ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान अवश्य देखिए क्योंकि... *
1. इससे आपको पता चलेगा कि वक़्त की कीमत क्या होती है और पौने तीन घंटे का मतलब क्या होता है?
2. रुपये की कीमत भी इस फिल्म को देखकर समझ में आती है. दो-तीन- सौ रुपये का आप और कितना सही उपयोग कर सकते थे, आप यह यह बात अवश्य सोचेंगे.
3. फिल्म का एक गाना कैटरीना पर फिल्माया गया है -- सुरैया जान देगी क्या?
दे चुकी दरसन सुरैया; परसाद देगी क्या?
इसका अर्थ मैंने यह समझा कि कैट कह रही है -- हे मूढ़मती, सनीमा का टिकट लेकर आये हो तो क्या तुम्हारे बैडरूम में आकर नाचने लगूं?
*शर्तें लागू
*****सनीमा आग्रह की विषय-वस्तु है या नहीं, पता नहीं!
माना कि फिल्म की कहानी अहमकाना है, प्रस्तुति भी बचकानी है, लेकिन एक अदद टिकट में आपको राजस्थान से लेकर बुल्गारिया तक की शानदार लोकेशंस, 76 साल के अमिताभ बच्चन के एक्शन्स, मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर की बकलोली और कैटरीना कैफ के दो झटकेदार गाने मिल जाएँ तो? फिल्म के एक गाने की लाइन है --दे चुकी दरसन सुरैया, अब परसाद लोगे क्या? इस फिल्म का एक और संवाद है कि हमें दो बातों के लिए तैयार रहना चाहिए एक है धोखा और दूसरी है मौत ! आप कितनी भी ऐहतियात बरत लें, यह होता ही है। इस फिल्म में भी होता है। अगर आप फिल्म समीक्षक नहीं हैं तो ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान आपको पसंद आएगी।यह फिल्म है, पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन ,क्रांति, लगान, मंगल पांडे आदि-आदि के कुछ सीन की खिचड़ी। उसमें कैटरीना कैफ ने सुरैया बनकर परदे दो गाने भी 'गाये', शानदार एक्शन्स, ठीक ठाक एक्टिंग, कोई नंगापन और दो अर्थवाले संवाद नहीं हैं, जिनके बिना शायद कुछ समीक्षकों को फिल्म पसंद ही नहीं आती।
मिस्टर परफेक्शनिस्ट के नाम से पहचाने जाने वाले आमिर खान की बकलोली बहुत है, जो कहीं कहीं ओवरएक्टिंग लगती है। मोहम्मद जीशान और इला अरुण के अजीबोगरीब रोल दिलचस्प है। फिल्म में एक गधा हो, जिस पर सवार होकर आमिर खान घूमते हैं और कहते हैं कि यह गधा से पहले एक रियासत का नवाब था।
फिल्म की कहानी में बहुत झोल हैं, यकीन अगर आप मनोरंजन के लिए फिल्म देखते हैं तो आपको पसंद आएगी। बॉलीवुड फ़िल्में देखकर कोई रॉकेट साइंटिस्ट नहीं बनता। आप भी नहीं बनेंगे। फिल्म देखते समय दिमाग़ का उपयोग नहीं करें तो फिल्म मनोरंजक है।
अगर आप फिल्म समीक्षक नहीं हैं तो ठग्स ऑफ़ हिन्दुस्तान आपको पसंद आएगी। माना कि फिल्म की कहानी अहमकाना है, प्रस्तुति भी बचकानी है, लेकिन एक अदद टिकट में आपको राजस्थान से लेकर बुल्गारिया तक की शानदार लोकेशंस, 76 साल के अमिताभ बच्चन के एक्शन्स, मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर की बकलोली और कैटरीना कैफ के दो झटकेदार गाने मिल जाएँ तो? फिल्म के एक गाने की लाइन है --दे चुकी दरसन सुरैया, अब परसाद लोगे क्या? इस फिल्म का एक और संवाद है कि हमें दो बातों के लिए तैयार रहना चाहिए एक है धोखा और दूसरी है मौत ! आप कितनी भी ऐहतियात बरत लें, यह होता ही है। इस फिल्म में भी होता है।
यह फिल्म है, पाइरेट्स ऑफ द कैरेबियन ,क्रांति, लगान, मंगल पांडे आदि-आदि के कुछ सीन की खिचड़ी। उसमें कैटरीना कैफ ने सुरैया बनकर परदे दो गाने भी 'गाये', शानदार एक्शन्स, ठीक ठाक एक्टिंग, कोई नंगापन और दो अर्थवाले संवाद नहीं हैं, जिनके बिना शायद कुछ समीक्षकों को फिल्म पसंद ही नहीं आती।