फिल्म समीक्षा

Manjhi

फिल्म देखकर बाहर निकलते वक्त या तो आप मुस्करा रहे होते है या आपका सिर दुख रहा होता है या बजरंगी की तरह आपकी आंखों में आंसू होते है या फिर आप खुद को कोसते रहते है कि ये फिल्म देखने गए ही क्यों? लेकिन मांझी देखकर लौटते वक्त आपके मन में दशरथ मांझी का यह वाक्य गूंजता रहता है- किसी भी काम के लिए भगवान के भरोसे मत रहिए, क्या पता भगवान ही आपके भरोसे बैठा हो। नवाजुद्दीन सिद्दीकी का तकिया कलाम इस फिल्म में है- सानदार ! जबरदस्त !! जिंदाबाद !!! यहीं बात इस फिल्म के बारे में भी कही जा सकती है। इस फिल्म की कहानी ए क्लास है। नवाजुद्दीन और राधिका आप्टे का अभिनय भी ए क्लास है और केतन मेहता का निर्देशन भी ए क्लास है। इस तरह यह फिल्म ए ट्रिपल प्लस फिल्म है। अगर आप फिल्म देखने के शौकीन है या फिल्म देखने के शौकीन नहीं है तो भी अपना सारा कामकाज छोड़कर फिल्म देखने चले जाइए। मेरा वादा है आप पछताएंगे नहीं।

Read more...

black1

शुक्रवार, 7 अगस्त को रिलीज फिल्म काला सच - द ब्लैक ट्रुथ की समीक्षा

‘काला सच- द ब्लैक ट्रुथ’ को अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में अच्छा प्रतिसाद मिलेगा, इसमें कोई दो मत नहीं है, क्योंकि यह फिल्म भारत की वैसी ही छवि पेश करती है, जैसी दुनिया देखना चाहती है। अटलांटिस फिल्म महोत्सव, केलगरी अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव और न्यू यॉर्क के इंडीपेंडेंट फिल्म महोत्सव में इस फिल्म का प्रदर्शन हो रहा है या हो चुका है। वास्तविक घटनाओं पर आधारित इस फिल्म में महिलाओं पर हो रहे जुल्मों को बॉलीवुड स्टाइल में दिखाया गया है। फिल्म के लेखक और निर्माता का दावा है कि इस फिल्म को बनाने के पहले दो साल तक रिसर्च की गई और फिर उसे झारखंड, उत्तरप्रदेश, दिल्ली और मुंबई में फिल्माया गया। इस फिल्म से पाश्र्व गायिका साधना सरगम की वापसी भी हो रही है।

Read more...

बॉलीवुड की फिल्मों का शौक तो शुरू से ही रहा है। फर्स्ट-डे, फर्स्ट-शो का मुरीद हूं। लगभग सभी बॉलीवुड फिल्में देखता भी हूं। फिल्म समीक्षकों की गहन गंभीर व्यावसायिक बातों से अलग हटकर एक आम आदमी के नजरिये से फिल्म देखता हूं और उसके बारे में राय बनाता हूं। इसमें विज्ञापन या जनसंपर्क का अंश तनिक मात्र भी नहीं है। फिल्मों के तकनीकी पक्ष के बारे में भी बहुत कुछ नहीं लिखूंगा। केवल अपनी राय दूंगा कि फिल्म कैसी है आप झेल सकते है या नहीं? फिल्मों को स्टार बांटने का काम भी नहीं करने वाला। इस सप्ताह दृश्यम से वापसी।

drishyam

 फिल्म समीक्षा

 मलयालम में दृश्यम नाम से ही बनी फैमिली थ्रिलर सुुपरहिट रही थी। 50 करोड़ रुपए से ज्यादा का बिजनेस इसने केवल मलयालम भाषा में कमाया था। बाद में यह फिल्म तमिल, कन्नड़ और तेलुगु में भी बनी। सभी भाषाओं में हिट रही। अजय देवगन ने इसे हिन्दी में बनाने के लिए फायनेंस किया और प्रमुख भूमिका निभाई। अजय देवगन को भरोसा है कि यह फिल्म 150 करोड़ रुपए तक का बिजनेस कर लेगी।

Read more...

.... लेकिन फिल्म चल पड़ी है मार्केटिंग के सहारे

एलियन (आमिर) -- पहली लड़की देखी, फिदा हो गया; 

जग्गू (अनुष्का) -- एक लड़का मिला, सो गई;

सरफ़राज़ (सुशांत सिंह) -- एक दिन फिदा, अगले दिन जुदा;

न्यूज़ चैनल हेड (बोमन ईरानी ) -- फट्टू और बेअक्ल;

तपस्वी महाराज(सौरभ शुक्ल) -- चोर-ढोंगी;

जग्गू का पिता( परीक्षित साहनी) -- धर्मांध भक्त;

फुलझड़िया (रीमा) -- वेश्या;

ब्रुगेस का बुड्ढ़ा (राम सेठी) -- 4 डॉलर का चोट्टा,

भैरोंसिंह (संजय दत्त) -- बेअक्ल.

गानों के नमूने : ''नंगा पुंगा दोस्त''; ''लव इज़ वेस्ट ऑफ टाइम'', ''टर्की छोकरो...''

हिन्दूवादी संगठन फिल्म पीके का जितना विरोध करेंगे उतनी ही उसकी दर्शक संख्या बढ़ेगी। पीके कोई बहुत महान फिल्म है ऐसी तो कोई बात नहीं, लेकिन सही मार्केटिंग के कारण पीके 4 दिन में ही 100 करोड़ के क्लब में पहुंच गई। भारत के लोग धर्मप्राण लोग है और उदार भी। 'जय संतोषी मां' जैसी छोटे से बजट की फिल्म भारत में सुुपर डुपर हिट हो जाती है और 'ओह मॉय गाड' जैसी फिल्म भी चल पड़ती है। ऐसे में 'पीके' का चलना कोई बहुत आश्चर्य की बात नहीं है।

Read more...

Search

मेरा ब्लॉग

blogerright

मेरी किताबें

  Cover

 buy-now-button-2

buy-now-button-1

 

मेरी पुरानी वेबसाईट

मेरा पता

Prakash Hindustani

FH-159, Scheme No. 54

Vijay Nagar, Indore 452 010 (M.P.) India

Mobile : + 91 9893051400

E:mail : prakashhindustani@gmail.com