आमतौर पर हमारे यहां उद्योगपति के नाम अखबारों मेैं तभी छपते हैं, जब टैक्स की चोरी या पेâरा नियमों का उल्लंघन होता है। ऐसे उद्योगपति कम ही हैं, जो दूसरे कारणों से चर्चित होते हैं। ऐसे ही उद्योगपति हैं विजयपत सिंहानिया। जे.आर.डी.टाटा की तरह वे भी उद्योगपति है ओर उड़ाके भी। उन्होंने २३ दिन में ९६०० किलोमीटर की दूरी तय की है औ वह भी डेढ़ क्विंटल के एक अति हलके विमान से। अपने इस विमान से सिंहानिया ने ११ देशों के ऊपर उड़ान भरी ओर भारत की धरती पर उतरकर गिनेज बुक्स आफ वल्र्ड रिकार्डस में अपना नाम दर्ज कराने की स्थिति प्राप्त कर ली। हालांकि पाकिस्तान के कराची हवाई अड्डे पर उन्हें कुछ कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, पर अंतत: मामला सुलझ गया।
४९ वर्षीय विजयपत सिंहानिया प्रमुख उद्योगपति है और देश के चौथे सबसे बड़े औद्योगिक साम्राज्य के मालिक भी। उनके पारिवारिक व्यवसाय की कुल संपदा सवा हजार करोड़ रूपए से ज्यादा है। विमान उड़ाने की इच्छा उन्हें बचपन से ही थी, आगे जाकर वह इच्छा पूरी हो गई और अब वे एक रेकार्ड बनाने में कामयाब हो गए हैं। हालांकि विमान उड़ाना कोई कबड्डी खेलना नहीं है, पर दूसरे लोग भी कहाँ इस बारे में सोचते है।
लंदन से दिल्ली तक की इस उड़ान का विचार विजयपत िंसहानिया के दिमाग में इसी फरवरी में आया। ंहुआ यह था कि जनाब का ध्यान पाप्युलर साइंस पत्रिका के एक विज्ञापन पर गया, जो ब्रिटिश फर्म सी.एफ.एम. मैटापैâक्स ने दिया था। यह कपंनी माइक्रोलाइट विमान बनाती है। उन्होंने वंâपनी से पत्र-व्यवहार किया और जल्दी ही इस नतीजे पर पहुंच गए कि वे इस विमान से उड़ान भरकर एक रेकार्ड बना सकते हैं।
लेकिन काम इतना आसान नहीं था। इसमें तकनीकी और कानूनी परेशानियां थी। पूरी उड़ान का कार्यक्रम तैयार करना था। पूरी जानकारी हासिल करनी थी कि रास्ते में कहां-कहां पड़ाव होगा। कहां र्इंधन लिया जाएगा। रास्ते मैें अस्पताल कहां है। विमान उतारने के लिए सरकार की इजाजत लेनी है।
खैर, ये सब औपतारिकताएं भी पूरी कर ली गई। और लंदन में तौबीस दिन पहले जब इस अभियान की शुरूआत हुई, तब लोगों ने इसे बड़े ही कौतूहल और भय से देखा था। उनके परिवार के लोगों ने उनके इस अभियान से लिए बहुत ही मुश्किल से इजाजत दी थी। हालांकि उनका बड़ा बेटा भी पायलेट है और छोटा बेटा मोटरकार रैली में हिस्सा लेता है।
अपनी विश्वविद्यालय की पढ़ाई के बाद विजयपत सिंहानिया ने कानपुर की न्यू केसर हिन्द मिल्स में कामकाज शुरू किया था। फिलहाल वे रेमंड वूलन मिल्स के चेयरमैन है। सत्तर के दशक में उन्होंने एक विम्नन वंâपनी भी बनाई थी, जिसका नाम था - सफारी एअरवेज। इसके विमान बम्बई से सूरत और भावनगर आते-जाते थे। पर यह रंपनी व्यवसायिक रूप में सफल नहीं हो सकी। इसके पास तीन विमान थे, जिनमें से दो बिक चुके हैं, पर एक अभी भी जे.के. ग्रुप के पास है।
विजयपत, सिंहानिया ने अत्तूâबर १९५९ में विमान उड़ाना शुरू किया था। अप्रैल, १९६० में उन्होंने प्राइवेट पायलेट का लाइसैंस पाया। दो साल पहले ही उन्होंने एअरलाइन ट्रांसपोर्ट पायलेट का लाइसेंस भी प्राप्त कर लिया। उन्होंने दुनिया के कई देशों में विमान उड़ाए है और उनका उड़ान रिकाऱ् करीब २९०० उड़ान घंटों का है। पिछले साल उन्होंने बम्बई से एक अंग्रेजी अखबार ‘इंडियन पोस्ट’ का प्रकाशन भी शुरू किया है। उनका यह अखबार व्यवसायिक दृष्टि से सफल नहीं माना जाता। यह रेकार्ड तोड़ने में उन्हें करीब दस लाख रूपए भी खर्च करने पड़े हैं।
-प्रकाश हिन्दुस्तानी