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चीनी लोग कौन-सा सामान नहीं बनाते? नकली माल बनाने में तो उन्होंने तथाकथित यूएसए (उल्हासनगर सिंधि एसोसिएशन) को भी मात दे दी है। वे नकली इलेक्ट्रॉनिक सामान तो बनाते ही हैं, नकली पनीर, नकली अंडा और यहां तक कि नकली पत्तागोभी भी बना लेते हैं। दुनियाभर के तमाम बड़े-बड़े ब्रांड अपना माल चीन से बनवाते है और अपना ठप्पा लगाकर दुनियाभर में बेचते हैं। दीपावली के मौके पर भारत में खरीदी जाने वाली लगभग हर वस्तु चीन से बनकर आ रही है और वह भी औने-पौने दामों पर। व्यापारियों को इसमें अच्छा खासा मुनाफा है और लोगों को भी सस्ता माल मिल जाता है।
नेपाल में पिछले दिनों एशियाई खोजी पत्रकारों का एक सम्मेलन संपन्न हुआ। इसकी खास बात यह थी कि इसमें पत्रकारिता के नए-नए पहलुओं पर चर्चा हुई है। चर्चा का एक बिन्दु यह भी था कि सोशल मीडिया ने खोजी पत्रकारिता को कितना बदल दिया है। सोशल मीडिया से किस तरह नए-नए मुद्दे खोज के लिए सामने आते हैं और बड़ी संख्या में लोग उन विषयों से जुड़े होते हैं। सोशल मीडिया के जरिये दुनियाभर के तमाम बड़े नेताओं और उद्योगपतियों के भ्रष्टाचार उजागर होने की भी चर्चा हुई।
मैं उस टीवी एंकर को 7-8 साल से जानता हूं। पहले वह एक रीजनल न्यूज चैनल में समाचार प्रस्तुत करती थीं। खबरों के प्रति उसकी रूचि और समझ उल्लेखनीय लगी। अपने कार्यक्रम को प्रस्तुत करने के दौरान वह अपनी प्रतिभा का 100 प्रतिशत निचोड़ उसमें डालना नहीं भूलती। पत्रकारिता की डिग्री भी उसने हासिल कर ली थी और अपने प्रोफेशन के प्रति पूरी तरह समर्पित भाव से कार्य करती। अपनी प्रतिभा के अलावा वह अपने निजी व्यक्तित्व पर भी पूरा ध्यान देती और इसके लिए सदा सक्रिय रहती।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने काले धन पर जो हमला बोला है और आर्थिक सर्जिकल स्ट्राइक की है, उसके बारे में जितनी सक्रियता प्रधानमंत्री की नजर आई, उतनी सक्रियता तो वित्त मंत्री की भी देखने को नहीं मिली। राष्ट्र के नाम संदेश देते समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही टीवी चैनलों और आकाशवाणी पर छाये हुए थे। इसके बाद कई घंटे तक प्रधानमंत्री के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर ही इसके बारे में खूब चर्चा हो रही थी और वित्त मंत्री अरुण जेटली इस मामले में लगभग मौन थे। इस सबसे एक बात फिर साबित हो गई कि नरेन्द्र मोदी ही सोशल मीडिया के टाइगर है। इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद एक ही दिन में ट्विटर पर नरेन्द्र मोदी के फॉलोअर्स की संख्या करीब दस हजार बढ़ गई। कई केन्द्रीय नेताओं के तो दस हजार फॉलोअर्स भी नहीं है।
सूचना प्रसारण मंत्रालय में 9 नवंबर को हिन्दी न्यूज चैनल एनडीटी इंडिया के प्रसारण पर 24 घंटे के लिए रोक लगाई है। इसके विरोध में सोशल मीडिया मुखर हो उठा। सूचना प्रसारण मंत्रालय की एक समिति ने एनडीटीवी इंडिया के कवरेज को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना। समिति का कहना था कि एनडीटीवी इंडिया ने जिस तरह पठानकोट हमले को कवर किया, उससे आतंकवादियों और उनके सरगनाओं को मदद मिली। इसके जवाब में एनडीटीवी ने कहा कि आरोप बेबुनियाद है और एनडीटीवी कोई अकेला चैनल नहीं था, जिसने इस तरह का कवरेज दिखाया। ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन (बीईए) और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी सूचना प्रसारण मंत्रालय के इस फैसले की निंदा की है और यह भी मांग की है कि मंत्रालय इस प्रतिबंध को वापस ले ले। क्योंकि यह आदेश ‘अभिव्यक्ति की आजादी पर बैन’ है।
भारत में पिछले दो सालों में सेल्फी लेने वालों की जितनी मौतें हुई, उतनी दुनिया में किसी भी देश में नहीं हुई। यह तथ्य सामने आया है कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय और दिल्ली के इन्द्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फर्मेशन की स्टडी में। सेल्फी के बहाने भारत में जो मौतें हो रही है, वे चिंताजनक है। इस बारे में केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय ने तो दिशा-निर्देश जारी किए ही है, पर्यटन विभाग ने भी इस दिशा में कदम बढ़ाया है, जिससे सेल्फी मौतों को रोका जा सके। अनेक पर्यटन केन्द्रों पर नो सेल्फी झोन बनाने की तैयारी भी की जा रही है।