राजी की तुलना में परमाणु देशप्रेम की असली कहानी लगती है। फिल्म में बहुत सारे झोल भी है, लेकिन यह बात फिल्म देखकर समझी जा सकती है कि दूसरे परमाणु विस्फोटों में भारत के ऊपर कितना दबाव रहा होगा। फिल्म में कुछ वास्तविक न्यूज रील भी जोड़ी गई है, जिससे विश्वसनीयता तो बढ़ती है, लेकिन कहीं-कहीं डॉक्युमेंट्री का भ्रम भी होता है।
जॉन अब्राहम हमेशा नए विषयों को लेकर आते हैं। हीरो होते हुए भी उन्होंने अकेले ही छाये रहने की कोशिश नहीं की है। परमाणु विस्फोट का श्रेय जिन संगठनों को जाना चाहिए, उनको दिया भी है। एपीजे अब्दुल कलाम, सैनिकों और वैज्ञानिकों को समर्पित यह फिल्म डीआरडीओ और बीएआरसी जैसी संस्थाओं की मेहनत भी दिखाती है। फिल्म में अटल बिहारी वाजपेयी के कुछ असली दृश्य भी है और उनके द्वारा पढ़ी गई कविताओं की पंक्तियां भी। कुल मिलाकर देश के मिजाज के अनुरूप फिल्म है। टाइमिंग तो गजब की है ही।
जॉन अब्राहम ने फिल्म में एक आईआईटी इंजीनियर की भूमिका निभाई है, जो आईएएस है और प्रधानमंत्री सचिवालय के साथ कार्य करता है। फिल्म में हीरो की तमन्ना सेना के अधिकारी बनने की रहती है, लेकिन फ्लैट पैर के वजह से उसे सेना में नहीं लिया जाता, लेकिन देशभक्ति का जज्बा उसमें भरपूर है, क्योंकि उसके पिता भी सेना में थे। अति उत्साह में हीरो सस्पेंड हो जाता है और कड़की में दिन बिताता है। फिल्म वाले भूल गए कि सस्पेंशन की अवधि में भी गुजारे लायक वेतन तो मिलता ही है, लेकिन हीरो का कहना है कि हीरो वर्दी से नहीं इरादे से बनते है और सिविल सर्विस एक्जाम में घड़ी देखकर नहीं, सिलेबस के अनुसार मेहनत करके कामयाबी मिलती है।
कहानी के अनुसार जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बनते हैं, अमेरिका का भारत पर भारी दबाव है और उसी दबाव के चलते 1995 में परमाणु विस्फोट नहीं हो पाता। अटल बिहारी वाजपेयी के सत्ता में आते ही परमाणु अभियान जोर पकड़ता है और जॉन अब्राहम को वापस खुफिया तौर पर परमाणु विस्फोट के अभियान में लगाया जाता है। उससे आगे की कहानी यही है कि किस तरह तनाव, पारिवारिक विवाद, आर्थिक मजबूरी के बावजूद देशप्रेम से ओतप्रोत नायक और उनकी टीम कमाल कर जाती है।
निर्देशक और लेखक अभिषेक शर्मा ने कहानी के साथ न्याय किया है। सचिन-जिगर का संगीत भी बढ़िया है। कलाकारों में जॉन अब्राहम के अलावा बोमन ईरानी, डायना पेंटी आदि भी है। फिल्म में जेसलमैर, पोकरण का किला, गौतम रेलवे स्टेशन आदि की शूटिंग भी है। फिल्म वास्तविकता के करीब है। कुमार विश्वास का गाना भी फिल्म में है। अरिजीत सिंह, दिव्य कुमार, ज्योतिका तंगरी आदि ने गाने गाये है। देशप्रेम के माहौल में फिल्म का राजनैतिक लाभ भाजपा को मिल सकता है।