शुरूआत में आधार से जो अपेक्षाएं थी, वे पूरी नहीं हो पा रही हैं। इसका कारण यह है कि हर किसी को आधार पर आपत्ति है। आपत्ति का मुख्य कारण है, आधार से गोपनीयता भंग होने का खतरा। जिन लोगों को आधार से लाभ होना चाहिए, उनका बहाना बनाकर आधार का उपयोग सीमित करने की कवायदें की जा रही है। भारतीय न्याय प्रक्रिया तो है ही, इस तरह की रूकावटों के लिए प्रख्यात। भारत की एक तिहाई आबादी सोशल मीडिया पर हैं। जहां उनकी पूरी जन्मपत्री सार्वजनिक है। फेसबुक से जुड़ते ही 82 ऐप पीछे लग जाते है। लोकेशन से लेकर गर्लफ्रेंड की फोटो तक का हिसाब फेसबुक के सर्वर पर दर्ज रहता है, लेकिन भारत के लोगों को तकलीफ है आधार से। आधार से गोपनीयता भंग हो जाएगी साहब। आधार कार्ड में क्या दर्ज है? और जब आप भारत में पैदा हुए, भारत सरकार की तमाम सुविधाओं का फायदा उठा रहे हो, तो सरकार को आपके बारे में जानने का अधिकार भी होना चाहिए या नहीं? बाद में आप शिकायत करते है कि सरकार को यह काम करना चाहिए, वह काम करना चाहिए आदि-आदि।
मेरी निजी राय है कि आधार को और मजबूत आधार दिया जाना चाहिए। आधार के बारे में जो मुख्य शिकायतें है वह यह कि आधार के कारण गोपनीयता भंग हो रही है। सरकार यह चाहती है कि दिल्ली में बैठे-बैठे आपके डेटा बेस से उसे पता चल जाए कि आपने कहां की रेल टिकिट बुक करवाई, कौन से विमान में कहां जाने के लिए यात्रा की, आपका वोटर कार्ड बना है या नहीं और एक बना है या अधिक। आप पर कितना टैक्स बाकी है? आधार के बारे में शिकायत यह है कि आधार से यह जानकारी नहीं मिलती कि क्या आधार कार्ड का धारक बेघर है या नहीं। कोई बेघर आदमी आधार कार्ड कैसे बनवा सकता है? एक और शिकायत है आधार से कि आधार कार्ड का नंबर अमेरिका के सोशल सिक्युरिटी नंबर की तरह नहीं है। आधार को पेंशन से जोड़ा नहीं गया है।
मेरा दावा है कि अगर आधार को सही तरीके से पहचान पत्र बनाया जाएं, तो आम आदमी का जीवन काफी सुविधाजनक हो सकता है। जैसे कि हर अपराधी का अपराध का रिकॉर्ड आधार से जोड़ा जाना चाहिए। थाने में अपराध दर्ज हुआ हो या सजा मिली हो, तो तत्काल आधार से लिंक होने पर अपराधी को पकड़ना आसान होगा। भारत के तीर्थ स्थलों में ऐसे अनेक अपराधी तत्व धार्मिक स्वांग रचकर बैठे हुए है, जिन्होंने अलग रंग का चोला ओढ़ रखा है। लोग ऐसे कई अपराधियों को पूजते भी है। आधार में अगर इस तरह की जानकारी जुड़ी हो, तो ऐसे अपराधियों का छुपना आसान नहीं होगा।
पांच साल से छोटे बच्चों के लिए बाल आधार कार्ड बनाए जा रहे है। इसमें धारक के बारे में पूरी जानकारी होगी। बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराधों के मामले में भारत कुख्यात है। खासकर छोटी लड़कियों के अपहरण के मामले हजारों की संख्या में हो रहे है। बाल आधार कार्ड की मदद से अपह्रत बच्चियों का पता चलने पर उनकी पहचान आसानी से हो सकती है। ऐसे मामले सामने भी आए है, जब आधार ने गुमशुदा बच्चों को उनके अभिभावकों तक पहुंचाया। घरेलू काम करने वाले लोगों की पहचान में आधार कार्ड महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, अगर आपराधिक रिकॉर्ड से आधार को जोड़ा जाए, तो कोई भी व्यक्ति उन लोगों की सेवाएं लेने में संकोच नहीं करेगा, जिनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। इसी तरह बड़ी संख्या में लड़कियों का अपहरण करके उन्हें वेश्यावृत्ति के दलदल में धकेल दिया जाता है। वेश्यावृत्ति में लिप्त लड़कियों के बारे में पता चलने पर उनकी पहचान आसानी से हो सकती है और उन्हें फिर से स्थापित करने में मदद मिल सकती है। रेल टिकिट और आधार में समन्वय करके विकलांगों को बिना कागजी खानापूरी के रियायती टिकिट उपलब्ध कराया जा सकता है।
