को लोग उजड़ा चमन कहते है और वह हीनभावना से ग्रस्त। 30 साल का होने पर भी उसे कोई लड़की पसंद नहीं करती। ज्योतिषियों ने कहा है कि 31वें जन्मदिन के पहले अगर उसकी शादी नहीं हुई, तो आजीवन कुंवारा रहना पड़ेगा। हेयर ट्रांसप्लांट चमन के लिए महंगा सौदा है। टोपी और हेलमेट पहनकर वह यहां-वहां जाता-आता है। फिर विद्यार्थियों के चिढ़ाने से परेशान होकर एक दिन विग पहनने का प्रयास करता है, तब फिर हंसी का पात्र बनता है। कभी उससे 10 साल छोटी फर्स्ट ईयर की छात्रा फ्लर्ट करके उसे उल्लू बनाती है, तो कभी कोई दूसरी लड़की। उसकी सहकर्मी उसे भाव नहीं देती, क्योंकि वह गंजा है, हालांकि वह कई सहकर्मियों पर लाइन मारने की कोशिश करता है। 

Ujda Chaman 2

यह फिल्म दर्शक की औसत बुद्धि का मजाक उड़ाती है। गंजे व्यक्ति, मोटी युवती, कॉलेज के विद्यार्थियों, पंजाबी परिवार के माता-पिता, ज्योतिषी आदि सभी पात्रों का मजाक उड़ाया गया है। बदलते वक्त के साथ लोगों की दिलचस्पी और रुझान बदले है और 30-40 साल पहले की कहानी अब जाकर फिल्माई गई है। फिल्म का 3 चौथाई हिस्सा एक टकले और एक मोटी के आसपास ही खर्च कर दिया गया है। अंत में आधा घंटा इस बात के लिए है कि प्यार के लिए इंसान को सूरत नहीं सीरत देखनी चाहिए। फिल्म के हीरो सनी सिंह ने इसके पहले प्यार का पंचनामा और सोनू के टीटू की स्वीटी में काम किया था। इस फिल्म में उन्होंने टकले हीरो की भूमिका करके आयुष्मान खुराना की तरह हिम्मत की है। पर अब अगले हफ्ते ही आयुष्मान खुराना की इसी थीम पर बाला आ रही है। 

Ujda Chaman 3

मानवी गगरु ने फिल्म में एक खाते-पीते घर की कन्या की भूमिका निभाई है और सौरभ शुक्ला ने ज्योतिषी का रोल किया है। पूरी फिल्म की शूटिंग ही दिल्ली में निपटा ली गई है। अतुल कुमार, ग्रुशा कपूर, गगन अरोरा, करिश्मा शर्मा, ऐश्वर्या सखूजा और शारिब हाशमी के भी छोटे-छोटे रोल है। फिल्म के चार गानों में से एक भी गाना याद रखने लायक नहीं है। पूरी फिल्म के डायलॉग लेखक बाल नहीं तो लड़की नहीं की एक लाइन पर ही अटके हुए थे। दो साल पहले इसी विषय पर कन्नड़ में ओंडु मोटैया कठे नामक फिल्म आई थी, यह उसी का घटिया रीमैक है। निर्माता ने पैसे बर्बाद किए है, दर्शकों को पैसे बर्बाद करने की जरूरत नहीं है। 

Search

मेरा ब्लॉग

blogerright

मेरी किताबें

  Cover

 buy-now-button-2

buy-now-button-1

 

मेरी पुरानी वेबसाईट

मेरा पता

Prakash Hindustani

FH-159, Scheme No. 54

Vijay Nagar, Indore 452 010 (M.P.) India

Mobile : + 91 9893051400

E:mail : prakashhindustani@gmail.com