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सोशल मीडिया पर कई अकाउंट्स ऐसे है, जो जानी-मानी शख्सियतों के है। ये शख्सियतें अब जीवित नहीं हैं, लेकिन उनके सोशल मीडिया अकाउंट जीवित है। उन अकाउंट्स में अब भी पोस्ट लिखी जा रही है और फोटो शेयर किए जा रहे है। आश्चर्य होता है कि उनके अकाउंट जो लोग हैंडल कर रहे होंगे, वे कितने क्रूर और बेशर्म हैं। अगर आपके परिजन या क्लाइंट जीवित नहीं है, तो आपको चाहिए कि वे सोशल मीडिया अकाउंट इनएक्टिवेट कर दें या डिलीट ही कर दें। जो व्यक्ति दिवंगत हो चुका है, वह स्वर्ग से तो अपना सोशल मीडिया अकाउंट संचालित करने से रहा।
एक जमाना था, जब किसी पारिवारिक विवाद को पुलिस थाने या कोर्ट तक ले जाने को बड़ा ही बुरा माना जाता था। कोर्ट के फैसले से ज्यादा बुरा लोगों को कोर्ट जाना लगता था। न्यायालय के लिए कटघरे में खड़ा होना बदनामी का सूचक था। ऐसे मामले भी होते थे, जब विवाद तो बढ़ जाते थे, लेकिन कोर्ट के बाहर समझौता करने में दोनों पक्ष अपनी भलाई समझते थे। आजकल कोर्ट जाना उतना बुरा नहीं माना जाता। तलाक संबंध विवादों को भी लोग सामान्य रूप में लेने लगे है और तलाक को भी।आजकल पारिवारिक विवादों में मुद्दे को सोशल मीडिया पर ले जाना बुरा माना जाने लगा है। सोशल मीडिया ने एक तरह से पंचायत की भूमिका अपना ली है। वहां टिप्पणी करने पर अनेक लोग अपनी राय देते हैं। इसे बदनामी का एक तरीका भी माना जाने लगा है।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मुलाकातें सोशल मीडिया पर छा चुकी हैं। नरेन्द्र मोदी और इजराइल के राष्ट्रपति नेतान्याहू की मुलाकात के चर्चे भी सोशल मीडिया पर जमकर हो रहे हैं। हेम्बर्ग में जी20 देशों की बैठक में दुनिया के 20 प्रमुख देशों के राष्ट्र प्रमुख मिले थे। सोशल मीडिया पर यही चर्चा है कि क्या-क्या होगा या हो सकता है, जब अमेरिकी और रूसी राष्ट्रपति आमने-सामने थे।
एफबीआई ने अमेरिका के अभिभावकों को चेतावनी दी है कि वे अपने बच्चों को ऐसे खिलौने न दें, जो इंटरनेट से जुड़े हो। एफबीआई का दावा है कि ऐसे खिलौनों के माध्यम से जासूसी की जा रही है, इसलिए सावधान रहे। अमेरिका में बच्चों के लिए ऐसे खिलौने बड़ी मात्रा में बिक रहे है, जो इंटरनेट से जुड़े होते है। ऐसे खिलौने बच्चों की प्राइवेसी और सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते है।
केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले दिनों ट्विटर पर लिख दिया था - ‘ऑल कश्मीरीज ऑर नॉट टेररिस्ट’। इस पर सोशल मीडिया में भूचाल सा आ गया है। गृहमंत्री की बात कुछ लोगों को इतनी नागवार गुजरी कि उन्होंने गृहमंत्री को ही ट्रोल करना शुरू कर दिया। बचाव में भाजपा के कई नेताओं को आना पड़ा।
आजकल स्मार्ट फोन सब लोगों के साथी है। कुछ लोगों के लिए वे दोस्त है, कुछ लोगों के लिए वे ब्वॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड की तरह है और कुछ लोगों के लिए गुरू की तरह। अब स्मार्ट फोन के विज्ञापन भी हो सकते है - ‘हम है तीन दीवाने : मैं, मेरा स्मार्ट फोन और मेरा नेटवर्क’।