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शुक्रवार, 24 मार्च की सुबह ट्विटर इंडिया ने एबीवीपी के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट सहित कुल 7 अकाउंट सस्पेंड कर दिए थे। एबीवीपी की आपत्ति के बाद वे सभी खाते वापस खोल दिए गए। सोशल मीडिया के इस प्लेटफॉर्म को एबीवीपी ने काफी गंभीरता से लिया और खाते वापस खोले जाने को अपनी जीत करार दिया।

ट्विटर के अनुसार एबीवीपी और उसके अन्य 6 अकाउंट धारकों ने ट्विटर की प्राइवेसी पॉलिसी का उल्लंघन किया था। एबीवीपी के लोगों ने अभद्र भाषा और व्यवहार का उपयोग किया, जिससे ट्विटर की सेवा शर्तों का उल्लंघन हुआ। ट्विटर की सेवा शर्तों के अनुसार वह किसी भी ऐसे अकाउंट को सस्पेंड या टर्मिनेट कर सकता है, जो अभद्र या नफरत की भाषा का उपयोग करता हो। अब एबीवीपी के नेता चाहते है कि ट्विटर अपनी इस एक्शन के लिए माफी मांगे। एबीवीपी के नेताओं के अनुसार ट्विटर की कार्रवाई ठीक नहीं थी और उससे एबीवीपी की प्रतिष्ठा को धक्का लगा।

एबीवीपी और उसके नेताओं के अकाउंट सस्पेंड किए जाने को हजारों लोगों ने रि-ट्वीट किया था। जिन अकाउंट को सस्पेंड किया गया था, उनमें @ABVPvoice, @ABVPDelhi, @BahugunaSanket, @SaurabhJNU, @irahulsharmaa, @DikshaaVerma, @RishiUvaach. सस्पेंशन खत्म होने के बाद एबीवीपी के इन सभी अकाउंट से इस तरह की मांग की गई कि ट्विटर इंडिया माफी मांगे।

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एबीवीपी दिल्ली के प्रवक्ता तेजिन्दर पाल बग्गा ने ट्विटर इंडिया के प्रमुख को पत्र लिखकर इस बात की सफाई भी मांगी है कि आखिर एबीवीपी और उससे जुड़े लोगों के अकाउंट सस्पेंड क्यों किए गए थे? पत्र में उन्होंने ट्विटर इंडिया के रवैये के खिलाफ आक्रोश व्यक्त भी किया। उनका कहना है कि ट्विटर इंडिया ने जो अकाउंट सस्पेंड किए, वे एबीवीपी के अधिकृत अकाउंट थे और इससे भारत में अभिव्यक्ति की आजादी पर कुठाराघात हुआ है। ऐसे में ट्विटर इंडिया को चाहिए कि वे अपनी सफाई अवश्य पेश करें। एबीवीपी के प्रवक्ता ट्विटर के प्रमुख से मिलने की कोशिश भी कर रहे है। एबीवीपी के कई कार्यकर्ता इस तरह के ट्वीट भी कर रहे है कि ट्विटर इंडिया के भारत स्थित प्रमुख को हटाया जाए, क्योंकि उनका रवैया पक्षपातपूर्ण और द्वेषपूर्ण है।

एबीवीपी के कई कार्यकर्ता इस तरह के ट्वीट भी कर रहे है कि हमारे पास भारत में अपना खुद का सोशल नेटवर्क होना चाहिए। ट्विटर इंडिया की इस कार्रवाई को लोगों ने देश-विरोधी एजेंडे का हिस्सा भी बताया है। यहां तक कि आरोप लगाए जा रहे है कि ट्विटर इंडिया भारत में रहकर आईएसआई के इशारे पर काम कर रहा है। ट्विटर इंडिया के प्रमुख पर यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि वे आईएसआई, आतंकियों, आम आदमी पार्टी और वामपंथियों के समर्थन में है। क्या ट्विटर इंडिया जेहादियों की निजी जागीर हो गया है। ट्विटर इंडिया के प्रमुख सोशल मीडिया पर जिन लोगों से जुड़े है उनके नाम भी प्रचारित किए जा रहे है। ट्विटर इंडिया के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात भी की जा रही है।

एबीवीपी की नेता दीक्षा वर्मा ने जेएनयू विवाद में कई ट्वीट किए थे। इसमें उनका एक ट्वीट जो इस सस्पेंशन का कारण बना, यह मायने रखता था कि मैं फख से कहती हूं कि मैंने आत्मरक्षा में उस पर (स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया के सदस्य पर) हमला किया था, जब उसने मुझसे छेड़छाड़ की कोशिश की थी। ऐसे बेशर्मों को शर्म आनी चाहिए। दीक्षा वर्मा ने ही बाद में एक और ट्वीट करके ट्विटर पर आरोप लगाया था कि छेड़छाड़ का विरोध करने पर अकाउंट को सस्पेंड कर देना क्या जायज है? एबीवीपी दुनिया का सबसे बड़ा छात्र संगठन है और उस पर दिल्ली विश्वविद्यालय तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में विरोधी संगठनों के साथ मारपीट के आरोप भी लगे है। एबीवीपी ने वामपंथी छात्र संगठनों के खिलाफ ना केवल कड़ा रूख अपनाया है, बल्कि खुद की ओर से आक्रामक भूमिका भी निभाई है। सोशल मीडिया पर उन्होंने यहां तक लिखा है कि डीयू में मारा है, जेएनयू में भी जवाब देंगे। आपकी लाश को समंदर में फेंक आएंगे।

दुनियाभर में ट्विटर की सेवा शर्तों को लेकर आपत्तियां होती रहती हैं। कई बार तो लोग अकाउंट सस्पेंड किए जाने पर चुप रहना ही पसंद करते है और एक निश्चित अवधि के बाद आमतौर पर ट्विटर अकाउंट वापस खोल दिया जाता है, लेकिन एबीवीपी ने इस मामले को जिस तेजी से उठाया है और ट्विटर इंडिया पर देश विरोधी होने का आरोप लगाया है, वह एक हद तक हास्यास्पद सा भी है।

webdunia27March2017

25 March 2017

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