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कठुआ और उन्नाव जैसी वीभत्स घटनाओं के बीच संवेदनशीलता का यह अंदाज पर्दे पर देखना सुखद है। लगता है कि संवेदनाएं अब केवल सिनेमा के पर्दे पर ही बची हैं। खलनायक की भूमिका इस फिल्म में है ही नहीं। वे असली जिंदगी में वे आ गए हैं। यह फिल्म केवल गंभीर और संवेदनशील दर्शकों के लिए ही है। फिल्म देखने के बाद एकदम अंत में यह बात समझ में आती है कि इसका नाम अक्टूबर क्यों रखा गया? इसका नाम हरसिंगार होता तो शायद बेहतर होता।
इरफान खान ने अपनी गंभीर बीमारी की सूचना ट्विटर पर देते हुए बेबाकी से लिखा था कि उनकी बीमारी के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए उनकी फिल्म न देखी जाए। ब्लैकमेल में गजब की एक्टिंग की है बंदे ने। यह बात और है कि कहानी दिमाग का दही बना देती है। लगता है कि आप गोलमाल टाइप कोई फिल्म देख रहे हैं, जिसमें सस्पेंस को कॉमेडी बना दिया गया है।
दो साल पहले आई बागी फिल्म का यह सीक्वल एक्शन दृश्यों के लिए ही बनाया गया है। कहानी में भरपूर ट्विस्ट भी है और सस्पेंस भी। दर्शक पूरे समय कुर्सी से चिपक कर बैठा रहता है और हैरतअंगेज एक्शन दृश्य देखते हुए हॉलीवुड की रेंबो फिल्म को याद करता है। सिर्फ एक्शन से काम नहीं चलता, इसलिए दूसरे मसाले भी डाल दिए गए, जिसमें प्रमुख है माधुरी दीक्षित पर फिल्माया गया तेजाब फिल्म का सुपरहिट गाना ‘एक-दो-तीन’ का रिमिक्स जैकलिन फर्नांडीस पर फिल्माया गया है, लेकिन दर्शक यही कहते रहे कि माधुरी तो माधुरी है।
बॉलीवुड के जाने-माने फाइट डायरेक्टर के बेटे अजय देवगन को मालूम है कि उन्हें कैसी फिल्में करनी है। चॉकलेटी हीरो का रोल तो वे कर नहीं सकते और आमिर खान जैसी अभिनय की प्रतिभा उनमें है नहीं। उन्होंने इसका बढ़िया तोड़ निकाला है और एक्शन तथा कॉमेडी की फिल्मों पर ध्यान दिया है। सिंघम और गोलमाल सीरिज की उनकी फिल्में हिट रही है। दृश्यम भी कुछ ऐसी ही थी और अब आई है रेड। रेड एक पीरियल टाइम थ्रिलर है, जो उत्तरप्रदेश के कुख्यात नेता और व्यवसायी के यहां छापे डालने को लेकर है। पूरी फिल्म की कहानी मुख्यत: 3-4 दिनों की ही है।
यशराज खेमा अपनी बहू रानी मुखर्जी को लेकर फिल्म के साथ न्याय नहीं कर पाया। 4 साल पहले एक्शन फिल्म मर्दानी में रानी मुखर्जी ने वापसी की कोशिश की थी, लेकिन आज भी रानी के 2005 में आई ब्लैक फिल्म में शानदार अभिनय का लोहा माना जाता है। ब्लैक में वे अमिताभ बच्चन के साथ आई थी और एक दृष्टिबाधित युवती की भूमिका में थी। तब अभिषेक और ऐश्वर्या की शादी नहीं हुई थी और यह चर्चा थी कि बंगाली परिवार की होने के कारण जया भादुड़ी बच्चन रानी को अपनी बहू बनाना चाहती थी। बेहतर विकल्प के कारण अभिषेक ने पाला बदल लिया और आदित्य चोपड़ा ने तलाक लेकर रानी मुखर्जी से शादी कर ली। यह भूमिका इसलिए जरूरी है कि आप हिचकी की पृष्ठभूमि समझ पाएं।
दिल जंगली इंटरवल तक तो दिलचस्प है, लेकिन उसके बाद बेहद पकाऊ, उबाऊ और झिलाऊ। फिल्म की कहानी दर्शकों को कन्वीन्स नहीं करती। लोकेशन्स अच्छी चुनी हैं। तापसी पन्नू को सुंदर दिखाने की कोशिश की और वे लगी भी, लेकिन कहानी के झोल दर्शक को झुला देते है। दिल जंगली की लेखक और निर्देशक आलिया सेन शर्मा हैं, जो 20 साल से विज्ञापन की फिल्में बना रही हैं। इस नाते उन्हें पता है कि दर्शकों की दिलचस्पी कैसे बनाई रखी जा सकती है, लेकिन यहां वे फ्लॉप हो गई हैं।