आधार कार्ड के आधार पर गरीब तबके को उपलब्ध कराई जाने वाली चिकित्सा सुविधाओं का लाभ तो दिया ही जा सकता है, अन्य लोगों की बीमारी और इलाज का रिकॉर्ड भी ऑनलाइन करके अगर आधार पर लिंक किया जा सकें, तो चिकित्सा में तेजी आ सकती है। अधिकांश बड़े अस्पतालों में मरीजों का रिकॉर्ड ऑनलाइन रखा जाता है। अगर कोई व्यक्ति दूसरे शहर गया और वहां बीमार पड़ गया, तो वह वहां किसी भी अस्पताल में जाए, अपना आधार नंबर बताए, जिससे उसका पूरा बीमारी का रिकॉर्ड प्राप्त हो सवेंâ और बिना वक्त गवाए, उस व्यक्ति का इलाज हो सकें।
आधार से ऐसे कई मामलों का पता चला है, जहां एक ही व्यक्ति अलग-अलग नामों से सरकारी पेंशन ले रहा था। राज्य सरकार और स्थानीय निकायों में अगर दैनिक वेतनभोगियों का रिकॉर्ड देखा जाए, तो पता चलेगा कि हजारों ऐसे लोग है, जो नौकरी करते ही नहीं और वेतन उठा रहे है। कई लोग ऐसे भी है, जो नाम बदल-बदलकर दो-दो, तीन-तीन नौकरियां कर रहे है। स्कूल और कॉलेजों में मिलने वाली छात्रवृत्ति में भी बड़े पैमाने पर घोटाले हो रहे है। ऐसे कई घोटाले उजागर हुए है, जब प्राइवेट विश्वविद्यालयों ने अपने एक ही कॉलेज के विद्यार्थियों को अपने ही तीन-तीन, चार-चार कॉलेजों में छात्र दिखा रखा है और उनके नाम पर सरकार से आने वाली छात्रवृत्ति हड़प कर रहे है।
आधार कार्ड से लोगों को शिकायत यह है कि आधार बन जाने से किसी को पेंशन या सस्ता राशन नहीं मिलने लगता। अलग-अलग विभागों में सुविधा पाने के लिए अलग-अलग आवेदन करने पड़ते है। इस शिकायत को भी दूर किया जाना चाहिए। आधार से लिंक होने के बाद तमाम सरकारी सुविधाएं व्यक्ति को आसानी से मिल जानी चाहिए, लेकिन सिर्पâ सुविधाएं ही क्यों मिलना चाहिए?
कोई आदमी बैंक से भारी कर्जा लेकर बैठा है, उस पर भी रोज नए-नए कर्ज उठा रहा है और उस कर्ज का सदुपयोग करने के बजाय उसे अपनी विलासिता पर खर्च कर रहा है। तब आधार से उसके बारे में जानकारी प्राप्त करना और नियंत्रण लगा लेना, आसान हो जाएगा। चीन ने इस बारे में एक अलग ही व्यवस्था की तैयारी की है, जो 2020 तक लागू हो जाएगी। अगर वहां कोई व्यक्ति कर्ज लेकर उसे वक्त पर नहीं चुकाता, वित्तीय शब्दावली में जिसका व्रेâडिट रिकॉर्ड बुरा है, ऐसे व्यक्ति को हवाई जहाज में यात्रा करने का टिकिट नहीं मिलेगा। न ही कोई फाइव स्टार होटल उसे अपने यहां रूम उपलब्ध कराएगा। विलासिता की हर चीज से वह वंचित रहेगा।
कल्पना कीजिए कि अगर ऐसी व्यवस्था भारत में लागू हो और सफेद कॉलर वाले चोर हवाई टिकिट बुक कराने जाए और उन्हें टिकिट ना दिया जाए, वे रेल में सफर करना चाहे, तो रेल टिकिट देने से मना कर दें, फाइव स्टार होटल में जाए, तो होटल वाला ना कह दें। बीवी के लिए महंगी जूलरी खरीदने जाए, तो आधार आड़े आ जाए। ऐसे में व्यक्ति सोचेगा कि उसने जो चोरी की है, उसका फायदा ही क्या है? अपनी विलासिता के लिए खर्च करने के पहले वह अपना बकाया टैक्स चुकाएगा। मान लीजिए कोई व्यक्ति टैक्स चोरी करके विदेश जाना चाहे और पासपोर्ट-वीजा होने के बाद भी हवाई कंपनी कहे कि भाई बगैर टैक्स चुकाए आपको टिकिट नहीं दे सकते।
वोटर कार्ड से आधार नंबर जुड़ने के बाद फर्जी मतदाताओं के बारे में पता लगाना आसान हो सकता है। इससे मतदान की प्रक्रिया पारदर्शी बन सकती है और फर्जी वोटिंग को रोकने में मदद ली जा सकती है। आधार कार्ड की मदद से मोबाइल फोन कनेक्शन, रसोई गैस कनेक्शन और बैंकिंग सेवाओं का लाभ दो लिया ही जा रही है। गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा संचालित सेवाओं को भी इसके दायरे में लिया जाए, तो इसका महत्व और बढ़ जाएगा।